shabd-logo

मस्जिद की अनिवार्यता

28 मई 2022

22 बार देखा गया 22

फैजुर रहमान का 7 अगस्त के ‘द हिंदू’ दैनिक में ‘मस्जिद की अनिवार्यता’ विषय पर एक लेख प्रकाशित हुआ। रहमान एक इस्लामी मंच के महासचिव हैं जिसका उद्देश्य है संयत विचार को बढ़ाना या बढ़ावा देना। इस लेख का मुख्य लक्ष्य यह साबित करना है कि मस्जिद इस्लाम के लिए अनिवार्य है और इस प्रकार इस्लाम का अभिन्न अंग है। रहमान 1994 में इस्माइल फारुकी बनाम भारत सरकार के मामले में न्यायालय द्वारा दिए इस निर्णय से आहत हैं जिसमें कहा गया था कि “मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है, यहां तक कि खुले में भी।”

इस लेख की विडंबना यह है कि रहमान ने एक भी सार्थक तर्क अपने पक्ष में नहीं दिया है। जिन दो अन्य मामलों को उद्धृत किया गया है वे दोनों हिंदू धर्म से संबंधित हैं। रहमान को पता होगा कि मंदिर, गिरजाघर, गुरुद्वारा आदि का समाज में बहुत ही व्यापक महत्व है। ठीक वैसा महत्व मस्जिद का नहीं है। हिंदू धर्म में तो मंदिर धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र रहे हैं। भारत में चाहे वह मूर्तिकला हो, स्थापत्यकला हो, चित्रकला हो या संगीत, गायन, शिक्षण, नृत्य जैसी विधाएं सबका उद्गम स्थल मंदिर ही रहे हैं। यहां तक कि अनेक ग्रंथ मंदिर में ही लिखे गए हैं। इसके अतिरिक्त जन्म से लेकर मृत्यु तक के अधिकतर संस्कार भी मंदिर में ही संपन्न होते रहे हैं। विवाह और श्राद्ध जैसे संस्कारों के लिए मंदिर की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। मंदिर पुराने जमाने में बैंक का भी काम करते रहे हैं। यही कारण है कि मंदिरों में सदा ढेरों सोना-चाँदी रखी जाती थी। कुछ-कुछ इसी तरह गुरुद्वारा और गिरजाघर भी अपनी-अपनी जगह समाज के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। लेकिन ठीक यही बात मस्जिद के विषय में नहीं कही जा सकती।

जहां तक नमाज पढ़ने की बात है तो सचमुच हमें देखने में आता है कि कोई कहीं भी नमाज पढ़ लेता है। मस्जिद की बनावट के लिए भी कोई खास नियम देखने में नहीं आते हैं। गावों में तो सिर्फ चारदीवारी से घेर कर किसी खाली जगह का इस्तेमाल नमाज पढ़ने के लिए किया जाता है। कई देशों के हवाईअड्डों में ऐसे ही किसी हॉलनुमा जगह को नमाज के लिए निर्धारित कर दिया जाता है। जबकि दूसरी ओर मंदिर की निर्माण प्रक्रिया ही जटिल होती है। इसमें मूर्तियां, गर्भगृह, परिक्रमापथ, गोपुरम आदि का होना आवश्यक है। वैसे भी चूंकि हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की बड़ी संख्या है इसलिए उन्हें उपयुक्त स्थान देने के लिए भी मंदिर का काम जटिल और व्यापक हो जाता है। इस प्रकार मंदिर हिंदू धर्म के केंद्र में है और धर्म का अभिन्न हिस्सा भी। अतः जिन दोनों मामलों का उल्लेख रहमान ने किया है वे मस्जिद के संदर्भ में प्रासंगिक नहीं हैं।

इसके बाद रहमान ने कुरान और हदीस का उल्लेख करके यह साबित करने की कोशिश की है कि किस प्रकार मस्जिद इस्लाम का हिस्सा रही है। इस संदर्भ में सबसे पहले तो यह बताने की जरूरत है कि मस्जिद का महत्वपूर्ण होना उसके अनिवार्य होने से भिन्न बात है। रहमान स्वयं कुरान की एक भी पंक्ति प्रस्तुत नहीं कर पाए जिससे स्पष्ट रूप से साबित हो कि मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है। और चूंकि कुरान इस्लाम का सर्वप्रमुख ग्रंथ है इसलिए उसमें इस तरह की बात का न होना रहमान के तर्क को निर्बल बना देता है। रहमान ने संभवतः कुरान की उस आयत का उल्लेख जान बूझकर नहीं किया है जिससे स्पष्ट रूप से साबित हो जाता है कि इस्लाम में मस्जिद अनिवार्य नहीं है। कुरान के ‘सूरए बकरा’ की मस्जिद से संबंधित आयत (115) इस प्रकार है: (तुम्हारे मस्जिद में रोकने से क्या होता है क्योंकि सारी जमीन) खुदा की है (क्या) पूरब (क्या) पश्चिम बस जहां कहीं किब्ले की तरफ रुख करो वही खुदा का सामना है। बेशक खुदा बड़ी गुंजाइश वाला और खूब वाकिफ है (http://ummat-e-nabi.com/holy-quran-in-hindi/)।

कुरान के बाद रहमान हदीस को ओर जाते हैं। इस संदर्भ में भी यदि उनके लिखे को ही मान लिया जाए तो भी वह यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है। दरअसल हदीस से यह बात तो स्पष्ट होती है कि नमाज समूह में पढ़नी चाहिए और ऐसा करने पर 27 गुना अधिक लाभ या पुण्य मिलता है। पर इस सामूहिकता के लिए मस्जिद का होना अनिवार्य है यह स्पष्ट नहीं होता है।

हदीस को लेकर दूसरी बात यह है कि हदीस को कितना महत्व दिया जाए ? जानी-मानी साहित्यकार और स्तंभकार तसलीमा नसरीन केरल की जमीदा बीबी के विषय में लिखती हैं कि जमीदा कुरान पर यकीन करती हैं, हदीस पर नहीं (दैनिक जागरण, 2 अप्रैल 2018)। उनका तर्क है कि हदीस अल्ला या रसूल ने नहीं लिखी। हदीस रसूल के अनुयायियों ने लिखी। इन अनुयायियों पर जमीदा को यकीन नहीं। जमीदा वही हैं जिन्होंने मल्लापुरम के चेरूकोड़ गांव में जुम्मे की नमाज पढ़ाकर और उसमें पुरुषों को शामिल करके असंभव को संभव कर दिया।

हदीस को लेकर एक और समस्या यह है कि इसको पढ़कर लोगों में कुछ बातों को लेकर संशय ही पैदा होता है। उदाहरण के लिए तसलीमा बताती हैं कि किसी हदीस में लिखा है कि महिलाएं शिक्षा के लिए सुदूर चीन भी जा सकती हैं। किसी में लिखा है खबरदार, महिलाएं घर की चौखट भी नहीं लांघ सकतीं। इन दो तरह की बातों से लोगों में संशय पैदा होता है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि हिंदू, ईसाई आदि धर्मों की तुलना में इस्लाम सरल है। नमाज पढ़ने के लिए मुसलमानों को किसी पंडित-पुजारी की वैसी आवश्यकता नहीं है जैसी अन्य धर्मों में होती है। इस्लाम की इस सरलता को उसके प्रसार में सहायक माना गया है। इससे भी यही लगता है कि मस्जिद अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इस्लाम निराकार एकेश्वरवाद को मानता है। मूर्ति, चित्र आदि की तो इस्लाम में मनाही है। इस प्रकार एक भवन में नमाज को सीमित करना भी इस्लाम की मान्यता के साथ मेल नहीं खाता है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि क्या कुरान या हदीस की सारी बातें मुस्लिम मानते हैं? तो उत्तर होगा, नहीं। कुरान में कहते हैं निकाह-हलाला जैसी कुरीतियों का वर्णन नहीं है। इसी प्रकार लड़के और लड़की के खतना का भी उल्लेख नहीं है। फिर ये सारे काम अपनी मर्जी या परंपरा से किए जाते हैं।

रहमान ने बड़े जोर-शोर से बताया है कि किस प्रकार समाज में समानता स्थापित करने के लिए मस्जिद में एक साथ नमाज पढ़ना कितना महत्वपूर्ण रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने पुरुष और महिला की समानता की बात भी की है। पर इस बारे में सच क्या है ? क्या हमारे यहां की मस्जिदों में महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है ? उत्तर है, नहीं दी जाती है। महिलाएं यदि मस्जिद जाती हैं तो उन्हें मस्जिद की दीवार की ओर रुख करके नमाज पढ़नी होती है। श्रीनगर के हजरतबल में स्पष्ट रूप से मस्जिद के अंदर वाले द्वार के ऊपर लिखा है कि इसके आगे महिलाएं नहीं जा सकतीं। तसलीमा अपने उसी लेख में लिखती हैं कि “कई अन्य मुस्लिम देशों में महिलाएं मस्जिद में जाकर नमाज अदा करती हैं, लेकिन भारतीय उपमहादेश में महिलाओं के कदम-कदम पर बेड़ियां डाली गई हैं। किसी मस्जिद में पुरुषों के नमाज पढ़ने के स्थान के पास दीवार घेरकर महिलाओं के लिए स्थान बनाए गए हैं। वहां महिलाएं नमाज पढ़ सकती हैं, लेकिन अधिकतर मस्जिदों में बड़े-बड़े अक्षरों में नोटिस चस्पा है कि महिलाओं का प्रवेश निषेध है। कहा जाता है कि जमात में यानी जब कई लोग एक साथ नमाज पढ़ते हैं तो उसका सवाब अधिक मिलता है। आखिर महिलाओं को जमात का सवाब क्यों नहीं लेने दिया जाता ? अंत में तसलीमा लिखती हैं कि इस्लाम समानता की बात करता है, यह सुन-सुनकर मेरे कान पक चुके हैं। मैं सच में यह देखना चाहती हूँ कि इस्लाम समानता की बातें करता है।” इसलिए प्रश्न यह उठता है कि कुरान और हदीस का उल्लेख करना किस सीमा तक उचित है ?

रहमान ने अपने लेख में यहां तक लिख दिया है कि यह कैसा न्याय है कि एक ओर तो न्यायालय खुले में नमाज पढ़ने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली के पास गुरूग्राम में हाल ही में मई महीने में खुले में नमाज पढ़ने पर दक्षिण पंथियों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। तो ऐसे में मुस्लिम क्या करें ? रहमान द्वारा उल्लिखित इस संदर्भ से भी यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि वास्तव में लोग खुले में नमाज पढ़ते हैं। यह परंपरा कितनी गहरी है यह भी पता चलता है।

जिस मामले को लेकर रहमान ने यह लेख लिखा है उसका संदर्भ बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद है। इस संबंध में यह कहना उपयुक्त होगा कि जिस तरह से मस्जिद गिरायी गई वह निश्चित रूप से कानून को अपने हाथ में लेना था और इसीलिए यह मामला अब तक न्यायालय के अधीन है। परंतु मूल विषय यह है कि आज के मुस्लिम यह क्यों नहीं सोचते कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाना वैसा ही है जैसे कि मक्का या मदीना की मस्जिदों को तोड़कर कोई मंदिर बना दे। हिन्दुओं के लिए अयोध्या मुसलमानों के मक्का या मदीना उतना ही या उनसे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। बाबर एक आक्रांता था, एक हमलावर था जिसके एक अधिकारी ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई। ऐसा ही काम काशी और मथुरा में हुआ। आज के मुस्लिम यह क्यों नहीं सोचते कि ऐसी मस्जिदों से उन्हें कोई लेना देना नहीं है जिन्हें बर्बरतापूर्ण तरीके से मंदिरों को ध्वस्त करके बनाया गया था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ केके मुहम्मद अयोध्या में कराए गए दोनों सर्वे में शामिल रहे हैं। मुहम्मद ने हाल ही में कहा है कि “जब पहली बार मंदिर-मस्जिद विवाद पर पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए केंद्र सरकार ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था, तब विभाग के निदेशक बी बी लाल के साथ मुझे भी शामिल किया गया था। सर्वे के दौरान हमें उस स्थल पर मंदिर के अवशेष मिले थे। खुदाई के दौरान मंदिर का खंभा भी मिला था। यह भी प्रमाण मिले कि मंदिर के खंभे पर मस्जिद खड़ी की गई। इस जानकारी के आधार पर वर्ष 2008 में हाइकोर्ट ने निर्णय दिया था। इसके पूर्व वर्ष 1976-77 में भारत सरकार के निर्देश पर अयोध्या में विवादित स्थल पर खुदाई की गई थी। पिलर के बेसमेंट से संपूर्ण कलश और पत्तियों का नमूना मिला। इसके अलावा सर्वेक्षण के दौरान सदियों पुरानी विष्णु की मूर्ति मिली। अन्य कई प्रमाण मिले जिससे साबित होता है कि यहां ईसा पूर्व मंदिर हुआ करता था। डॉ मुहम्मद ने कहा कि विवाद के मद्देनजर वर्ष 2003 में सैटेलाइट सर्वे के साथ पुरातत्वविदों ने विवादित स्थल में पचास से अधिक खंभों के बेस तक खुदाई की। तथ्य वही सामने आया जो 1976-77 में था।” (दैनिक जागरण, 10 जून 2018)

उपरोक्त के आलोक में कहा जा सकता है कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद तो मंदिर तोड़कर कर ही बनाई गई थी यह तथ्यों तथा न्यायालय के निर्णय से साबित हो चुका है। चूंकि हमारे देश में किसी भी विवाद के लिए न्यायालय ही सबसे प्रामाणिक और विश्वसनीय रास्ता है इसलिए न्यायालय का निर्णय शिरोधार्य है।

लेखक निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग , वित्त मंत्रालय ,भारत सरकार में संयुक्त सचिव हैं। लेख में व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं ।

12 अगस्त 2018

डॉ. शैलेन्द्र कुमार की अन्य किताबें

41
रचनाएँ
डॉ. शैलेन्द्र कुमार के आर्टिकल
0.0
डॉ. कुमार ने 1992 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके और प्रशिक्षण प्राप्त करके भारत सरकार में पदासीन हुए ।
1

तुर्की : ईसाइयत और इस्लाम द्वारा सनातन धर्म का विनाश

28 मई 2022
1
0
0

डॉ. शैलेन्द्र कुमार तुर्की : एक परिचय इस्लाम की दृष्टि से तुर्की एक महत्वपूर्ण देश है । यह संसार के सभी मुसलमानों के मजहबी और राजनीतिक मुखिया — खलीफा का मुख्यालय भी रह चुका है ।1 तुर्की की सरकार के

2

तीन मुसलमान विद्वानों से बातचीत

28 मई 2022
2
0
0

इस्लाम का थोड़ा-बहुत अध्ययन करने के बाद मेरे मन में यह विचार आया कि देखें मुसलमान विद्वान इस्लाम के बारे में क्या सोचते हैं ? शताब्दियों से इस देश में रहते हुए भी मुसलमान अपनी पहचान को लेकर सदा इतने द

3

तिब्बतम शरणम गच्छामि

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दो महीनों से हम चीन के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में उलझे हुए हैं । पर जब तक बात केवल उलझने तक ही सीमित थी, तब तक तो सह्य थी । लेकिन अभी चार दिन पहले दोनों सेनाओं के बीच जमकर हाथपाई हुई और वह भी

4

मित्र संजय नहीं रहे

28 मई 2022
1
0
0

– प्रोफेसर डॉक्टर संजय जैन नहीं रहे!! – आज शुक्रवार की सुबह कैसी मनहूस सुबह थी, जब एक मित्र से इस अनपेक्षित, अप्रत्याशित और हृदय को क्षत-विक्षत करने वाली घटना का अत्यंत दुखद समाचार मिला । पल भर के लि

5

इन्दौर दौरे के बहाने

28 मई 2022
0
0
0

13 अभी पिछले सप्ताह मेरा इन्दौर का दो-दिवसीय दौरा हुआ। वहां राजभाषा संगोष्ठी थी। कहने को तो यह मेरा तीसरा दौरा था, लेकिन इन्दौर को थोड़ा ध्यान देकर पहली बार देखा। लगभग बीस लाख की जनसंख्या के साथ इन्दौ

6

जीते

28 मई 2022
1
0
1

एक दिन वसंत वाटिका में सुबह की सैर करके जब मैं घर लौट रहा था तो दाहिने  तलवे में थोड़ा दर्द महसूस हुआ। घर में कुर्सी पर बैठकर जब दाहिने पैर का जूता  उतारकर देखा तो पाया कि जूते की तल्ली का अग्रभाग घिस

7

ईरानी क्रांति के चालीस साल : क्या खोया, क्या पाया

28 मई 2022
0
0
0

वैसे तो ईरानी क्रांति जनवरी 1979 में ही शुरु हो गई थी, पर नई व्यवस्था की शुरुआत फरवरी में हुई। इस प्रकार क्रांति के चालीस वर्ष हो चुके हैं। आवश्यक है कि इसका लेखा-जोखा किया जाए। यह दुखद है कि इस ऐतिहा

8

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस

28 मई 2022
0
0
0

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस मुखिया ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर इस बात पर घोर आपत्ति जताई है कि क्यों आजकल टीवी चैनलों पर ऐसी बात की जाती है कि भारत में मध्यकाल में तलवा

9

सर सैयद अहमद खां का वक्तव्य

28 मई 2022
0
0
0

1 अगस्त 2018 के जनसत्ता में आलोक मेहता का लेख ‘विश्वास का पुल’ पढ़ा। इसमें सर सैयद अहमद खां के जिस वक्तव्य को उद्धृत किया गया है उससे उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पक्ष उजागर होता है, जबकि उनके व्यक्तित

10

संकट में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली

28 मई 2022
0
0
0

संभवतः जब से मनुष्य इस धरा पर आया है तब से वह किसी न किसी तरह अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है। इसलिए प्राचीन काल से ही अनेक देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नाना प्रकार की खोजें हुईं। भारत में तो

11

एमएफएन का दर्जा और पाकिस्तान

28 मई 2022
1
0
1

पिछले दिनों उड़ी में अठारह भारतीय जवानों की आतंकवादियों द्वारा हत्या के बाद देश में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश चरम सीमा पर पहुँच गया। कहा यह भी जाने लगा कि यह आक्रोश 1965 के युद्ध जैसा था। फिर भारत की ओ

12

जेवर से उत्तर प्रदेश का भाग्योदय

28 मई 2022
0
0
0

भारत सरकार ने जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना की घोषणा करके न केवल बरसों पुरानी माँग को ही पूरा किया है बल्कि इससे उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को अभूतपूर्व गति देने का भी काम किया है। वै

13

इस्लामी लकीर के फकीर

28 मई 2022
0
0
0

अभी पिछले दिनों पटना में एक मुस्लिम मंत्री ने जय श्रीराम का नारा लगाया। जिसके बाद एक मुफ्ती ने उन्हें काफिर करार दिया। मजबूरन उन्हें माफी माँगनी पड़ी, जिससे उनके पाप का प्रायश्चित हो गया और पुनर्मूषिको

14

विश्व व्यापार संगठन का नैरोबी मंत्रिसम्मेलन और भारत की भूमिका

28 मई 2022
0
0
0

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का दसवां मंत्रिसम्मेलन अफ़्रीकी देश केन्या की राजधानी नैरोबी में चार की जगह पांच दिनों (15-19 दिसंबर) में संपन्न हुआ। अफ़्रीकी महादेश में होनेवाला यह पहला मंत्रिसम्मेलन

15

जाति बंधन नहीं l

28 मई 2022
0
0
0

अमरीका के प्रतिष्ठित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीवन पिंकर, जो हाल ही में भारत की यात्रा पर थे, की स्थापना है कि ‘हमें ऐसा लग सकता है कि विश्व में गिरावट आ रही है। परंतु यह हमारी समझ की समस्

16

दर्शनीय दुमका

28 मई 2022
0
0
0

”दर्शनीय दुमका ”आलेख के लिए सर्वप्रथम मैं अपने मित्र साकेश जी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने दुमका और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों, जैसे बासुकिनाथ धाम, मसानजोर बांध और रामगढ़ स्थित छिन्न

17

ईद, बकरीद और मुहर्रम

28 मई 2022
0
0
0

इस्लाम के तीन प्रमुख त्यौहार हैं — ईद, बकरीद और मुहर्रम । जहां ईद का संबंध इस्लाम के जन्मदाता मुहम्मद पैगंबर और कुरान से है, वहीं बकरीद का यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों  — तीनों के पहले पैगंबर यानी इ

18

मास्साहब

28 मई 2022
0
0
0

हमारे कस्बानुमा बड़े गांव — बथनाहा के पूर्वोत्तर में एक छोटा सा गांव है — बंगराहा । पता नहीं यह नाम कब रखा गया और इसका क्या अर्थ हो सकता है ? संभव है बंग से बंगाल शब्द का कोई लेना-देना हो । वैसे भी सद

19

राजा राममोहन राय -एक रहस्यमय व्यक्तित्व

28 मई 2022
0
0
0

राजा राममोहन राय, इस नाम से देश के सभी साक्षर और शिक्षित अवश्य परिचित होंगे, क्योंकि उनके विषय में इतिहास की विद्यालयी पुस्तकों में थोड़ा-बहुत उल्लेख अनिवार्यत: मिलता है। उन्हें भारतीय नवजागरण का अग्र

20

वो महिला

28 मई 2022
0
0
0

प्रातः बेला मैं तैयार होकर गुवाहाटी से शिवसागर, असम की पुरानी राजधानी, की यात्रा के लिए गाड़ी में बैठा। हमारा ड्राइवर असम का ही था। उसकी कद-काठी अच्छी थी। नाम था खगेश्वर बोरा। वह सहज रूप से हिन्दी बोल

21

जम्मू-कश्मीर को उर्दू नहीं हिन्दी, कश्मीरी और डोगरी चाहिए

28 मई 2022
0
0
0

यदि हम भारत के भाषायी परिदृश्य पर ध्यान दें तो हमें पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर जैसी अतिशोचनीय स्थिति किसी और राज्य की नहीं है। यहां एक ऐसी भाषा राजभाषा बनकर राज कर रही है जिसकी उपस्थिति उस राज्य में नग

22

अटेंडेंट

28 मई 2022
0
0
0

सूर्यास्त की बेला — मैं नहा धोकर बचे हुए पानी से गमलों के पौधों की सिंचाई में लग गया। देखा एक पौधा सिकुड़कर छोटा हो गया है और मुरझा गया है। मन में ग्लानि हुई कि यह मेरे ध्यान न देने का फल है। पानी ही

23

गौरी

28 मई 2022
0
0
0

चैत्र मास समाप्ति की ओर है। यद्यपि दोपहर के बाद तो अब सूर्यदेव अपना प्रचंड रूप दिखाने लगे हैं, परंतु प्रातः बेला अभी भी शीतल है। बालसूर्य की नयनाभिराम बेला। टहलने के लिए उपयुक्त समय। इसलिए इसी बेला मे

24

‘ लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘

28 मई 2022
0
0
0

लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘ लखनऊ की प्राचीन गाथा कहने का एक लघु किंतु क्रांतिकारी प्रयास डॉ शैलेन्द्र कुमार स्वतंत्रता पूर्व विदेशी इतिहासकारों और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे इतिहासकार

25

बांग्लादेश : आहत लोकतंत्र

28 मई 2022
0
0
0

हाल ही में संपन्न हुए बांग्लादेश के चुनाव पर हमारे देश के हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में जितने भी लेख छपे उनमें से अधिकतर में यह भाव मुखर था कि शेख हसीना की जीत भारत के लिए बहुत लाभकारी है। इस प्

26

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम।

28 मई 2022
0
0
0

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम। इन दिनों वाराणसी में गंगा नदी में नौका विहार करते हुए एक विदेशी पर्यटक का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल ( प्रचलित ) हुआ है। वीडियो में यह व

27

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता

28 मई 2022
0
0
0

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता डॉ शैलेन्द्र कुमार सारांश इस लेख का सर्वप्रधान उद्देश्य यह दर्शाना है कि भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता शेख अहमद सरहिंदी था। इ

28

गो रक्षण, जिन्ना और अम्बेडकर

28 मई 2022
1
0
0

शेख मुजिबुर रहमान, जो जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाते हैं, का पिछले 25 जून को ‘द हिंदू’ दैनिक में गो रक्षण के नाम पर घटित हिंसक घटनाओं को लेकर एक अतार्किक और अत्यंत आपत्तिजनक लेख प्रकाशित हुआ। इस स

29

मस्जिद की अनिवार्यता

28 मई 2022
0
0
0

फैजुर रहमान का 7 अगस्त के ‘द हिंदू’ दैनिक में ‘मस्जिद की अनिवार्यता’ विषय पर एक लेख प्रकाशित हुआ। रहमान एक इस्लामी मंच के महासचिव हैं जिसका उद्देश्य है संयत विचार को बढ़ाना या बढ़ावा देना। इस लेख का म

30

अनन्य हिंदी प्रेमी अटल बिहारी वाजपेयी

28 मई 2022
0
0
0

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के राजनैतिक क्षितिज में पिछले कई दशकों से सर्वाधिक चमकता हुआ सितारा थे। अपनी मिलनसार प्रवृत्ति, विलक्षण वाकपटुता, मनमोहक वक्तृत्वकला और असाधारण प्रतिउत्पन्नमति के कारण सारे देश

31

स्वच्छ भारत की ओर निर्णायक कदम

28 मई 2022
0
0
0

हमारे देश में गाँव कविता के विषय के रूप में कवियों को आकर्षित करता रहा है। मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियाँ तो जगप्रसिद्ध रही हैं – “अहा ! ग्राम जीवन भी क्या है। क्यों न इसे सबका जी चाहे।“ इसी तरह सुमि

32

शैक्षणिक संस्थानों का देश के विकास में योगदान

28 मई 2022
0
0
0

आधी सदी पहले ही अर्थशास्त्रियों ने किसी भी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा के महत्व को समझ लिया था। बाद में यह विचार फैलने लगा कि शिक्षा किसी भी व्यक्ति को स्थायी रूप से परिवर्तित कर देती है और उसे मान

33

पाकिस्तान में जनसंख्या विस्फोट के निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दिनों करीब दो दशक बाद पाकिस्तान की छठवीं जनगणना सम्पन्न हुई। इसके अनुसार आज पाकिस्तान की जनसंख्या 20 करोड़ 78 लाख है। 1998 में की गई पिछली जनगणना में पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ थी और उस

34

हवाई यात्रा के लिए बिहार देश का छाया प्रदेश

28 मई 2022
0
0
0

किसी भी देश के विकास में यातायात और उसमें भी वायु यातायात का योगदान अन्यतम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एक अध्ययन के हवाले से बताया है कि किस तरह वायु सेवा से तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होता है।

35

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले ‘दिनकर’

28 मई 2022
1
1
0

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले सचमुच में दिनकर ही थे। रामधारी सिंह दिनकर में साहित्य सर्जन के गुण नैसर्गिक रूप से विद्यमान थे। इसलिए आश्चर्य नहीं कि केवल पंद्रह वर्ष की आयु में ही उनका

36

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव के संकट में आ जाने के कारण वहाँ का राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश

37

क्यों नहीं मिल रहा रोजगार युवाओं को?

28 मई 2022
0
0
0

उन्नीस सौ नब्बे के दशक में आरंभ हुए आर्थिक उदारीकरण के परिणामस्वरूप माना जाता है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर में अभूतपूर्व तेजी आई। जबकि आजादी के बाद से 1980 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर औसतन सिर्फ 3.5

38

नेताजी का अमूल्य योगदान इतिहासकारों का मोहताज नहीं

28 मई 2022
0
0
0

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की तरह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के पहली पंक्ति के नेता थे। पर अपने आप को भारत माता पर उत्सर्ग करने की आतुरता में उनकी तुलना शहीद भगत सिंह जैसे वीरों

39

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर ?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव में राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तथा एक न्यायाधीश को गिरफ़्तार

40

भारत-अफ्रीका के गहराते संबंध और इनके निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मलेन के तीसरे संस्करण का आयोजन 26 से 29 अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में होने जा रहा है। सभी 54 अफ़्रीकी देशों को निमंत्रण देकर भारत सरकार ने अफ्रीका से अपने संबंधों को आगे ले जा

41

1857 की क्रांति की 160वीं जयंती

28 मई 2022
1
0
0

आज ही के दिन ठीक एक सौ साठ साल पहले यानी 10 मई 1857 को जिस ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात मेरठ से हुआ वह कई अर्थों में विलक्षण थी । क्रांति का क्षेत्र व्यापक था और इसका प्रभाव लम्बे समय तक महसूस किया गय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए