पापा ने अपने और बच्चों के कपड़े निकाले, जूतों पर ब्रश मारा, बस्ते तैयार करवाए. उधर किचन से आवाज़ आई
- नाश्ता ले जाओ.
टोनी और बोनी ने अपने अपने परांठे गोल कर के हाथ में पकड़े और एक एक कप दूध के साथ गटक गए. फिर जूते कसे और भारी भारी बस्ते टांग लिए. अंदर से आवाज़ आई,
- चाबी संभाल ली टोनी ?
- संभाल ली संभाल ली, बस्ते में हाथ से थपथपा कर चाबी महसूस करते हुए टोनी बोला. टोनी छठी क्लास में था और बोनी तीसरी में. इसलिए चाबी की जिम्मेवारी टोनी की रहती थी. वापसी में पहले टोनी गेट का ताला खोलता और दोनों अंदर हो जाते तो गेट बंद करके ताला लगा देता था. फिर दरवाज़े का ताला खोलता था और खोलकर दोनों अंदर आ जाते और फिर दरवाज़े पर ताला लग जाता. मम्मी पापा ने सारा प्रोसीजर समझा रखा था. किसी भी हालत में अंदर आने के बाद कोई भी घंटी बजाए, चाहे दोस्त हो, रिश्तेदार हो, गैस वाला हो या पोस्टमैन हो पर गेट का ताला नहीं खुलेगा. जब तक मम्मी या पापा घर में नहीं होंगे ताला नहीं खुलेगा.
अंदर आने के बाद जूते उतार कर और कपड़े बदल कर के टोनी ने खाना गरम करना शुरू किया.
- ओये बोनी टेबल पर बर्तन लगा दे.
- लगा दिए. क्या बना है आज?
- दाल चावल हैं और खीरे टमाटर. प्याज काटूँ?
- हाँ काट दे. भाई आज सोमेश से झगड़ा हो गया.
- तू ये बता कि तूने उसे पीटा या नहीं? पहले भी तेरे को बोला था तू सबको पेल दिया कर बस. बाद में मुझे बताया कर. बोल क्या हुआ?
- अरे यार मेरे बस्ते में से पेंसिल निकाल रहा था और साथ में बके जा रहा था की तेरे पास तो तीन तीन हैं. साथ में राजेश भी आ गया और दोनों हल्ला मचाने लगे.
- मैं तुझे बता रहा हूँ ना. किसी एक को पकड़ के दो चार मुक्के मार दे और लंच में मुझे बता देना. बस आ जाऊंगा और पीट पाट दूंगा शांति हो जाएगी. डरियो मत. जा फोन उठा ले मम्मी का होगा.
दोपहर को मम्मी ऑफिस से फोन करके जरूर पूछती खाना खा लिया? यदा कदा पापा भी हाल चाल पूछ लेते थे. अगले दिन मम्मी का फोन आया तो टोनी बोला,
- मैंने तो खा लिया है. पर बोनी ने नहीं खाया.
- फोन दे उसे
- वो तो सो रहा है.
- अच्छा ठीक ही.
शाम को मम्मी ने वापिस घर आकर पूछा तो बोनी बोला पेट में दर्द हो रहा था.
- स्कूल में भी हो रहा था?
- नहीं घर आने के बाद हुआ. अब ठीक है खाना दे दो.
- कई बार ना खाने से भी पेट में दर्द हो जाता है. तू खाना जरूर खाया कर.
अगले हफ्ते में दो बार इसी तरह हो गया. स्कूल से आने के बाद बोनी के पेट में दर्द हो गया और बोनी ने खाना नहीं खाया. मम्मी ने फ़ोन पर पूछा तो बड़े बेटे ने बताया,
- इतना बोला उसे पर उसने खाया ही नहीं. मेरा कहना तो मानता इ नईं.
मम्मी के आने के बाद बोनी ने खाना खाया और उसका पेट दर्द गायब हो गया.
मम्मी ने बात पापा को बताई. दोनों ने काफी सोच विचार किया पर पेट दर्द का कारण समझ नहीं आया. ऐसा क्या हो जाता है कि स्कूल में पेट दर्द नहीं होता पर स्कूल से आने के बाद होता है और ठीक भी हो जाता है. फैसला ये हुआ की अगली बार जब ऐसी शिकायत हो तो बच्चों के डॉक्टर से मिला जाए.
दसेक दिन बाद फिर बोनी ने शिकायत की कि पेट में दर्द हो रहा था इसलिए खाना नहीं खाया. पर अब ठीक है. शनिवार शाम को उसे चाइल्ड स्पेशलिस्ट के पास ले गए और सारा किस्सा सुनाया. डॉक्टर ने देखा भाला और कहा प्रॉब्लम तो कुछ भी नज़र नहीं आ रही.
- घर में आपके कौन कौन है?
- दोपहर को तो डॉक्टर साब ये दोनों भाई ही घर में होते हैं हम दोनों तो ऑफिस जाते हैं.
- भाई कितना बड़ा है?
- जी इस से तीन साल बड़ा है. वो छठी क्लास में है ये तीसरी क्लास में.
- खाना कैसे खाते हैं ये दोनों? मतलब दोपहर का खाना कौन बनाता है?
- खाना मैं सुबह बना जाती हूँ और बड़ा बेटा आकर गरम करता है और दोनों खा लेते हैं.
- उसकी सेहत कैसी है? ये थोड़ा पतला सा है.
- उसकी सेहत ज्यादा अच्छी है डाइट भी अच्छी है. ये खाता भी कम है और गुस्सा भी ज्यादा करता है.
- बड़ा वाला दादा टाइप का है?
- हाहाहा! दादा तो नहीं है पर क्लास में और कॉलोनी में दोस्तों से डरता नहीं है. इसको भी कहता रहता है कि डरा मत कर बल्कि पीट पाट दिया कर. बाकी मैं सम्भाल लूँगा.
- हूँ. बात समझ में आई. आप दोनों बेटों को बिठा कर समझाना. बड़े को बोलना वो बड़ा भाई है बाप नहीं है!