दुनिया का नक्शा उठा कर देखें तो सीमा रेखाओं की बहुतायत है. दुनिया देशों में बंटी हुई है और हर देश की अपनी सीमा रेखा है. उसके बाद हर देश आगे प्रदेशों में बंटा हुआ है और प्रदेशों की अपनी अपनी सीमा रेखाएं हैं. उदाहरण के लिए भारत देश 28 प्रदेशों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में बंटा हुआ है जिनकी अपनी अपनी सीमाएं हैं. अब अगर और आगे विभाजन करें तो प्रदेश जिलों में बंटे हुए हैं और हर जिले की अपनी अपनी सीमा रेखा है. और अगर जिले को बांटना हो तो तहसीलें हैं जिनकी अपनी अपनी सीमा रेखाएं खींची हैं. और फिर तहसील के बाद वार्ड या मोहल्ला, मोहल्ले के बाद गलियां, और गलियों की बाद घर. इन सब घरों की भी अपनी अपनी सीमा रेखाएं निर्धारित हैं. और घर के अंदर चलें तो ? खैर घर के अंदर की बात फिलहाल छोड़िए मामला कुछ ज्यादा लम्बा खिंच जाएगा.
इन सीमा रेखाओं का ख़याल तब आया जबकि पिछले दिनों इन्टरनेट पर एक किस्सा पढ़ा. संक्षेप में किस्सा यूँ है कि यूरोप के एक देश बेल्जियम में एक किसान अपने खेत में ट्रेक्टर चलाया करता था. जब भी वो किनारे की एक ख़ास जगह से ट्रेक्टर मोड़ता तो एक पत्थर से टकरा जाता. तंग आकर उसने एक दिन उस पत्थर को 7-8 फुट पीछे धकेल दिया. अब ट्रेक्टर चलाने में सहूलियत हो गई. कुछ दिनों बाद वहां से कोई इतिहास का जानकार निकला जिसने पत्थर को पहचान लिया. उस इतिहासकार ने सोशल मीडिया में इस पत्थर का जिक्र भी कर दिया. उसने कहा की यह पत्थर बेल्जियम और फ्रांस की सीमा रेखा का सबूत था. इसे अपनी जगह से फ्रांस की सीमा के अंदर लगभग 7 फुट खिसका दिया गया है. उस हिसाब से अब बेल्जियम का क्षेत्रफल नौं दस हज़ार वर्ग फुट बढ़ गया है और फ्रांस का घट गया है! दोनों देशों के बीच की सीमा रेखा 600 किमी से ज्यादा लम्बी है और बेल्जियम का क्षेत्रफल 30,668 वर्ग किलोमीटर है जबकि फ्रांस का क्षेत्रफल 5,43,965 वर्ग किलोमीटर है.
यह खबर इन दोनों देशों में खूब उछली, खूब कार्टून, मीम और चुटकुलेबाजी चली. दोनों देशों की बीच की सीमा का ये पत्थर 1819 में लगाया गया था. बेल्जियम के अधिकारियों ने कहा है कि उस किसान से अनुरोध किया जाएगा की पत्थर को वापिस रख दे और अगर उसने नहीं रखा तो उसके बाद आगे की कारवाई पर विचार किया जाएगा.
बेल्जियम- फ्रांस सीमा के मुकाबले भारत-पाक सीमा बिलकुल उलट है. यहां तो सातों दिन और बारहों महीने तलवारें खींची रहती हैं. क्या पता कब विस्फोट हो जाए. सीमा के नज़दीकी किसान अक्सर फ़ौज की छत्रछाया में खेती करते हैं. भारत-म्यांमार और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर भी अशांति वाले ही हैं. इनके मुकाबले भारत-नेपाल सीमा पर काफी शांति है. सभी सीमाएं शांतिमय हों तो बहुत अच्छा होगा.
इस विषय पर और आगे देखना चाहें तो यूट्यूब पर बहुत कुछ मिलेगा. इनमें से एक - बीबीसी, का लिंक नीचे दिया हुआ है.