कुछ सपनों
को साथ लेकर,
बढ़ रहा हूं,
मंजिल की ओर,
मैं और मेरे जैसे,
कितने ही और।
कुछ जरूरी,
सामान के साथ,
है पास,
मां का आशीर्वाद,
बहन का प्यार,
बेटी की मुस्कान,
पत्नी का इंतजा़र।
नहीं जानता,
कि आऊंगा पैरों पर,
या कि लद कर कंधों पर,
यदि शहीद हो जाऊं,
ऐ वतन सुरक्षा मे तेरी,
तो सुरक्षा करना,
मेरे परिवार की,
हिम्मत देना,
उन्हें संभलने की।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'