"दर्ज़न भर फ़कीर एक फटे कम्बल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि दो ही बादशाह रहे, तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते I"
─शम्स-ए-तबरेज
15 जनवरी 2016
"दर्ज़न भर फ़कीर एक फटे कम्बल में आराम से रात काट सकते हैं मगर सारी धरती पर यदि दो ही बादशाह रहे, तो भी वे एक क्षण भी आराम से नहीं रह सकते I"
─शम्स-ए-तबरेज
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D