क्या ये भारतवर्ष यही?
ऋषि,मुनियों की तपस्थली,
अनगिनत वर्षों से साधना,
प्रभु प्रसन्न,लिया अवतार जहां।
पावन श्री चरण पडे़ जहां,
हुआ वास यहीं,कैलाश यहीं?
अर्धनारीश्वर रहे जहां,
बम बम भोले गूंजा जहां?
और भगीरथ का अथक प्रयास,
मां गंगे उतरीं लिये हास -विलास,
नीलकण्ठ की जटाओं से होकर,
हुआ उनका निवास यहीं?
यहीं हरिश्चंद,श्रृवण कुमार?
सत्य,पुन्य अर्जित किया अपार
पन्ना धाय का स्थान यहां?
फर्ज पर बेटा कुर्बान जहां।
प्रेम ,भाव,समर्पण यहीं?
धर्मराज,दानवीर कर्ण यहीं?
यही भारत सोने की चिडि़या?
सब असीमित पर्याप्त यहां,
पितामह को इच्छामृत्यु प्राप्त जहां,
यहीं दधीचि,अस्थियों के दानी,
यहीं लक्ष्मी बाई ने दी कुर्बानी?
पूछती मैं नहीं,
पूछेंगीं पीढियां,
पर बताने वाले,
रहेंगे कहां?
आज स्मृतियां,
किले,धरोहर,
बचे हुये बस शेष ,पर
कल क्या ये रह जायेंगे?
नेताजन कहलायेंगे देशभक्त,
हत्यारे क्रांतिकारी बताये जायेंगे
सत्य तस्वीर दिखलाने वाले,
आइने कहां रह जायेंगे?
दिख रहा है जैसा समां,
इस कलियुग के झंझावत में,
हर अवशेष मिट जायेंगे।
प्रभा मिश्रा 'नूतन '