अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है. हर साल इस 'त्यौहार' की कोई ना कोई थीम रख दी जाती है और इस बार अर्थात 2020 की थीम है 'घर में योग'. कोरोना के साइड इफ़ेक्ट कहाँ नहीं पहुंचे!
पिछले बरसों में क्रम यूँ था:
योग दिवस 2015 की थीम थी - सामंजस्य और शांति,
योग दिवस 2016 की थीम थी - युवाओं को जोड़ें,
योग दिवस 2017 की थीम थी - स्वास्थ्य के लिए योग,
योग दिवस 2018 की थीम थी - शांति के लिए योग और
योग दिवस 2019 की थीम थी - क्लाइमेट एक्शन.
योग के इतने फैलाव ने मूल सिद्धांत को कहीं का कहीं पहुंचा दिया. परिभाषा तो इस प्रकार है: योगश्चित्तवृतिनिरोधः पातंजलि योग दर्शन में 'चित्त की वृत्तियों का निरोध' को योग कहते हैं.
कुशल चितैकग्गता योगः बौद्ध साहित्य में 'कुशल चित्त की एकाग्रता' को योग कहा गया है.
पर योग अब योगा बन गया है और मूल दर्शन छोड़ कर व्यापार भी. चलिए छोड़िए हरी अनन्त हरी कथा अनन्ता. इस विषय पर फिर कभी बात होगी.
स्वस्थ शरीर और शांत मन के लिए योगासन और प्राणायाम के बाद थोड़ी देर शांत एकाग्र चित्त बैठना बड़ा फायदेमंद है. ख़ास कर के रिटायरमेंट के बाद. और अगर भोजन पर भी ध्यान रखा जाए तो डॉक्टर की जरूरत बहुत कम पड़ती है.
आम तौर पर हम लोग होली से दिवाली तक पार्क में दरी बिछाते थे. पर इस बार कोरोना के कनकौव्वे ने रुकावट डाल दी. और इस साल की थीम भी 'घर में योग' हो गई. लिहाजा अब दरियां घर में ही लग रही हैं. भारतीय योग संस्थान दिल्ली से 1996-97 में सीखी थी तब से जारी है. यात्रा में जाना हो तो भी दरियां साथ ही चलती हैं.
यक़ीनन फायदेमंद है सबको सीखना चाहिए. शरीर निरोगी रहता है और मन शांत. उमर के कारण आने वाले शारीरिक बदलाव रोके नहीं जा सकते पर योग द्वारा शरीर को स्वस्थ और मन को शांत कर सकते हैं.
इसलिए करो ना योग!