कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों
सुबह जब निष्कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्वी क्यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब
यह कहानी है एक ऑटो वाले और एक नवयुवक प्रशांत की जो उस रात अपने घर को जल्दी पहुंचना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था इसीलिए उस दिन उन दोनों का अंतिम सफर था । इस कहानी को उस दिन की सुबह से
निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा
एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्कर्ष और काश्वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे
जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्ता अब उस स्टेज पर पहुंच गया है जहां दोन
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 64-65 वर्ष की रही होंगी | झारखण्ड के एक छोटे से शहर सूरजगढ़ में अमरावती अपने पति राम अमोल पाठक के साथ रहती थी
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 64 वर्ष की रही होंगी | राम अमोल पाठक जी प्रकाश पब्लिकेशन में एडिटर थे, बड़े ही सज्जन और ईमानदार व्यक्ति थे सभी
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती करीब 42-45 वर्ष की रही होंगी वो अपने पति राम अमोल पाठक जी और चार बच्चों बड़ा बेटा चन्दन, बेटी पूर्णिमा,मंझला बे
निष्कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्कर्ष के साथ काश्वी को ऐसे देखकर निष्कर्ष को
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती कोई बीस वर्ष की रही होगी और बिहार के एक गांव, अपने ससुराल में अपने पति राम अमोल पाठक, नवजात शिशु चन्दन और जेठानी क
आपने पिछले भाग में देखा . ऐसे ही आरव एक दिन किसी व्यक्ति को पैसे दे रहा था । तो हमेशा की तरह सुलोचना को लगा की शायद ये आदमी भी उन नाकारा लोगों मे से ही एक है । अब
आपने पिछले भाग में देखा अगर आप सब में से कोई एक आदमी भी हटा तो मुझे बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है । इस रेस्टोरेंट को चलाने में और इसे मसहूर करने में तो आप सबका ही हाथ है । मेरा क्
सूलोचना जब से रेस्टोरेंट में काम करना शुरू कि थी । तब से देख रही थी कि महीने में तीन चार लोग ऐसे आते थे । जो जुवारी और नशेड़ी थे । वो उसके बॉस के पास अपना झूठा दुखड़ा
राम अमोल पाठक जी बिहार के एक गांव के भरे-पुरे परिवार से थे | गांव में आँगन वाला सबसे ऊँचा मकान राम अमोल पाठक जी का था, घर पर पिताजी,भैया-भाभी, एक प्यारी सी भतीजी और बीवी अमरावती थी, अभी-अभी राम अमोल
रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और
निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर काश्वी को बुलाने लगा लेकिन काश्वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा
निष्कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ
“पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल
निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्यों हो गये?” “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी