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आपने कुछ सुना !!

15 अगस्त 2022

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आपने कुछ सुना?
मुझे खबर मिली है,
कि आरक्षण की हवा,
जंगलों तक चली है।

वनराज के गुत्तचरों ने,
जो शहरों तक आये,
या घरों के कीट पतंगों,
ने सारे राज फैलाये।

क्योंकि जंगलों में,
न अखबार आता है,
न कोई पढ़ पाता है।

अहम ये नहीं है,
अहम तो यह है कि,
कि वनराज के नेतृत्व में,
कमेटी गठित हो रही है,
एक मीटिंग चल रही है।

कोई किसी से कहां कम है?
सबकी बातों मे दम है।
मकडी़ भी बुनती है,
और हम भी,
पर उनके जाले,
हमारे षड़यंत्र होते हैं।
श्वान और इंसान,
दोनों ही,चाटते हैं ,
फिर काटते हैं।
सांप मे विष,
और हम में भी,
उनका डसा लाश,
हमारा डसा जिंदा 
लाश होता है।
गिरगिट भी ,
रंग बदलते,हम भी।
शेर भी 
शिकार कर ,
खा जाते ,और हम भी।
इन्हीं सब मुद्दों पर,
सियासत गर्मा रही है।
लगातार आरक्षण की,
मांग उठा रही है।
सूत्रों से खबर मिली है,
कि बिल पास हो जायेगा,
हर जानवर शायद,
हमारी श्रेणी मे आ जायेगा।
और फिर वो,
दिन दूर नहीं जब,
यह खुद को,
मानव का दर्जा दिलवायेंगे।
हम अभी सिर्फ क्रोध में,
तब कानूनन ,
जानवर कहलायेंगे।

प्रभा मिश्रा 'नूतन '

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कैसे दीया जलाऊँ मैं

14 अगस्त 2022
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झंझावतों ,तूफानों बीच, कैसे दीया जलाऊं मैं? आलस्य और मद में सोये जो, उन्हें कैसे जगाऊं मैं? धर्म,आस्था ,मर्यादा सब, खडी़ अपने गंतव्य पर, नैतिकता और पवित्रता, साथ जाने को तत्पर, खडी़ हुयी किंकर्तव्यविम

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प्रबल आवश्यक्ता है कि.....

14 अगस्त 2022
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आजादी के सूरज के बाद, फिर उगा एक और सूरज, शनैः शनैः बढ़ता हुआ, निज चरित्र को गढ़ता हुआ। जिज्ञासु,ज्ञान पिपासु, त्याग कर अपने परिकर, साधा स्वयं को तप कर। निखार कर निज व्यक्तित्व पंकेज, आभासित हुआ, संसा

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मेरी इच्छा

14 अगस्त 2022
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यदि मुझे ब्रह्मास्त्र मिले, खुशी खुशी वरण करूँ, धारण कर रौद्र रूप, चलूं कुछ हत्यायें करूँ। काटूं शीश उस सोच का, जिसमें देशद्रोह का वास है, किसी तरह विनाश हो, पनप रही आस है। करूँ नाश उस चिंतन का, जो चढ

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जाग अर्जुन जाग

14 अगस्त 2022
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फिर रच रहा है चक्रव्यूह, मद में पड़,मत कर्तव्यों से भाग, जाग ,अर्जुन जाग। मत मरने ,मिटने दे, सुख,सुकून,समृद्धि के अभिमन्यु को। मत हावी होने दे, बरसों की उसी दासता को। परदेसियों को अपनाने में, रह न जाय

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चुपचाप मान लो कि

14 अगस्त 2022
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मत अंधे हो उलूक सम, मत चीखो काले काग जैसे, जानती हूँ, बहुत ज्यादा है पीर, क्योंकि बरसों की संचित, तुम्हारी 'कालिमा 'को चीर, 'वो 'उदय हो फैला रहा, शनैः शनैः वतन के गगन पर, विकास रश्मियां। परत दर परत, छ

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बावरा मन

14 अगस्त 2022
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बावरा मन देखने , चला एक सपना, कि फिर से रामराज्य, वाला वतन बने अपना। फिर हर पिता हो दशरथ सा, हर मां हो कौशल्या । हर पुरुष हो भरत सरीखा, हर नारी सीता हो ,कोई न हो ऐसी जिसको, बनना पडे़ अहिल्या। पर

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बुंदेलखण्ड की त्रासदी

14 अगस्त 2022
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बदहाल,बदहवास, बुन्देलखण्ड व्यथित स्वयं की कथा पर, रोता व्यथा पर। खडा़ भुखमरी के कगार पर, विगत चार वर्षों से, अस्त-व्यस्त जूझत

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चीनी कम है

14 अगस्त 2022
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सुना है कि ' चीनी ' ही है जो, विगत दो वर्षों से , लील रही है कितनों को। त्रसित है इससे , पूरा ,देश,हर वर्ग और समाज, फिर रो रहे हैं 'चीनी कम है'आज? अरे खानी है तो शकर खाइये, गुड़ खाइये पर , ' चीनी 'से

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मत खडे़ करो सवाल

14 अगस्त 2022
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अजब देश की व्यवस्था, गजब देश का हाल। जिनके शासनकाल में, घोटालों का अंबार, उनके ही गठबंधन की, चुनते सब सरकार। क्या रखे योग्यता? जो इठलाये पद ग्रहण करे, हिंदी भी ना बोल सके, वो शिक्षित करने की बात करे?

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मुझको संसद जाना है

14 अगस्त 2022
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संसद में हंगामा करने वालों पर एक नेता अपनी पत्नी से कहता है--- थोडी़ अपनी भी ताकत दे दे, मुझको संसद जाना है। किसी से क्यों कमजोर रहूं? मरियल चूहे की तरह न डरूं, हाथापाई भी है करनी , लट्ठ भी चलाना है।

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रोया था देखो वो....

14 अगस्त 2022
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मेरी ये रचना तब की लिखी है जब एक बार माननीय प्रधानमंत्री जी विदेश गये थे और वहां कुछ चर्चा मां की चली थी और वो अपनी मां को याद कर भावुक हो गये थे और उस पर भी सियासत हुयी थी। तब मैंने ये रचना लिखी। रोय

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आक्रोश

14 अगस्त 2022
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जहां चाहिए था आक्रोश जताना, वहां बैठे बैठे सब सह जाना? लाज लुट रही थी द्रौपदी की, प्रतिज्ञा में बंधे बैठे रहे मौन? न आते कृष्ण ,लाज बचाता कौन? वहां न दिखाया आक्रोश, उजड़ गयी गांधारी की कोख। करते रहे व

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बढ़ने के प्रयास में

14 अगस्त 2022
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बढ़ने के प्रयास में, विकास की ओर, रोक लिये गये, ' वर्तमान युग 'के, हवाईअड्डे पर। तलाशी हुयी, पकडे़ गये, ईमानदारी,सत्य, निश्छलता,निश्पक्षता, भोलेपन जैसे कुछ, ' अवैध सामान 'के साथ। प्रभा मिश्रा 'नूतन'

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टुकडे़ टुकडे़ टूटेगा

14 अगस्त 2022
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कैसे कैसे शूल खिल रहे, मिली हुयी आजादी पर, रोते होंगे,वे निश्चित ही, उस कुर्बानी पर,इस बरबादी पर। कैद हुआ समय का पहिया, जंजीरों और सलाखों में, कैसे चले मनमर्जी से, हैंडिल जो उनके हाथों में। जो बैठे थे

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मनुष्य देह में कौन है तू

14 अगस्त 2022
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सिंधु बार्डर पर निर्मम हत्या कांड से से व्यथित रचना मनुष्य देह में कौन है तू? समझ न आ रहा है, जब से देखी है वो खबर, &nbsp

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बिसाहडा़ काण्ड

14 अगस्त 2022
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तत्कालीन रचना बिसाहडा़ में हर कोई खडा़, सेंके सियासी रोटियां, कोई कहे थीं जरूर, कोई कहे ना हुजूर, गाय की न बोटियां। झूठी सहानुभूति के लगता, पडे़ हर किसी को दौरे, जिसको देखो वो ही, दौरा क

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क्या ये भारतवर्ष यही

14 अगस्त 2022
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क्या ये भारतवर्ष यही? ऋषि,मुनियों की तपस्थली, अनगिनत वर्षों से साधना, प्रभु प्रसन्न,लिया अवतार जहां। पावन श्री चरण पडे़ जहां, हुआ वास यहीं,कैलाश यहीं? अर्धनारीश्वर रहे जहां, बम बम भोले गूंजा जहां? और

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उठो वीर जवानों जागो

15 अगस्त 2022
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JNU में लगे भारत विरोधी नारों पर युवाओं से एक आहवाहन करती तत्कालीन रचनाउठो वीर जवानों जागो,गद्दारों ने ललकारा है,देशद्रोह बर्दाश्त नहीं,अपना सब मिल नारा है।शिक्षा के मंदिर में,लगे बरबादी के नारे हैं,स

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आपने कुछ सुना !!

15 अगस्त 2022
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आपने कुछ सुना?मुझे खबर मिली है,कि आरक्षण की हवा,जंगलों तक चली है।वनराज के गुत्तचरों ने,जो शहरों तक आये,या घरों के कीट पतंगों,ने सारे राज फैलाये।क्योंकि जंगलों में,न अखबार आता है,न कोई पढ़ पाता है।अहम

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मुखौटों की राजनीति

15 अगस्त 2022
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जिंदगियां बदनाम हुयीं,जब से मुखौटों के नाम हुयीं।कैसे जन,कैसे मन,कैसा चित्र और चरित्र?अपने भीतर सब जानें,कितने निश्छल और पवित्र?कितनी भोली बेचारी दुनिया,मुखौटों से हारी दुनिया।कुछ जवाहरात मोती आये,पेर

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बदलता भारत

15 अगस्त 2022
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------तत्कालीन रचना (जाट आंदोलन पर )----- यह है , बदलते भारत की मिसाल, जिसमे है -- सत्ता से अंधप्रीति, उकसावे की, घृणित नीति, आरक्षण की, बेमानी बयार, जगह जगह आंदोलन, आगजनी,तोड़फोड़, सड़कों पर, मानवता

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ढूँढ़ते रह जाओगे

15 अगस्त 2022
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क्रूरता,चालांकी,और मक्कारी, बेइमानी,घूसखोरी,और गद्दारी, जिस देश में हों,ये छह सहेलियां, उस देश में विकास? ढू़ढ़ते रह जाओगे। प्रभा मिश्रा 'नूतन '

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आतंकवाद

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मानवता को करता पददलित, कलंकित, भावनाओं की वेदी पर, प्रज्ज्वलित, ये आतंकव

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उस भारत में भय !!!

15 अगस्त 2022
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----- तत्कालीन रचना ----- उस भारत में भय? जो सबसे सहिष्णु, और सुरक्षित है। जिसने जीवन संवार दिया, मान-सम्मान,प्यार दिया। जहां छुईं तुमने बुलंदिया

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पिसती जनता है

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घने घृणित राजनीतिक तम के बीच, पिघल रहा है सच जल रहा है भविष्य सोई मानव

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घर लौटता है फौजी

15 अगस्त 2022
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घर लौटता है फौजी ,मां के दूध की लाज रखकर,वतन के प्रति फर्ज निभाकर,अपना सर्वश्रेष्ठ कर्म कर,मां भारती को ,विजय श्री देकर,सफलता का प्रसाद,स्वाद लेकर।घर लौटता है फौजी,वतन की सारी पीडा़ हर,मां की उम्मीदें

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फौजी की प्रार्थना

15 अगस्त 2022
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कुछ सपनों को साथ लेकर, बढ़ रहा हूं, मंजिल की ओर, मैं और मेरे जैसे, कितने ही और। कुछ जरूरी, सामान के साथ, है पास, मां का आशीर्वाद, बहन का प्यार, बेटी की मुस्कान, पत्नी का इंतजा़र। नहीं जानता, कि आऊंगा

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उसके लौटने की खबर सुनकर

15 अगस्त 2022
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उसके लौटने की खबर सुनकर, चमक उठी हैं पिता की आंखें, बहन रंगोली बनाने लगी चौखट पर, &nb

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अरी ओ मौत

15 अगस्त 2022
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अरी ओ मौत, विलाप निवासिनी, अधम,निर्लज्ज, कितने देशभक्तों की, बलि लेगी रे पिशाचिनी। हंसती ,खेलती जिंदगियां, तुझे रास आती नहीं? बुलंद हौंसलों की गर्मियां, तुझे पिघलाती नहीं? ओ हिमतुहिन कणों , की झंझावती

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सीढी़ आतंकवाद की

15 अगस्त 2022
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स्तब्ध हुयीं दिशायें, भयभीत ये गगन है, छली गयी धरा जो, घन कर रहा रुदन है। संत्रस्त हुयीं करणें, व ठहरी हुयी पवन है। वातावरण है बोझिल, उजडा़ मन चमन है। मर्मघ्न ये मनुज जो, चुनते कुपंथ काले, सहमीं सभी ह

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एक वृक्ष की अंतिम इच्छा

15 अगस्त 2022
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एक जीर्णशीर्ण वृक्ष के, कटान की हो रही थीं तैयारियां, आ गयी थीं कुल्हाडियां। काटने वाले प्रसन्न , पर पेंड़ उदास था। आगे क्या होगा? उसे पूर्वाभास था। राह गुजरती, "हवाओं ने पूछा, क्या बात है? क्यों आंखे

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सँभालो शस्त्र पुनः एक बार

15 अगस्त 2022
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न छेडो़ मुरली की स्वर धार,संभालो शस्त्र पुनः एक बार।चेहरे बदले पर लोग वही हैं,वही सत्ता की बीमारी।रोग वही है,द्रोह वही है,धरा दुखी ज्यों गांधारी।कौरवों के सब साथ खडे़ हो,हैं वतन बेचने को तैयार।न छेडो़

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मैं आइना हूँ........

15 अगस्त 2022
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सदा से तो अपना, मैंने फर्ज निभाया है। चुपचाप रहे,बिन कहे, हर गुण,दोष दिखाया है। पर रह गयी शायद, कुछ न कुछ कमीं। जो देखते स्वयं को मुझमें,कि उर मे हूं या नहीं। कैसे कहूं कि, सदा वफादारी निभाउंगा। कभी भ

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पठानकोठ के शहीदों के परिवारीजनो की अंतर्व्यथा

15 अगस्त 2022
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शोक संतप्त सोचे मन, कहां चले गये प्राणधन? देह छोड़,हर नेह छोड़। कहां ,किससे मिलने को, जीव परिंदा उड़ गया,सारे बंधन तोड़। जल रही उनकी चिता, जिनकी उंगली जलने पर, जी स्वयं का जलता दिनभर, कि हाय!लाल को जल

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क्यों चुप रहे कोई !!

15 अगस्त 2022
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शहीदों की याद में यह दर्द की लहरें हैं, कैसे सहे कोई? बात जब सुरक्षा की हो, तो क्यों चुप रहे कोई? मात्र एक श्रृद्धाजंलि, और परिजनों को सांत्वना, कर्तव्य की कर इतिश्री, बैठ मौन साधन

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आधुनिक महाभारत

15 अगस्त 2022
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आधुनिक महाभारत , से त्रस्त भारत, रो रहा है, अपनी दुर्दशा पर। वो महाभारत जिसमें, कुरुक्षेत्र है , कभी लोक सभा, कभी राज्य सभा, कभी विधान सभा, कभी चुनावी रैलियां, तो कभी जनसभा। चलाते सब शब्दबाण, कुत्सित

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शिक्षा व्यवस्था पर व्यंग्यात्मक रचना

15 अगस्त 2022
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सोने दो ना माँ , क्या !मेहनत से पढ़ना है, नोटों से जेबें भरनी, और उनका मुँह बंद करना है। ध्यान लगाऊँ,नजर गढा़ऊँ, वजन घटाऊँ,फल क्या मिलना है? लद गये दिन कछुये के, आगे खरगोश को ही निकलना है। क्यों

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लगता है अपने प्रदेश में

15 अगस्त 2022
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फिर रंगने लगे हैं अखबार। फिर पैनी कर, जिव्हा की धार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की , &

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किताबों के प्रतिबंध पर

15 अगस्त 2022
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तत्कालीन रचना उसने हाल किसी की दुर्दशा पर, किताबों में व्यक्त किया, और हाथ ने मुँह बन्द कर, उन्हें नज़रबन्द किया। किताबें वो प्रतिबन्धित हुयीं, जो आइना

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सुध ले ले

15 अगस्त 2022
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विदेशी माई कुछ सुध ले ले,लाल अभी तक बचपन में खेले,कभी सूट-बूट की सरकार कहे,कभी कुर्ते -पैजामे की बात करे,कभी लाल-गुलाबी हैं वस्त्र कहे,कभी श्वेत -सादगी की बात करे।जिन दुखियारों की बात उठाये,उनको जिनका

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युवा दिवस विशेष

12 अगस्त 2023
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युवा दिवस विशेष गीत।अवश्य पढे़ंहै शौर्य रक्त रगों में जिनके,वे कब मद में खोया करते हैं?विस्फारित नयनों में जागृति का,जो स्वप्न संजोया करते हैं।हे संसृति की अनुपम कृतिउठो युवा,करो उत्थान।कि,तुम्हारे आच

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नेता जी सुभाष

15 अगस्त 2022
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नहीं सामर्थ्य समेट सकूँ,चंद शब्दों में उसका, गौरवमयी इतिहास।उसके बलिदानों के कारण ही,

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हर घर तिरंगा

14 अगस्त 2023
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हर घर तिरंगा ----एक राग और एक रंग में ,नव जोश और नव उमंग में ,सबको साथ कदम बढा़ना है आजादी का है अमृत महोत्सव,हर घर तिरंगा लहराना है ।मिटाकर मन के पन्नों से,मद ,क्रोध, ईर्ष्या, आलस्य,

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तुझे आखिरी सलाम

16 अगस्त 2022
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सियाचिन में बर्फ की 35 फीट मोटी परत के नीचे दबे (6 दिन तक) शहीद जाबाँज को एक श्रृद्धाँजलि गुरुवार 11 फरवरी 2016 दोपहर 11ः45 बजे टूट गए उम्मीदों के नूपुर,रूठ गए सुख स्वप्न समाज।फूट गए दुख के

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