हेनरी फोर्ड एक गाँव के मामूली किसान थे I सुबह से शाम तक खेतों में ही काम करते थे I ज़्यादा पढाई-लिखाई तो नहीं हो पाई लेकिन उन्हें मशीनों में ख़ासी रूचि थी I लेकिन उनके पिता को ये बिल्कुल पसंद नहीं था I वो चाहते थे कि हेनरी सिर्फ खेतों में ही काम करे I वो बहुत छोटी सी उम्र में ही उम्दा घड़ीसाज़ बन गए I पिता से मन नहीं मिला तो ख़ाली हाथ शहर आ गए I एक फैक्ट्री में असिस्टंट मैकेनिक की नौकरी मिल गई लेकिन तनख्वाह बहुत मामूली थी I दिनभर फैक्ट्री का काम और रात में मशीनों पर नए-नए प्रयोग...बस यही थी उनकी दिनचर्या I थोड़ा-बहुत जो पैसा मिलता भी था, वो उसे प्रयोगों में ही खर्च कर देते थे I रात-ओ-दिन मशीनों की ठोका-पीटी की आवाज़ों और हेनरी के रंग-ढंग से पत्नी भी परेशान और पड़ोसी भी I लोग उन्हें पागल समझते थे I लेकिन लोगों के कुछ भी समझते रहने से हेनरी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था I दिन-रात की मेहनत ने स्वास्थ्य बिगाड़ दिया और ख़ुद की मोटर बनाने के चक्कर में नौकरी भी जाती रही I ज़िन्दगी, एक के बाद दूसरे प्रयोग करते हुए वर्कशॉप में ही सिमटती चली गई I
हालात बेहद ख़राब थे लेकिन हेनरी ने हार नहीं मानी I एक मोटर बना रहे थे, जिसमें वो सफल हो गए I उन्होंने उसे दौड़ाकर दिखा दिया I उनकी जिंदगी भी यहीं से चल पड़ी I उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कारें बनाईं I उन्होंने दुनिया भर के लोगों को ऑटोमेशन का मन्त्र दिया I जब उनकी मृत्यु हुई, तो उस समय तक के वे दुनिया के सबसे शोहरतमंद और रईस आदमी थे I
जब तक इन्सान ज़िन्दा है तब तक कुछ भी संभव है I असंभव कुछ भी नहीं I सफल लोगों की कहानियाँ हमें यही बताती हैं कि यदि सफल होना है तो संकल्प को मज़बूत रखना होगा I