संसद में हंगामा करने वालों पर
एक नेता अपनी पत्नी से कहता है---
थोडी़ अपनी भी ताकत दे दे,
मुझको संसद जाना है।
किसी से क्यों कमजोर रहूं?
मरियल चूहे की तरह न डरूं,
हाथापाई भी है करनी ,
लट्ठ भी चलाना है।
थोडी़ अपनी........
लोक सभा हो या राज्य सभा,
फिर चाहे हो विधान सभा।
सत्र नहीं चलने देना है,
ये तो कब से ठाना है।
थोडी़ अपनी........
गाली गलौज भी है करनी,
रात बैठ कर सान धरी,
जुबां चलानी ज्यों कतरनी,
सबसे बढ़कर दिखलाना है।
थोडी़ अपनी.........
अध्यक्ष का गला सूख जाय,
शांत हो जाइये,कहते थक जायें,
हमारी बला से,हमको बस मेज बजानी,
मुद्दे से ध्यान हटाना है।
थोडी़ अपनी..........
कुर्सी टूटें,मेज टूटें,
चाहे जिसके हाथ पैर फूटें,
हम कितने गिरे व असभ्य,
ये सबको दिखलाना है।
थोडी़ अपनी भी ताकत दे दे ,
मुझको संसद जाना है।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'