भारत सरकार ने जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना की घोषणा करके न केवल बरसों पुरानी माँग को ही पूरा किया है बल्कि इससे उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को अभूतपूर्व गति देने का भी काम किया है। वैसे भी दिल्ली अब अपने आप में एक छोटा संसार बन चुकी है। दिल्ली से जुड़े और दिल्ली पर निर्भर शहरों – गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम – की आबादी यदि जोड़ दी जाए तो दिल्ली एग्लोमेरेट (नगर समूह) की कुल आबादी पौने तीन करोड़ बैठती है। ऐसे में जाहिर है एक जगह से दूसरी जगह जाना कठिन होता जा रहा है। इसलिए आश्चर्य नहीं कि लंदन, पैरिस, नई यॉर्क आदि शहरों में लम्बे समय से अलग-अलग स्थानों पर कई हवाई अड्डे बनाए गए हैं।
यदि यात्रियों की सुविधा की दृष्टि से देखें तो जहाँ एक ओर दिल्ली आने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आएगी वहीँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को हवाई यात्रा के लिए बहुत दूर नहीं जाना होगा। परिणामस्वरूप धन, समय और ईंधन की बचत होगी।
परन्तु इसका सबसे बड़ा दूरगामी परिणाम उत्तर प्रदेश के विकास में इसके महती योगदान के रूप में होगा। बीस करोड़ आबादी के साथ उत्तर पदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन आर्थिक और सामाजिक के कई संकेतकों में यह बहुत पिछड़ा हुआ है। इस प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दर, बाल मृत्यु दर आदि राष्टीय औसत से बहुत कम है। चूंकि आबादी के हिसाब से यह देश का छठा हिस्सा है इसलिए इसके ख़राब प्रदर्शन से राष्ट्रीय प्रदर्शन पर गहरा असर पड़ता है। यदि उत्तर प्रदेश की विकास दर बहुत तेज हो जाए तो पूरे देश की विकास दर में अपने-आप तेजी आ जाएगी।
इस नजरिए से जेवर हवाई अड्डे का उत्तर प्रदेश के विकास में महती योगदान होनेवाला है। किसी भी देश के विकास में यातायात और उसमें भी वायु यातायात का योगदान अन्यतम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एक अध्ययन के हवाले से बताया है कि किस तरह वायु सेवा से तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होता है। यदि वायु सेवा पर 100 रुपए खर्च किए जाएँ तो अर्थव्यवस्था में 326 रुपये वापस आते हैं और यदि 100 लोगों को वायु सेवा के क्षेत्र में काम मिलता है तो 610 लोगों के लिए आनुषंगिक रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद आदि शहर उत्तर पदेश के सबसे संपन्न शहर माने जाते हैं। दिल्ली से जुड़े होने के कारण इन्हें भरपूर लाभ मिला है। यहाँ मीडिया, आईटी, नॉलेज पार्क सहित ढेरों शिक्षण संस्थान, भाँति-भाँति के कल-कारखाने आदि हैं। किसी ज़माने में उच्च शिक्षा के लिए प्रसिद्द रहे इलाहाबाद और बनारस से कहीं अधिक छात्र आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में पढ़ते हैं। इसलिए इन सारी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में हवाई अड्डे के कारण पंख लग जाएंगे। देश और दुनिया के किसी भी हिस्से से यहाँ आना अत्यंत आसान हो जाएगा।
इस हवाई अड्डे से आस-पास के अन्य सभी शहर जैसे मथुरा, आगरा, बुलंदशहर, मेरठ भी लाभान्वित होंगे। एयरलाइन्स के दफ्तर, होटल, माल की आवाजाही के लिए कार्गो, सुरक्षा, सफाई, दुकानें, टैक्सी आदि से बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होंगे। आईटी क्षेत्र में तो अभूतपूर्व प्रगति की संभावना है। इसी तरह छात्र और शिक्षक के लिए भी यह वरदान साबित होगा। अब दूर-दूर से छात्र और शिक्षक आ-जा सकेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर्यटन के लिए प्रसिद्द है। यहाँ आगरा, फतेहपुर सीकरी, मथुरा, हस्तिनापुर जैसे बहुचर्चित स्थल हैं जहाँ जाना अब आसान हो जाएगा। पर्यटन पूरी दुनिया में सबसे अधिक रोजगार मुहैया कराने वाला क्षेत्र है। इसलिए आशा की जा सकती है कि लगभग सारा-का-सारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस हवाई अड्डे से भरपूर लाभ उठा सकेगा।
यदि समय की बचत की दृष्टि से देखा जाए तो अभी तक हमारे देश में हवाई यात्रा का कोई विकल्प नहीं है। वैसे दुनिया के कई देशों में तीव्र गति वाली रेलयात्रा एक विकल्प के रूप में उभरी है। पर हमारे यहाँ यह अभी दूर की कौड़ी है। इसी तरह विकसित देशों में अच्छे राजमार्गों के कारण तीव्र गति के वाहन दूसरा विकल्प बन जाते हैं। पर यह भी अन्यान्य कारणों से हमारे यहाँ अभी व्यावहारिक नहीं दिखता है। ऐसे में संभवतः भारत को हवाई यात्रा की कहीं अधिक जरूरत है। आश्चर्य नहीं कि हाल के बरसों में भारत का हवाई यात्रा का घरेलू बाजार इतनी तेजी से बढ़ा है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
परंतु परम्परा से हमारे देश में हवाई यात्रा सदा आभिजात्य वर्ग के लिए आरक्षित सी रही है। 1990 के दशक तक हवाई यात्रा मध्य वर्ग की पहुँच से बाहर थी। एयर इंडिया का महाराजा ‘लोगो’ (निशान) सचमुच यह बताता रहा है कि हमारे यहाँ हवाई यात्रा सिर्फ राजा या राजा समतुल्यों के लिए ही उपलब्ध हो सकती है। वर्तमान शताब्दी में निजी हवाई कंपनियों के आ जाने और तत्जनित प्रतिस्पर्द्धा के फलस्वरूप हवाई यात्रा मध्य वर्ग की पहुँच में आई। फिर भी दो बड़ी बाधाएं बनी रहीं। पहली यह कि अभी भी हवाई यात्रा महंगी है जिससे मध्य और निम्न मध्य वर्ग बड़ी आसानी से इस यात्रा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। यदि दूसरे देशों की हवाई यात्रा से तुलना की जाए तब भी यह दिखता है कि हमारे यहाँ की हवाई यात्रा महंगी है। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि दिल्ली से तिरुवनंतपुरम तक की यात्रा दिल्ली से बैंकॉक, सिंगापुर या कुआलालम्पुर से महंगी है। दूसरी बाधा जो पहली से भी बड़ी है वह यह कि देश के खासकर पिछड़े हिस्सों में दूर-दूर तक हवाई यात्रा की कोई सुविधा नहीं है। इसलिए यदि कोई अधिक पैसा खर्च करने को तैयार भी हो जाए तब भी उसे यह सुविधा नहीं मिलेगी।
इस दृष्टि से सरकार की ‘उड़ान’ योजना ने विमानन क्षेत्र में जान फूँक दी है। ‘उड़ान’ योजना के हिसाब से पांच सौ किलोमीटर तक की यात्रा के लिए सिर्फ 2500 रूपए ही लगेंगे। इससे मध्य और निम्न मध्य वर्ग भी हवाई यात्रा का लाभ उठा सकेंगे। अब कानपुर, बरेली, लखनऊ, इलाहबाद, बनारस और गोरखपुर भी जेवर से सीधे वायु मार्ग से जुड़ जाएंगे। अन्तोगत्वा सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश का होगा। असल में अब समय आ गया है कि उतर प्रदेश देश का उत्तम प्रदेश बने।
लेखक निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग , वित्त मंत्रालय ,भारत सरकार में संयुक्त सचिव हैं। लेख में व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं ।
4 सितम्बर 2018