shabd-logo

हवाई यात्रा के लिए बिहार देश का छाया प्रदेश

28 मई 2022

13 बार देखा गया 13

किसी भी देश के विकास में यातायात और उसमें भी वायु यातायात का योगदान अन्यतम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एक अध्ययन के हवाले से बताया है कि किस तरह वायु सेवा से तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होता है। यदि वायु सेवा पर 100 रुपए खर्च किए जाएँ तो अर्थव्यवस्था में 326 रुपये वापस आते हैं और यदि 100 लोगों को वायु सेवा के क्षेत्र में काम मिलता है तो 610 लोगों के लिए आनुषंगिक रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। पर यातायात के लिए यह आवश्यक है कि यह हर रूप में तथा हर जगह उपलब्ध हो। अन्यथा क्षेत्रीय असंतुलन की आशंका उत्पन्न होती है। इस दृष्टि से देश की आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देने वाली भारत सरकार की ‘उड़ान’ योजना – ‘उड़े देश का आम नागरिक’ – अद्भुत है। इस योजना के लागू होने के दूरगामी परिणाम होंगे।

पिछले हफ्ते ही इस क्रांतिकारी उड़ान योजना की घोषणा की गई है। इसके तहत पहली उड़ान अगले महीने से ही आरम्भ होने वाली है। इसके लिए 27 प्रस्ताव स्वीकार किए गए हैं जिनसे देश के 128 वायुमार्गों पर उड़ान की शुरुआत होगी। इस योजना के तहत पहली बार 31 नए एयरपोर्ट वायुमार्ग से जुड़ेंगे। प्रत्येक वायुयान की आधी सीटें सिर्फ 2500 रुपए में उपलब्ध होंगी ताकि आम लोग आसानी से इस सेवा का लाभ उठा सकें। अपने आप में यह एक बड़ी परिवर्तनकारी योजना है क्योंकि यदि समय की बचत की दृष्टि से देखा जाए तो अभी तक हमारे देश में हवाई यात्रा का कोई विकल्प नहीं है। वैसे दुनिया के कई देशों में तीव्र गति वाली रेल यात्रा एक विकल्प के रूप में उभरी है। पर हमारे यहाँ यह अभी दूर की कौड़ी है। इसी तरह विकसित देशों में अच्छे राजमार्गों के कारण तीव्र गति के वाहन दूसरा विकल्प बन जाते हैं। पर यह भी अन्यान्य कारणों से हमारे यहाँ अभी व्यावहारिक नहीं दिखता है। ऐसे में संभवतः भारत को हवाई यात्रा की कहीं अधिक जरूरत है। आश्चर्य नहीं कि हाल के बरसों में भारत का हवाई यात्रा का घरेलू बाजार इतनी तेजी से बढ़ा है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।

परंतु परम्परा से हमारे देश में हवाई यात्रा सदा आभिजात्य वर्ग के लिए आरक्षित सी रही है। 1990 के दशक तक हवाई यात्रा मध्य वर्ग की पहुँच से बाहर थी। एयर इंडिया का महाराजा लोगो सचमुच यह बताता रहा है कि हमारे यहाँ हवाई यात्रा सिर्फ राजा या राजा समतुल्यों के लिए ही उपलब्ध हो सकती है। वर्तमान शताब्दी में निजी हवाई कंपनियों के आ जाने और तत्जनित प्रतिस्पर्द्धा के फलस्वरूप हवाई यात्रा मध्य वर्ग की पहुँच में आई। फिर भी दो बड़ी बाधाएं बनी रहीं। पहली यह कि अभी भी हवाई यात्रा महंगी है जिससे मध्य और निम्न मध्य वर्ग बड़ी आसानी से इस यात्रा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। यदि दूसरे देशों की हवाई यात्रा से तुलना की जाए तब भी यह दिखता है कि हमारे यहाँ की हवाई यात्रा महंगी है। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि दिल्ली से तिरुवनंतपुरम तक की यात्रा दिल्ली से बैंकॉक, सिंगापुर या कुआलालम्पुर से महंगी है। दूसरी बाधा जो पहली से भी बड़ी है वह यह कि देश के खासकर पिछड़े हिस्सों में दूर-दूर तक हवाई यात्रा की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए यदि कोई अधिक पैसा खर्च करने को तैयार भी हो जाए तब भी उसे यह सुविधा नहीं मिलेगी।

इस सन्दर्भ में ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिन 128 वायुमार्गों पर यात्रा आरम्भ होने वाली है उनमें एक भी मार्ग बिहार में नहीं है। बिहार का मानचित्र देखने से पता चलता है कि इस प्रदेश का अधिकांश पहले से ही वायुमार्ग से अछूता है। बिहार के दोनों एयरपोर्ट दक्षिण बिहार के पटना और गया में हैं। इस प्रकार प्रदेश के उत्तरी तथा पूर्वी हिस्से वायुमार्ग से बहुत दूर हैं। यहाँ ध्यातव्य है कि आबादी के हिसाब से बिहार के दस सबसे बड़े जिलों में आठ – पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर, सारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और वैशाली – गंगा के उत्तर में हैं। इन आठ जिलों की आबादी 3.4 करोड़ बैठती है। वैसे भी बिहार और बंगाल देश की सबसे घनी आबादी वाले राज्य हैं और बिहार में भी गंगा से उत्तर का हिस्सा दक्षिण की तुलना में अधिक घनी आबादी वाला क्षेत्र है।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय कि बिहार का उत्तरी हिस्सा पारम्परिक यातायात के मामले में बहुत पिछड़ा है। हाजीपुर और पटना को जोड़ने वाला एक मात्र गांधी सेतु बरसों से जर्जर है। एक अनुमान के मुताबिक अभी तीन साल लगेंगे इस सेतु के पुनरुद्धार में। यानी तब तक उत्तरी बिहार के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह रेल मार्ग से भी आसानी से गंगा पार पटना नहीं जाया जा सकता। कहते हैं कि अभी रेलमार्ग में भी समय लगेगा। ऐसे में अच्छा होता यदि कम-से-कम मुजफ्फरपुर से नियमित उड़ान की शुरुआत होती। इससे एक साथ मुजफ्फरपुर के अलावा दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जैसे जिलों में पहुंचना आसान हो जाता। इसी तरह बिहार के पूर्वी हिस्से के लिए भागलपुर को भी वायुमार्ग से जोड़ने की जरुरत है।

परंतु यह घोर विडम्बना ही है कि 10 करोड़ से भी अधिक जनसंख्या वाला देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य – बिहार – इस योजना से पूरी तरह बाहर है। यह चौंकाने वाली बात है कि जहाँ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम जैसे राज्यों के अपेक्षाकृत कई छोटे-छोटे शहर नियमित वायुसेवा से लाभान्वित होंगे वहीँ इन राज्यों से बड़ा राज्य इस सुविधा से वंचित रहेगा।

हवाई यात्रा किसी शहर के विकास में कितनी सहायक होती है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षा के अतिरिक्त बड़ी-बड़ी गोष्ठियों-सम्मेलनों के लिए भी हवाई यात्रा अत्यंत आवश्यक है। किसी प्रमुख पर्यटन केंद्र की आज कल्पना करना भी कठिन है जहाँ हवाई यात्रा की सुविधा न हो। बिहार जैसी जगह में भी गया में एयरपोर्ट का होना इस बात का सबूत है। इस तरह वायु मार्ग से जुड़ना विकास का एक प्रमाणपत्र है। इस नाते यह स्पष्ट है कि बिहार अभी भी अति पिछड़ा है।

वैसे तो मार्गों के चयन के लिए अनेक कारक उत्तरदायी हैं। परंतु राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका और एयरलाइन की उपलब्धता प्रमुख कारक माने जा सकते हैं। बिहार इन दोनों कारकों में पिछड़ गया। पर इससे भी बड़ा कारण संभवतः यह है कि आज भी बिहार अत्यंत निर्धन राज्य है। इसकी प्रति व्यक्ति आय की तुलना में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की प्रति व्यक्ति आय ढाई से तीन गुनी ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय यदि अधिक हो तो क्रय शक्ति भी ज्यादा होती है और उसके अनुसार लोगों की इच्छाएं और आकांक्षाएं भी बढ़ती हैं जिससे सरकार पर दबाव बनता है और उसकी प्राथमिकता निर्धारित होती है। कहने की आवश्यकता नहीं कि अभी हवाई यात्रा सरकार की प्राथमिकता में शामिल नहीं है।

वैसे अन्य मार्गों पर हवाई यात्रा आरम्भ करने के लिए फिर से निविदाएं मंगाई जाएँगी और आशा है कि अगली बार बिहार का कोई शहर वायु मार्ग से जुड़ेगा। परंतु समस्या यह है कि बिहार के पास समय नहीं है। जैसे मुट्ठी से रेत निकलती है वैसे ही बिहार के हाथ से समय निकल रहा है। बिहार को अब एक-एक कदम नहीं बल्कि छलांग लगाकर आगे बढ़ना है।

जिस देश में एक ओर हिमालय की छाती चीरकर जम्मू और श्रीनगर के बीच 9.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बन जाती हो और जो एशिया की सबसे लंबी और आधुनिकतम सुरंगों में गिनी जाती हो। उसी देश के दूसरे हिस्से में एक अदद जर्जर पुल के सहारे करोड़ों लोग देश के बाकी हिस्से से जुड़ने को मजबूर हैं। ऐसे में यही लगता है कि कम-से-कम हवाई यात्रा की दृष्टि से बिहार देश का छाया प्रदेश है।

लेखक निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग , वित्त मंत्रालय ,भारत सरकार में संयुक्त सचिव हैं। लेख में व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं ।

4  सितम्बर 2018 

डॉ. शैलेन्द्र कुमार की अन्य किताबें

41
रचनाएँ
डॉ. शैलेन्द्र कुमार के आर्टिकल
0.0
डॉ. कुमार ने 1992 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके और प्रशिक्षण प्राप्त करके भारत सरकार में पदासीन हुए ।
1

तुर्की : ईसाइयत और इस्लाम द्वारा सनातन धर्म का विनाश

28 मई 2022
1
0
0

डॉ. शैलेन्द्र कुमार तुर्की : एक परिचय इस्लाम की दृष्टि से तुर्की एक महत्वपूर्ण देश है । यह संसार के सभी मुसलमानों के मजहबी और राजनीतिक मुखिया — खलीफा का मुख्यालय भी रह चुका है ।1 तुर्की की सरकार के

2

तीन मुसलमान विद्वानों से बातचीत

28 मई 2022
2
0
0

इस्लाम का थोड़ा-बहुत अध्ययन करने के बाद मेरे मन में यह विचार आया कि देखें मुसलमान विद्वान इस्लाम के बारे में क्या सोचते हैं ? शताब्दियों से इस देश में रहते हुए भी मुसलमान अपनी पहचान को लेकर सदा इतने द

3

तिब्बतम शरणम गच्छामि

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दो महीनों से हम चीन के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में उलझे हुए हैं । पर जब तक बात केवल उलझने तक ही सीमित थी, तब तक तो सह्य थी । लेकिन अभी चार दिन पहले दोनों सेनाओं के बीच जमकर हाथपाई हुई और वह भी

4

मित्र संजय नहीं रहे

28 मई 2022
1
0
0

– प्रोफेसर डॉक्टर संजय जैन नहीं रहे!! – आज शुक्रवार की सुबह कैसी मनहूस सुबह थी, जब एक मित्र से इस अनपेक्षित, अप्रत्याशित और हृदय को क्षत-विक्षत करने वाली घटना का अत्यंत दुखद समाचार मिला । पल भर के लि

5

इन्दौर दौरे के बहाने

28 मई 2022
0
0
0

13 अभी पिछले सप्ताह मेरा इन्दौर का दो-दिवसीय दौरा हुआ। वहां राजभाषा संगोष्ठी थी। कहने को तो यह मेरा तीसरा दौरा था, लेकिन इन्दौर को थोड़ा ध्यान देकर पहली बार देखा। लगभग बीस लाख की जनसंख्या के साथ इन्दौ

6

जीते

28 मई 2022
1
0
1

एक दिन वसंत वाटिका में सुबह की सैर करके जब मैं घर लौट रहा था तो दाहिने  तलवे में थोड़ा दर्द महसूस हुआ। घर में कुर्सी पर बैठकर जब दाहिने पैर का जूता  उतारकर देखा तो पाया कि जूते की तल्ली का अग्रभाग घिस

7

ईरानी क्रांति के चालीस साल : क्या खोया, क्या पाया

28 मई 2022
0
0
0

वैसे तो ईरानी क्रांति जनवरी 1979 में ही शुरु हो गई थी, पर नई व्यवस्था की शुरुआत फरवरी में हुई। इस प्रकार क्रांति के चालीस वर्ष हो चुके हैं। आवश्यक है कि इसका लेखा-जोखा किया जाए। यह दुखद है कि इस ऐतिहा

8

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस

28 मई 2022
0
0
0

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस मुखिया ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर इस बात पर घोर आपत्ति जताई है कि क्यों आजकल टीवी चैनलों पर ऐसी बात की जाती है कि भारत में मध्यकाल में तलवा

9

सर सैयद अहमद खां का वक्तव्य

28 मई 2022
0
0
0

1 अगस्त 2018 के जनसत्ता में आलोक मेहता का लेख ‘विश्वास का पुल’ पढ़ा। इसमें सर सैयद अहमद खां के जिस वक्तव्य को उद्धृत किया गया है उससे उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पक्ष उजागर होता है, जबकि उनके व्यक्तित

10

संकट में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली

28 मई 2022
0
0
0

संभवतः जब से मनुष्य इस धरा पर आया है तब से वह किसी न किसी तरह अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है। इसलिए प्राचीन काल से ही अनेक देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नाना प्रकार की खोजें हुईं। भारत में तो

11

एमएफएन का दर्जा और पाकिस्तान

28 मई 2022
1
0
1

पिछले दिनों उड़ी में अठारह भारतीय जवानों की आतंकवादियों द्वारा हत्या के बाद देश में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश चरम सीमा पर पहुँच गया। कहा यह भी जाने लगा कि यह आक्रोश 1965 के युद्ध जैसा था। फिर भारत की ओ

12

जेवर से उत्तर प्रदेश का भाग्योदय

28 मई 2022
0
0
0

भारत सरकार ने जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना की घोषणा करके न केवल बरसों पुरानी माँग को ही पूरा किया है बल्कि इससे उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को अभूतपूर्व गति देने का भी काम किया है। वै

13

इस्लामी लकीर के फकीर

28 मई 2022
0
0
0

अभी पिछले दिनों पटना में एक मुस्लिम मंत्री ने जय श्रीराम का नारा लगाया। जिसके बाद एक मुफ्ती ने उन्हें काफिर करार दिया। मजबूरन उन्हें माफी माँगनी पड़ी, जिससे उनके पाप का प्रायश्चित हो गया और पुनर्मूषिको

14

विश्व व्यापार संगठन का नैरोबी मंत्रिसम्मेलन और भारत की भूमिका

28 मई 2022
0
0
0

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का दसवां मंत्रिसम्मेलन अफ़्रीकी देश केन्या की राजधानी नैरोबी में चार की जगह पांच दिनों (15-19 दिसंबर) में संपन्न हुआ। अफ़्रीकी महादेश में होनेवाला यह पहला मंत्रिसम्मेलन

15

जाति बंधन नहीं l

28 मई 2022
0
0
0

अमरीका के प्रतिष्ठित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीवन पिंकर, जो हाल ही में भारत की यात्रा पर थे, की स्थापना है कि ‘हमें ऐसा लग सकता है कि विश्व में गिरावट आ रही है। परंतु यह हमारी समझ की समस्

16

दर्शनीय दुमका

28 मई 2022
0
0
0

”दर्शनीय दुमका ”आलेख के लिए सर्वप्रथम मैं अपने मित्र साकेश जी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने दुमका और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों, जैसे बासुकिनाथ धाम, मसानजोर बांध और रामगढ़ स्थित छिन्न

17

ईद, बकरीद और मुहर्रम

28 मई 2022
0
0
0

इस्लाम के तीन प्रमुख त्यौहार हैं — ईद, बकरीद और मुहर्रम । जहां ईद का संबंध इस्लाम के जन्मदाता मुहम्मद पैगंबर और कुरान से है, वहीं बकरीद का यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों  — तीनों के पहले पैगंबर यानी इ

18

मास्साहब

28 मई 2022
0
0
0

हमारे कस्बानुमा बड़े गांव — बथनाहा के पूर्वोत्तर में एक छोटा सा गांव है — बंगराहा । पता नहीं यह नाम कब रखा गया और इसका क्या अर्थ हो सकता है ? संभव है बंग से बंगाल शब्द का कोई लेना-देना हो । वैसे भी सद

19

राजा राममोहन राय -एक रहस्यमय व्यक्तित्व

28 मई 2022
0
0
0

राजा राममोहन राय, इस नाम से देश के सभी साक्षर और शिक्षित अवश्य परिचित होंगे, क्योंकि उनके विषय में इतिहास की विद्यालयी पुस्तकों में थोड़ा-बहुत उल्लेख अनिवार्यत: मिलता है। उन्हें भारतीय नवजागरण का अग्र

20

वो महिला

28 मई 2022
0
0
0

प्रातः बेला मैं तैयार होकर गुवाहाटी से शिवसागर, असम की पुरानी राजधानी, की यात्रा के लिए गाड़ी में बैठा। हमारा ड्राइवर असम का ही था। उसकी कद-काठी अच्छी थी। नाम था खगेश्वर बोरा। वह सहज रूप से हिन्दी बोल

21

जम्मू-कश्मीर को उर्दू नहीं हिन्दी, कश्मीरी और डोगरी चाहिए

28 मई 2022
0
0
0

यदि हम भारत के भाषायी परिदृश्य पर ध्यान दें तो हमें पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर जैसी अतिशोचनीय स्थिति किसी और राज्य की नहीं है। यहां एक ऐसी भाषा राजभाषा बनकर राज कर रही है जिसकी उपस्थिति उस राज्य में नग

22

अटेंडेंट

28 मई 2022
0
0
0

सूर्यास्त की बेला — मैं नहा धोकर बचे हुए पानी से गमलों के पौधों की सिंचाई में लग गया। देखा एक पौधा सिकुड़कर छोटा हो गया है और मुरझा गया है। मन में ग्लानि हुई कि यह मेरे ध्यान न देने का फल है। पानी ही

23

गौरी

28 मई 2022
0
0
0

चैत्र मास समाप्ति की ओर है। यद्यपि दोपहर के बाद तो अब सूर्यदेव अपना प्रचंड रूप दिखाने लगे हैं, परंतु प्रातः बेला अभी भी शीतल है। बालसूर्य की नयनाभिराम बेला। टहलने के लिए उपयुक्त समय। इसलिए इसी बेला मे

24

‘ लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘

28 मई 2022
0
0
0

लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘ लखनऊ की प्राचीन गाथा कहने का एक लघु किंतु क्रांतिकारी प्रयास डॉ शैलेन्द्र कुमार स्वतंत्रता पूर्व विदेशी इतिहासकारों और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे इतिहासकार

25

बांग्लादेश : आहत लोकतंत्र

28 मई 2022
0
0
0

हाल ही में संपन्न हुए बांग्लादेश के चुनाव पर हमारे देश के हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में जितने भी लेख छपे उनमें से अधिकतर में यह भाव मुखर था कि शेख हसीना की जीत भारत के लिए बहुत लाभकारी है। इस प्

26

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम।

28 मई 2022
0
0
0

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम। इन दिनों वाराणसी में गंगा नदी में नौका विहार करते हुए एक विदेशी पर्यटक का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल ( प्रचलित ) हुआ है। वीडियो में यह व

27

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता

28 मई 2022
0
0
0

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता डॉ शैलेन्द्र कुमार सारांश इस लेख का सर्वप्रधान उद्देश्य यह दर्शाना है कि भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता शेख अहमद सरहिंदी था। इ

28

गो रक्षण, जिन्ना और अम्बेडकर

28 मई 2022
1
0
0

शेख मुजिबुर रहमान, जो जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाते हैं, का पिछले 25 जून को ‘द हिंदू’ दैनिक में गो रक्षण के नाम पर घटित हिंसक घटनाओं को लेकर एक अतार्किक और अत्यंत आपत्तिजनक लेख प्रकाशित हुआ। इस स

29

मस्जिद की अनिवार्यता

28 मई 2022
0
0
0

फैजुर रहमान का 7 अगस्त के ‘द हिंदू’ दैनिक में ‘मस्जिद की अनिवार्यता’ विषय पर एक लेख प्रकाशित हुआ। रहमान एक इस्लामी मंच के महासचिव हैं जिसका उद्देश्य है संयत विचार को बढ़ाना या बढ़ावा देना। इस लेख का म

30

अनन्य हिंदी प्रेमी अटल बिहारी वाजपेयी

28 मई 2022
0
0
0

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के राजनैतिक क्षितिज में पिछले कई दशकों से सर्वाधिक चमकता हुआ सितारा थे। अपनी मिलनसार प्रवृत्ति, विलक्षण वाकपटुता, मनमोहक वक्तृत्वकला और असाधारण प्रतिउत्पन्नमति के कारण सारे देश

31

स्वच्छ भारत की ओर निर्णायक कदम

28 मई 2022
0
0
0

हमारे देश में गाँव कविता के विषय के रूप में कवियों को आकर्षित करता रहा है। मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियाँ तो जगप्रसिद्ध रही हैं – “अहा ! ग्राम जीवन भी क्या है। क्यों न इसे सबका जी चाहे।“ इसी तरह सुमि

32

शैक्षणिक संस्थानों का देश के विकास में योगदान

28 मई 2022
0
0
0

आधी सदी पहले ही अर्थशास्त्रियों ने किसी भी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा के महत्व को समझ लिया था। बाद में यह विचार फैलने लगा कि शिक्षा किसी भी व्यक्ति को स्थायी रूप से परिवर्तित कर देती है और उसे मान

33

पाकिस्तान में जनसंख्या विस्फोट के निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दिनों करीब दो दशक बाद पाकिस्तान की छठवीं जनगणना सम्पन्न हुई। इसके अनुसार आज पाकिस्तान की जनसंख्या 20 करोड़ 78 लाख है। 1998 में की गई पिछली जनगणना में पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ थी और उस

34

हवाई यात्रा के लिए बिहार देश का छाया प्रदेश

28 मई 2022
0
0
0

किसी भी देश के विकास में यातायात और उसमें भी वायु यातायात का योगदान अन्यतम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एक अध्ययन के हवाले से बताया है कि किस तरह वायु सेवा से तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होता है।

35

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले ‘दिनकर’

28 मई 2022
1
1
0

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले सचमुच में दिनकर ही थे। रामधारी सिंह दिनकर में साहित्य सर्जन के गुण नैसर्गिक रूप से विद्यमान थे। इसलिए आश्चर्य नहीं कि केवल पंद्रह वर्ष की आयु में ही उनका

36

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव के संकट में आ जाने के कारण वहाँ का राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश

37

क्यों नहीं मिल रहा रोजगार युवाओं को?

28 मई 2022
0
0
0

उन्नीस सौ नब्बे के दशक में आरंभ हुए आर्थिक उदारीकरण के परिणामस्वरूप माना जाता है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर में अभूतपूर्व तेजी आई। जबकि आजादी के बाद से 1980 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर औसतन सिर्फ 3.5

38

नेताजी का अमूल्य योगदान इतिहासकारों का मोहताज नहीं

28 मई 2022
0
0
0

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की तरह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के पहली पंक्ति के नेता थे। पर अपने आप को भारत माता पर उत्सर्ग करने की आतुरता में उनकी तुलना शहीद भगत सिंह जैसे वीरों

39

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर ?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव में राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तथा एक न्यायाधीश को गिरफ़्तार

40

भारत-अफ्रीका के गहराते संबंध और इनके निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मलेन के तीसरे संस्करण का आयोजन 26 से 29 अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में होने जा रहा है। सभी 54 अफ़्रीकी देशों को निमंत्रण देकर भारत सरकार ने अफ्रीका से अपने संबंधों को आगे ले जा

41

1857 की क्रांति की 160वीं जयंती

28 मई 2022
1
0
0

आज ही के दिन ठीक एक सौ साठ साल पहले यानी 10 मई 1857 को जिस ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात मेरठ से हुआ वह कई अर्थों में विलक्षण थी । क्रांति का क्षेत्र व्यापक था और इसका प्रभाव लम्बे समय तक महसूस किया गय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए