“यह हैरत की बात नहीं कि अपने हित के लिए कुछ लोग दूसरों का अहित करते रहते हैं; आश्चर्य तो यह है कि कितने ही लोग औरों के हित में जीवन समर्पित कर देते हैं I”
16 नवम्बर 2015
“यह हैरत की बात नहीं कि अपने हित के लिए कुछ लोग दूसरों का अहित करते रहते हैं; आश्चर्य तो यह है कि कितने ही लोग औरों के हित में जीवन समर्पित कर देते हैं I”
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
धन्यवाद, वर्तिका जी !
17 नवम्बर 2015
धन्यवाद, महातम मिश्रा जी !
17 नवम्बर 2015
जी सर यह समर्पण ही तो हमारे सिंद्धांतो को सजो रहा है बहुत खूब
16 नवम्बर 2015