पंजाबी बोलना सीखना चाहिए या फिर बंगाली बोलना? या फिर दोनों? पर मुश्किल तो ये हो रही है की सिखाए कौन. मनोहर जी आजकल बैंक में काम कर रहे हैं और रहने वाले हैं गाँव कसेरू खेड़े के. अब खेड़े में ये दोनों भाषाएँ बोलने बताने वाला कोई है नहीं. तो मनोहर जी उर्फ़ हमारे मन्नू भैया का काम कैसे होगा? एक दोस्त ने सुझाव दिया अंग्रेजी बोलना सीख ले तो सारे काम निपट जाएंगे. अंग्रेजी सिखाने के वो पैसे भी नहीं लेगा. कनॉट प्लेस में तो नौकरी है ही वहां कोई किताब विताब ले लेना और आगे पढ़ लेना. क्यूँ जी?
बात मन्नू भैय्या को जंची और एकाध पाठ पढ़ा भी. दोस्त ने बताया की अगर लड़की को अपना प्यार जताना हो तो कहना 'आई लव यू'. बहुत प्रैक्टिस के बाद भी मन्नू भैय्या आई लव जू ही बोल पाए. यू और जू अलग अलग हैं मन्नू को समझ तो आ रहे थे पर उच्चारण ठीक से ना हो पा रहा था. आपको तो पता ही है जी गाम में तो आम तौर पर नूं ही बोला जा - अबे जे का है? और बताऊँ यमुना नदी को भी तो जमना जी ही कहा जावे है क्यूँ जी?
बात जे है की हमारे मन्नू भैय्या गाम छोड़ के सहर चले गए बैंक में नौकरी करने. वहां भान्त भान्त के लोग आवें तरा तरा की बोली बोलें जभी तो भैय्या ने सोची की दो एक बोली और सीख लें काम आ जागी. जहाँ पोस्टिंग हो लोकल भासा पहले सीखो क्यूँ जी. एक बात और भी तो है जी की हमारे मन्नू भैय्या अभी तक कंवारे हैं. तो आप जानों बैंक में कोई पंजाबी बंगाली छोरी भी तो हो सके. टांका भिडाने में आसानी हो जा हाहाहा! क्यूँ जी?
पर जे बात बाद में पता लगी जी की पंजाबी छोरी कैड़े सवाल कर गई मन्नू भैय्या से. बोली, कहाँ कहाँ से आ जाते हैं बालों में तेल चुपड़ के? लो बताओ भैय्या? कच्ची घनी का सरसों का तेल ले के आप बालों में गेर दो तो भैय्या दूर दूर तक चमकेंगे. पर हमारे भैय्या तेल की सीसी वापिस ले आए. योई बात खराब लगे दिल्ली वाली लड़कियन की. फिर दूसरे दिन बोली, कहाँ कहाँ से आ जाते हैं भूसे की स्मेल ले के? लो बताओ? उस दिन भैय्या दरअसल सुबह भैंसिया को चारा पानी दे के, फटफटिया दौड़ा के, सीधे डूटी पे जा लिए थे. बस जी दोस्ती छुट गई. सहर की छोरियां से बात जल्दी ना बनती. ऐंठन बहुत है ऐंठन. अब अपनी ऐंठ में रहती हों तो रहें.
पर जे बात भी बाद में पता लगी की कलकत्ते की छोरी जो बैंक में मन्नू भैय्या के साथ काम करे थी वा में ऐंठन ना थी. भैय्या ने बताया के संध्या की बड़ी बड़ी आँखें और बाल तो काले और इतने लम्बे की जमीन पे लोट रहे. उसी की खातर बंगाली पढनी थी मन्नू भैय्या ने. पर गाम में कौन पढावे. तब अंग्रेजी भासा का पाठ पढा. फिरंगी भासा अटक अटक के पढी जा. जल्दी से ना आती. मन्नू भैय्या को दोस्त ने सिखा दिया था की जब बोलना हो 'मैं तुम पे मरता हूँ' बोल दियो 'लेडी आई डाई ओन यू'. पर बेचारे भैय्या गड्ड मड्ड बोल दें थे - लेडी डाई आई जू.
भैय्या कोसिस कर के संध्या को नमस्ते जरूर कर दें थे. हालचाल भी रोज पता करें थें. एक दिन संध्या से पूछी- नास्ते में हमारे तो परांठे बनते हैं आप के तो मछली बनती होगी? जवाब में वो बोली - मनोहर जी देस बिदेस में तरा तरा के खाने बनते हैं. मर्जी हो मछली खाओ ना मर्जी हो ना खाओ. बात तो लड़की ने ठीक कही जी. खाना हो खाओ ना खाना ना खाओ. उसके बाद लड़की छुट्टी ले के और कलकत्ते चली गई.
खैर बड़े दिनां बाद कलकत्ते से वो संध्या वापिस आई. मन्नू भैय्या बोले,
- नमस्ते संध्या जी. कई दिन बाद आए हो जी?
- हेल्लो मनोहर जी. हाँ घर जाओ तो ऐसा ही होता है समय लग ही जाता है.
- बड़ी सुंदर साड़ी पहरे हो जी. जच रही है जी.
- थैंक्यू . मेरे मंगेतर ने दी है.
- ओ तेरे की! ***? # @ >*< %="" $="" ***.="" भैय्या="" कुछ="" सोच="" में="" पड़="" गए.="" मन="" को="" मजबूत="" करा="" और="" फिर="" बोले="" -="" मैं="" सोचूं="" था="" आप="" आओगे="" तो="" शादी="" की="" बात="" चलाऊंगा="" जी.="" प्रपोज="" करना="" था="" जी="" आपको.="">
- कमाल है मनोहर जी ! पर आपने देर कर दी.
मन्नू भैय्या के दिल का गुलाब मुरझा गया.