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ड्रामा

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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

प्रेम तब ही गहरा होता है जब विरह होता है।सभी प्रेम की ही बातें लिखते है जरा सोचे विरह के बाद जो मिलन होता है उसमे प्रेम रिश्तों की जड़ों तक समा जाता है ।एक कहानी के रूप मे आओ समझे।नंदिनी मां बाप की इक

तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

Title-बवंडर ख्वाब भी कितना अजीब होता है, चलते हुए इंसान को सपनों की दुनिया में पहुंचा देता है। मैं ऐसा इस लिए कह रहा हूं कि जिन्दगी की कड़वी लेकिन सच्ची  बात भी यही है। अगर यह सपने न होते.तो

काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

पिछले अध्यायों में हमने पढ़ा कि झारखंड के एमएलए की बेटी की शिखा की शादी की तैयारियाँ हो रही है और उसके कॉलेज के जमाने की सहेली मौलि शादी में आने वाली है। मौलि के आने की खबर से शिखा की खुशी का ठिकाना न

पिछले अध्यायों में हमने पढ़ा कि झारखंड के एमएलए की बेटी की शिखा की शादी की तैयारियाँ हो रही है और उसके कॉलेज के जमाने की सहेली मौलि शादी में आने वाली है। मौलि के आने की खबर से शिखा की खुशी का ठिकाना न

पिछले अध्यायों में हमने पढ़ा कि झारखंड के एमएलए की बेटी की शिखा की शादी की तैयारियाँ हो रही है और उसके कॉलेज के जमाने की सहेली मौलि शादी में आने वाली है। मौलि के आने की खबर से शिखा की खुशी का ठिकाना न

आज ही सुमी को मां का फोन आया गांव से कुन्ती चाची की तबीयत बहुत खराब है।सुमी के पति ने उसे फटाफट ट्रेन मे तत्काल की टिकट करा कर बैठा दिया और ये कहा कि अगर टीटी कुछ कहे तो कुछ पैसे देकर अपना पीछा छुड़ा

 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

"कहाँ जाना है? " "अनजानी डगर"।  मृदुल का ये जवाब सुन बस कंडक्टर उसे ऊपर से लेकर नीचे तक घूर के देखने लगा और फिर मृदुल के बाजू वाली सीट पर बैठकर उससे कहने लगा  "भाई कितने पेग पिये थे?" मृदुल बस

कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

"आज एक नई सुबह है, और इस नई सुबह की नई शुरुआत",खता- खत सिया अपने पुराने टाइपराइटर पर अपनी नई कहानी लिखे जा रही थी। महीने भर की कड़कती धूप के बाद दिल्ली में आज आखिरकार बारिश हुई थी। पूरा शहर उसी तरह

 परख लिया खुद को जब परखा तुझे,   क्‍यों देखा नहीं पहले जो अब दिखा   क्‍या वो प्‍यार था? जो लगा मुझे,   क्‍यों खत्‍म हुआ फिर जब परखा,   सजा भूल भी जाए, ना भूल पाएंगे तुझे   टूटे तारे की तरह मेरा व

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