एक बच्चे को अक्सर चिड़चिड़ा और उदास देखकर एक रोज़ मैंने उससे पूछा, “तुम क्यों हमेशा ग़ुस्सा करते हो और उदास रहते हो ?” उस बच्चे ने बताया कि क्लास में सब बच्चे उसे भोंदू कहकर चिढ़ाते हैं और टीचर उसे पीटती हैं क्योंकि वो पढ़ने-लिखने में कमज़ोर है I मैंने कहा, “तुमने अपने मम्मी-पापा से बताया ?” उसने कहा, “मम्मी-पापा से बताया तो घर में भी पीटा जाऊँगा I” मैंने सोचा, फिर तो इस बच्चे की मदद कर पाना टेढ़ी खीर है I
मैंने एक प्रयोग किया I उससे कहा, “अब जो तुमको भोंदू कहे, उससे कहना,
जो बच्चा पहले जितना ही कमज़ोर होता है, एक दिन पढ़ाई
में वो उतना ही तेज़ हो जाता है I” उसने किससे क्या कहा, मालूम नहीं I
लेकिन, इस बात का उस पर ये असर हुआ कि उसका खुद ही पढ़ाई में मन लगने लगा और वो बच्चा पढ़ाई में वाक़ई अपनी
कक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने लगा ।
“समस्याएं गिनाने और उनसे मुंह चुराने से हल नहीं निकलते, बल्कि हल ढूँढने से ही समस्याएं समाप्त होती हैं I”