कोरोना के कीटाणु तूने कहाँ लाके मारा रे!
उधर लॉकडाउन की घोषणा हुई इधर हमारी सोसाइटी का मेन गेट भी बंद हो गया. आप बाहर नहीं जाओगे और फलां-फलां अंदर नहीं आएगा. फलां-फलां की लिस्ट में से काम वाली को तो बिलकुल नहीं आने दी जाएगी. इस पर पैंसठ जन्मदिन पार कर चुकी श्रीमती को क्रोध में आना स्वाभाविक था. स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती थी. ये देख मैंने आश्वासन दे दिया की चलो 'झाड़ू मेरा पोछा तेरा' प्लान के मुताबिक काम कर लेंगे. स्थिति नियंत्रण में आ गई. चलिए अब शाम की बियर पर तो लॉकडाउन नहीं लगेगा!
अगले दिन झाड़ू लगा के महसूस किया की अगर बैठ कर लगाओ तो घुटने नाराज़ होते हैं. अगर खड़े खड़े झाड़ू लगाओ तो कमर कड़कती है. कलाइयां और कंधे तो हर हाल में हाय हाय करते हैं. साथ ही जब काम करते करते हिदायतें मिलती हैं तो कान भी गरम हो जाते हैं,
- जरा पलंग के नीचे से भी,
- ज़रा दरवाज़े के पीछे से भी,
- ज़रा खिड़की की ग्रिल पे भी.
वो दिन था और आज ये चालीसवां दिन है झाड़ू का सिलसिला बदस्तूर जारी है. कमर दर्द और झाड़ू का मिलाजुला अफ़साना चल रहां है. इन दिनों में अपने तीन बेडरूम, ड्राइंग और आँगन के फर्श को अच्छी तरह पहचान लिया है. अब ये पता लग चुका है की एंट्री के पास धूल मिलेगी, किचन में प्याज के छिलके और ड्रेसिंग टेबल के आसपास बुढ़िया के लम्बे लम्बे बाल मिलेंगे! डस्टिंग के लिए मुख्य इलाके भी चिन्हित कर लिए हैं. कहाँ सूखा कपड़ा मारना है कहाँ गीला ये याद कर लिया है. झाड़ू कौन सा होना चाहिए, कैसे पकड़ना चाहिए इत्यादि सब पर रिसर्च कर ली है.
इस नई जॉब प्रोफाइल में कमर तो दोहरी हो ही रही थी पर फिर भी एक और आइटम खुद ही जोड़ लिया है. इधर झाड़ू ख़तम हुआ, उधर पोछा शुरू हुआ. उधर पोछा ख़तम हुआ इधर चाय बिस्किट की ट्रे पेश कर दी. साथ में पुराने फ़िल्मी गाने लगा दिए. थकान दूर हो जाती है और गजब का माहौल बन जाता है!
अब झाड़ू लगाने का काफी अनुभव हो गया है और इरादा है एक कोचिंग सेंटर खोलने का. इसमें पचपन से ऊपर वाले सज्जनों को झाड़ू पोछा लगाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. अभी कोर्स, फीस और टाइम टेबल के पैकेज पर काम चल रहा है. जल्दी ही सूचना दे दी जाएगी.
गो कोरोना गो,
झाड़ू उठा लिया है गो,
वाइपर उठा लिया है गो,
गो कोरोना गो!