विवाह तो अपने यहाँ दो ही तरीके से हो सके हैं जी - या तो प्रेम विवाह कर लो या फिर 'अरेंज विवाह' करवा लो. पर ये लिख कर रख लो जी कि दोनों में से कोई भी तरीक़ा आसान ना है बड़े लफड़े हैं जी दोनों में. वैसे तो अपने देश में कहीं कहीं एक तीसरा तरीक़ा भी चलता है जी शादी करने का. वो ये कि मनपसंद छोरे-छारी को उठवा लो पर हम ना हैं जी इसके फ़ेवर में. ना जी ना हम ज़िम्मेवारी नहीं लेते इस कलजुगी किडनैपी शादी की. भई शादी करवाणी है या के गिरफ़्तारी करवाणी है ? और कलजुग में स्वयंवर भी ना चलता जी.
आजकल प्रेम विवाह तो काफी चल पड़ा है जी. भई प्रेम विवाह करो तो उसमें कई मजे हैं और कई परेशानियाँ भी हैं जी. और अगर अरेंज विवाह करवाओ तो उसमें भी कई उतार कई चढ़ाव हैं जी. सौ की सीधी बात यो है जी कि दुनिया किसी रस्ते जीण ना देवे. एक बात और भी है जी जब तक शादी हो ना जाए अपनी जान टंगी रहे जी अधर में त्रिशंकु की तरह.
इस विषय पर जी जनता जनार्दन से काफी राय-मशवरा किया, किताबों में खोजबीन भी की, शास्त्रार्थ भी किया और जी सबका निचोड़ निकाल कर यूँ लिख दिया जी ताकि सनद रहे. नोट कर लो जी कि यहाँ प्रे.वि. का मतलब है प्रेम विवाह और अ.वि. का मतलब है अरेंज विवाह. पसंद आए या ना आये पढ़ने वाला खुद समझदार और जिम्मेवार है.
प्रे.वि. - अपना पाटनर स्वयं खोजना पड़ेगा और स्वयं पटाना होगा.
अ.वि. - आपका पाटनर खोजने में मम्मी पप्पा दौड़ लगाएंगे.
प्रे.वि. - बंगाली, गुजराती जो पसंद हो वही पाटनर पटा लो.
अ.वि. - ना ना ना ये चक्कर बिलकुल नहीं चलेगा. केवल बिरादरी में से मिलेगा पाटनर.
प्रे.वि. - किसी कोने किसी एरिया में देख लो - शिलॉन्ग या शिमला या शमसाबाद.
अ.वि. - झुमरी तलैय्या के हो झुमरी तलैय्या में रहो बस.
प्रे.वि. - कॉफ़ी हाउस, रीगल सिनेमा और फटफटिया के पेट्रोल के खर्चे आपके जिम्मे.
अ.वि. - सारे खर्चे पप्पा के.
प्रे.वि. - फ्री मनपसंद डिग्री मिलेगी कोई सी ले लो - लैला-मजनू , ढोला-मारू, शिरीं-फरहाद, आवारा, दीवाना, लफंत्रू.
अ.वि. - यहाँ ऐसी डिग्री मिलेगी - अच्छा बेटा, समझदार बिटिया, आज्ञाकारी, होनहार, सुलझे हुए बच्चे.
प्रे.वि. - दान दहेज़ या तो निल मिलेगा या फिर कम मिलेगा.
अ.वि. - गरम सूट से लेकर चड्डी बनियान, बर्तन भांडे से लेकर पलंग तक सब मिलेगा. गाड़ी का भी चांस है.
प्रे.वि. - पाटनर पटा के मम्मी पप्पा की भी मिन्नत करनी पड़ेगी. मम्मी जल्दी मानती है पापा देर से.
अ.वि. - मम्मी पापा मेहनत करेंगे, समझाएंगे, दुलारेंगे और पेम्पर करेंगे.
प्रे.वि. - दोस्त यार हेल्प करेंगे और भाई, बहन और रिश्तेदार टांग खीचेंगे.
अ.वि. - दोस्त यार केवल बारात में खाने पीने और नाचने आएँगे.
प्रे.वि. - शादी कोर्ट में कर सकते हो घोड़ी, बैंड-बाजे के बगैर भी हो सकती है.
अ.वि. - घोड़ी, बैंड-बाजा और बरात जरूरी है. धूम धाम और भी जरूरी है.
बस जी पहले अध्याय की इति तो यहीं करते हैं. और खबर मिलेगी तो सूचित कर दिया जाएगा. पर भई एक बात सुन लो - शादी के पहले और शादी के बाद भी बैंड तो हस्बैंड का ही बजेगा क्यूंकि पत्नी तो वो है जो पति पर तनी रहे !