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मन की शांति

20 अप्रैल 2016

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मन की शांति पथ है सृजन का, निर्माण का; और इसी के विपरीत अशांति द्वार है विनाश का, विध्वंश का I कुछ छोटे लेकिन कारगर उपायों पर अमल करके मन की शांति प्राप्त की जा सकती है। जीवन की बहुत सी चुनौतियों के मध्य, उलझनों और भटकावों से जूझते हुए मन अशांत रहने लगता है।

मन की शांति पाने के लिए प्रयास इसलिए भी आवश्यक है कि मन शांत नहीं है तो मिलने वाली सफलताओं में भी आपका मन नहीं लगेगा। जब हमारा मन शांत होता है तो हम चीजों को सही रूप में देख पाते हैं। उनके नए अर्थ और आशय खोज पाते हैं।

सहज और शांत मन के धरातल पर ही हम जीवन को सही अर्थों में जी सकते हैं। मन की शांति के लिए कुछ आसान साधन सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

एकांत आवश्यक है:

किसी शांत जगह पर कुछ देर अकेले बैठें और अपने बारे में सोचें। अपनी जिंदगी, अपने विश्वासों, अपनी इच्छाओं और अपनी भावनाओं को लेकर विचार करें। अपनी जिंदगी के सभी पक्षों के बारे में विचार से आपको अपने लिए सही दिशा तलाशने में मदद भी मिलेगी।

गुण-दोष पर विचार:

अपने गुणों का विस्तार करने की दिशा में सोचें और अपनी कमियों को सुधारने की तरफ ध्यान दें। अगर आप अपनी कमियों को किसी तरह अपनी खासियत में बदल सकते हैं तो उस दिशा में भी सोचें। अपने गुणों और अपनी कमियों के बारे में जानकर आप अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

नई चीजों के साथ जुड़ें

खुद को नई गतिविधियों और नई संस्कृति में ढालने का प्रयास करें। इस तरह आप अपने अहं के बारे में भी जान पाएंगे और उसे संभालना भी सीखेंगे। अगर आप नए लोगों के बीच भी असहजता महूसस नहीं करेंगे तो आप अपने कठिन समय में भी शांति तलाश सकेंगे।

ध्यान की मदद लें

ध्यान के बल पर आप भटकते हुए मन को एकाग्र करने का सामर्थ्य जुटा सकेंगे। ध्यान आपको आंतरिक शांति और अपने बारे में जानने में मदद करता है। ध्यान के जरिए आप कठिनाइयों के हल तक पहुंच पाते हैं। यह भटकाव को खत्म करने और स्व पर केंद्रित करने में मदद करता है। ध्यान के जरिए हम अपने मानसिक सामर्थ्य का भी विस्तार करते हैं।

प्रेमभाव से जीवन को देखें

अपने आसपास की चीजों, प्रकृति और संसार को प्रेमभाव के साथ देखें। उनकी बहुत छोटी-छोटी विशेषताओं पर गौर करें। बिना किसी शर्त के अपने मित्रों के प्रति प्रेम व्यक्त करें। दुनिया की आलोचना करना बंद करें। दूसरों के दोषों को नहीं उनकी खासियत तलाशें। ऐसा करते ही आप पाएंगे कि अब कोई भी द्वंद्व नहीं है और जीवन शांत अवस्था में है।

दूसरों के प्रति आभारी रहें

अपनी जिंदगी, परिजनों, प्रियजनों, मित्रों और अन्य साथियों के प्रति आभारी रहें। वे किस तरह आपकी जिंदगी को खुशनुमा बनाते हैं उसके लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करें। यह आभार शब्दों में नहीं बल्कि आपके व्यवहार और उनके प्रति आपके प्रेम द्वारा व्यक्त होना चाहिए। इससे सच्ची शांति मिलेगी।

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

चंद्रेश विमला त्रिपाठी

सार्थक लेख हेतु बधाई !

21 अप्रैल 2016

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रचनाएँ
thoughtoftheday
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इस आयाम के अंतर्गत आप विभिन्न विषयों पर मनोग्य विचार पढ़ सकते हैं ।
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जल

2 सितम्बर 2015
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“जल का सम्मान कीजिए, यह हमें स्वास्थ्य एवं समृद्धि देता है । हमारे भीतर ऊर्जा का संचार करता है । इसके कारण ही हम प्रसन्न दिखाई देते हैं ।”-सामवेद

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समर्थ

2 सितम्बर 2015
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“आप जैसे विचार करेंगे, वैसे ही बन जाएँगे । यदि आप स्वयं को निर्बल मानते रहेंगे तो एक दिन निर्बल हो जाएँगे; और यदि आप स्वयं को समर्थ मानेंगे तो समर्थ बन जाएँगे ।”-स्वामी विवेकानंद

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किरदार

4 सितम्बर 2015
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"ज़िन्दगी में इतनी शिद्दत से निभाना अपना किरदार कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ बजती रहें..."

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अच्छा पैसा

4 सितम्बर 2015
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“जीवन में अच्छा पैसा कमाना न सीख सको तो अच्छे मित्र बनाना और अच्छी बात करना अवश्य सीख लो, जीवन की कई कमियाँ महसूस ही नहीं होंगी ।”

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पढ़ाई के साथ म्यूज़िक...

7 सितम्बर 2015
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अक्सर देखा जाता है कि छात्र पढ़ाई करने के साथ-साथ म्यूजिक भी सुन रहे होते हैं I इस आनन्द के लिए वे कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फ़ोन का सहारा लेते हैं । कई बार विद्यार्थी कानों में हेडफ़ोन या इयरफ़ोन आदि लगाकर पढ़ाई करते हुए दिखाई देते हैं । अक्सर गणित के सवाल हल करते हुए छात्रों को संगीत सुनते हुए देखा ज

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हिन्दी की संग्रहण शक्ति

10 सितम्बर 2015
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शायद हममें कुछ ऐसे आदमी हैं जिन्हें इस बात का डर है कि हिन्दी वाले हमारी मातृ-भाषा को छुड़ाकर उसके स्थान में हिन्दी रखवाना चाहते हैं । यह निराधार भ्रम है । हिन्दी प्रचार का उद्देश्य केवल यही है कि आजकल जो काम अंग्रेज़ी उद्देश्य से लिया जाता है वह आगे चलकर हिन्दी से लिया जाए । अपनी माता से भी ज़्यादा प्

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क्षमा और प्रेम

10 सितम्बर 2015
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महात्मा तिरुवल्लुवर कपड़े बुनकर अपनी आजीविका चलाते थे। एक दिन संध्या के समय उनके पास एक उद्दंड युवक आया और एक कपड़े का दाम पूछने लगा। संत ने बताया-बीस रुपये। युवक ने उस कपड़े के दो टुकड़े कर दिये और फिर उनका मूल्य पूछा। संत ने कहा- दस-दस रुपये। इस पर युवक ने उन दुकड़ों के भी टुकड़े कर दिये और बोला- अब? सं

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फल प्राप्ति

11 सितम्बर 2015
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"मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो - उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता

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सेल्फ़ी लेते रहिए...

17 सितम्बर 2015
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“मन के कैमरे से दिल का बटन क्लिक करके, खुद से करिए एक सवाल कि क्या करना है, और क्या कर रहे हैं । जो कुछ कर रहे हैं क्या इससे समाज और देश का कोई भला होगा ?” आपके किसी काम से किसी को कोई चोट तो नहीं पहुंचेगी ? क्या आपके काम से दुनिया में एक भी इन्सान को कोई ख़ुशी होगी ? यदि हाँ, तो सही डगर पर चलते-चलत

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ईश्वर का न्याय

19 सितम्बर 2015
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कुछ शिष्य अपने गुरु जी के साथ एक जंगल से गुजर रहे थे। रास्ते में एक बेर का वृक्ष दिखाई दिया । सभी शिष्यों ने सुनहरे बेर खाने की इच्छा प्रकट की । लेकिन बेर बहुत ऊंचाई पर लगे थे काँटों के कारण पेड़ पर चढ़ना भी कठिन था ।एक शिष्य ने गुरु जी से पूछा, “ गुरु जी, यह ईश्वर का कैसा न्याय ? बेर जैसा छोटा

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हमारी सोच

22 सितम्बर 2015
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“हम वो सब कर सकते है जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है जो आज तक हमने नहीं सोचा ।”

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सफलता

8 अक्टूबर 2015
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सत्य का महत्त्व

9 अक्टूबर 2015
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प्रार्थना

15 अक्टूबर 2015
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जागो, सुबह हुई !

16 अक्टूबर 2015
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शब्द का महत्व

16 अक्टूबर 2015
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मन का दर्पण

17 अक्टूबर 2015
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समर्पण

17 अक्टूबर 2015
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गुरु सों ज्ञान जू लीजिए, सीस दीजिए दान । बहुतक भोंदू बहि गए, राखि जीव अभिमान ।।   गुरु से ज्ञान पाने के लिए अपना शीश भी काटकर अर्पित कर दिया जाए तो वह भी कमहै, अर्थात ज्ञान के लिए परम समर्पण आवश्यक है । जो इसके विपरीत सोचते हैं, वे मूर्खऔर अभिमानी होते हैं । उनका कभी उद्धार नहीं होता । संत कबीरदास

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साथ

19 अक्टूबर 2015
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सांसारिक सुख

19 अक्टूबर 2015
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स्वीकृति

28 अक्टूबर 2015
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इंतज़ार

28 अक्टूबर 2015
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पुरस्कार वापसी

30 अक्टूबर 2015
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दाल और नमक छोड़ दो...

30 अक्टूबर 2015
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मौन

30 अक्टूबर 2015
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"मुझे बोलने पर अक्सर खेद हुआ है; चुप रहने पर कभी नहीं ।" – साइरस

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जीवन का आनन्द

2 नवम्बर 2015
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अनुभव

6 नवम्बर 2015
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हित-अहित

16 नवम्बर 2015
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बच्चों के सवाल

18 नवम्बर 2015
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संगठन

18 नवम्बर 2015
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हँसना आदत में शुमार हो

19 नवम्बर 2015
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कठिनाइयाँ

20 नवम्बर 2015
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पुस्तकें

20 नवम्बर 2015
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रिश्ते

21 नवम्बर 2015
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प्यार हर मौसम में...

24 नवम्बर 2015
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खुशी

27 नवम्बर 2015
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अंकुर

30 नवम्बर 2015
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हंसी-मुस्कान

30 नवम्बर 2015
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नकारात्मक सोच से बचें

30 नवम्बर 2015
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श्रेष्ठ मनुष्य

3 दिसम्बर 2015
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सफलता का रहस्य

4 दिसम्बर 2015
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एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया

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आदतें

7 दिसम्बर 2015
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कल्पनाशीलता

7 दिसम्बर 2015
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सफलता

8 दिसम्बर 2015
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असंतुष्टि

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सीख

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पुरुषार्थ

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सफल व्यक्ति

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सत्य

10 दिसम्बर 2015
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सुप्रभातम्

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प्रसन्नता

11 दिसम्बर 2015
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गुण की पहचान

14 दिसम्बर 2015
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53

परीक्षा के अंक

14 दिसम्बर 2015
0
5
5

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54

मदद से तनाव करें कम

16 दिसम्बर 2015
0
5
2

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55

ध्यान सबसे बड़ी कुंजी

16 दिसम्बर 2015
0
5
2

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56

डर पर विजय

16 दिसम्बर 2015
0
4
0

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57

काम छोटा-बड़ा नहीं होता

17 दिसम्बर 2015
0
1
0

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58

आनन्द की प्राप्ति

17 दिसम्बर 2015
0
1
0

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59

आनन्द की खोज, पागल पथिक

17 दिसम्बर 2015
1
1
0

हिन्दी साहित्य में अपने गद्य-गीतों के लिए प्रसिद्ध, राय कृष्णदास का जन्म काशी के प्रसिद्ध राय परिवार में 7 नवम्बर सन 1892 ई0 में हुआ था । यह परिवार कला, संस्कृति और साहित्य-प्रेम के लिए विख्यात रहा है । राय साहब की स्कूली शिक्षा बहुत स्वल्प हुई, पर इनमें उत्कट ज्ञान-लिप्सा थी । आपने स्वतंत्र रूप से

60

कार्यशक्ति

17 दिसम्बर 2015
0
3
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61

महान कार्य

17 दिसम्बर 2015
0
2
0

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62

सच्चा ज्ञान

18 दिसम्बर 2015
0
4
1

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63

चितेरा

18 दिसम्बर 2015
0
5
0

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64

ऊँचाइयाँ

18 दिसम्बर 2015
0
10
2

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65

धन और सत्ता

21 दिसम्बर 2015
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1
0

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66

असंभव कुछ भी नहीं

2 जनवरी 2016
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5
3

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67

निर्भयता

15 जनवरी 2016
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5
0

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68

सम्पन्नता

15 जनवरी 2016
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5
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69

आराम

15 जनवरी 2016
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3
0

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70

भक्ति

15 जनवरी 2016
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4
0

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71

विचार और सफलता

19 जनवरी 2016
0
5
1

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72

वास्तविक प्राप्ति

19 जनवरी 2016
0
12
4

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73

बात

19 जनवरी 2016
0
4
0

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74

सफलता

20 जनवरी 2016
0
3
1

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75

विचार

21 जनवरी 2016
0
1
1

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76

बहादुरी

27 जनवरी 2016
0
0
1

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77

स्वयं को जानना

29 जनवरी 2016
0
1
0

सत्य कहा नहीं जा सकता...कहने की कोशिश की जाए तो असत्य की यात्रा शुरू हो जाती है. बहुत ज़रुरत पड़ने पर  ही बोलें और अधिक न बोलें. कम बोलना कुदरत का अनुगमन है. हवा का झोंका हर वक़्त नहीं चलता. आकस्मिक फुहार दिन भर नहीं पड़ती. मौन की ऊर्जा हमें प्रकाशित करती है. दूसरों को जानना चालाक होना है लेकिन स्वयं को

78

मेरा धर्म

30 जनवरी 2016
0
2
0

"मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है . सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन I"    गांधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली !

79

सफलता का महत्त्व

2 फरवरी 2016
0
2
0

"सफलता का महत्त्व वह व्यक्ति बेहतर जानता है जिसने सफल होने से पहले भारी असफलताओं का सामना किया हो I"

80

एक विचार

5 फरवरी 2016
0
1
0

"अगर आप किसी व्यक्ति को उसके भीतर बुराई खोजने की भावना से देखते हैं, तो बुराई आपको मिल जाएगी I" -अब्राहम लिंकन

81

सफलता की खुशी

5 फरवरी 2016
0
2
0

"सफलता की ख़ुशी मनाना अच्छा है लेकिन अधिक आवश्यक है असफलताओं से सीख लेना I" -बिल गेट्स 

82

मुस्कराहट

8 मार्च 2016
0
4
0

"जब ज़िन्दगी आपको दुखी होने के सौ कारण बताए, तो आप ज़िन्दगी को बताएँ कि आपके पास मुस्कुराने के हज़ार कारण हैं |"   

83

किसी की निंदा न करें

8 मार्च 2016
0
5
0

"किसी की निंदा न करें I यदि आप किसी की मदद कर सकते है, तो अवश्य करिए I अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो अपने हाथ जोड़िये, शुभकामनाएं दीजिए और उन्हें अपने लक्ष्य पर जाने दीजिए I"-स्वामी विवेकानंद

84

वाणी शक्ति

9 मार्च 2016
0
3
0

" वाणी में अद्भुत शक्ति होती है ! कड़वी वाणी के साथ व्यक्ति शहद भी नहीं बेच सकता जबकि मीठी वाणी के साथ मिर्ची भी बिक जाती है ! "

85

द्वेष और प्रेम

10 मार्च 2016
0
1
0

"द्वेष बुद्धि  को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।"-विनोबा भावे 

86

चुनौतियाँ

10 मार्च 2016
0
2
0

"चुनौतिया ही ज़िन्दगी को रोमांचक बनाती है और इसी से आपकी ज़िन्दगी का महत्त्वपूर्ण  निर्माण होता है I"

87

साथ-साथ चलिए

11 मार्च 2016
0
2
2

"अगर आप तेज़ चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ-साथ चलिए।"

88

ग़लती

11 मार्च 2016
0
4
0

" जिस व्यक्ति ने कभी ग़लती नहीं की, उसने कभी कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की। "-अलबर्ट आइंस्टीन

89

प्रेम

15 मार्च 2016
0
4
1

" ज़िन्दगी में प्यार पाने के बजाय प्यार करना ज़्यादा मायने रखता है...!" "The important thing was to love rather than to be loved."     W. Somerset Maugham

90

जीवन-मृत्यु

16 मार्च 2016
0
2
0

"जीवन मिलना भाग्य की बात है; मृत्यु होना समय की बात है लेकिन मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना कर्मों की बात है !"

91

ख़ुशियाँ

16 मार्च 2016
0
3
2

"आपकी ख़ुशियाँ यदि सिर्फ़ पैसे पर आश्रित हैं तो हो सकता है आपको जीवन भर प्रतीक्षा करनी पड़े क्योंकि कितने धन से आपका मन ख़ुश होगा, यह आप कभी तय नहीं कर सकते।  !"

92

अपेक्षाएँ

30 मार्च 2016
0
3
1

"इन्सान दूसरों से अपेक्षाएँ करते हुए अधिक परेशान होता है जबकि दूसरों के लिए काम करते हुए वह अधिक ऊर्जावान और प्रसन्न रह सकता है।"

93

कोई नग्मा...

30 मार्च 2016
0
5
4

अपने लिए सभी जीते हैं, ये कोई जीना है ? औरों की खातिर कोई नग्मा प्यार से गाते रहिये !

94

बड़ी बात

31 मार्च 2016
0
5
3

"यह एक बड़ी बात है कि इंसान बड़ा भी हो और सरल भी !"

95

संगीत

5 अप्रैल 2016
0
3
4

"ज़िन्दगी एक रिकार्डेड डिवाइस की तरह है, धैर्य के साथ इसे पूरा प्ले करके ज़रूर देखिये, आपकी पसंद का संगीत कब बज उठे, कौन जाने ! ध्यान रहे, बेसब्री तो आपको पसंदीदा गीत का भी आनंद नहीं लेने देगी I"

96

परिंदों के लिए...

5 अप्रैल 2016
0
4
0

नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है -मुनव्वर राना

97

हम सायादार पेड़...

5 अप्रैल 2016
0
2
2

हम सायादार पेड़  ज़माने  के काम आए,जब सूखने लगे तो जलाने के काम आए।-मुनव्वर राना 

98

असली आनंद

11 अप्रैल 2016
0
3
0

यह समस्त सृष्टि एक सुनिश्चित रचना है। इस रचना का एक-एक कण प्राणिमात्र को शुभ और आनंद प्रदान करता है। मनुष्य को छोड़कर विश्व का प्रत्येक प्राणी एक नैसर्गिक आनंद प्रदान करता है, परंतु मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो स्वत: आनंदित नहीं दिखाई देता। इसका स्पष्ट कारण यह है कि परमात्मा की इच्छा है कि वह उसके

99

उठो और कुछ करो

11 अप्रैल 2016
0
7
0

"बेहतर है कि अपने आप को निराश मत करो, उठो और कुछ करो। कुछ अच्छा होने का इंतज़ार मत करो बल्कि कुछ अच्छे काम करो।"-बराक ओबामा 

100

हर बात

18 अप्रैल 2016
0
4
0

"प्रायः बुज़ुर्ग हर बात पर विश्वास कर लेते हैं, प्रौढ़ हर बात पर शक़ करते हैं जबकि युवाओं को हर बात मालूम होती है !"-ऑस्कर वाइल्ड 

101

सही इंसान

18 अप्रैल 2016
0
5
0

"कितने ही लोग बजाय ख़ुद एक सही इंसान बनने के, एक सही आदमी की तलाश में भटकते रहते हैं।"

102

कलाकार और कृतियाँ

19 अप्रैल 2016
0
4
0

"यदि आप एक कलाकार हैं तो नित नयी कृतियाँ बनाते रहिए। कब, किसे आपकी कौन सी कृति पसन्द आ जाए, इसका अनुमान आप कभी नहीं कर सकते !"  

103

खुला दिमाग

20 अप्रैल 2016
0
4
0

"स्पष्टीकरण वहाँ देना चाहिए जहाँ उसे सुनने और समझने वाला एक खुला दिमाग़ हो। अगर किसी ने आपको ग़लत मान लिया है तो उस पर सफाई देने का मतलब ख़ुद ही अपनी नज़रों में गिरना है !"

104

जल ही जीवन है

20 अप्रैल 2016
0
5
0

"पानी की एक-एक बूँद क़ीमती है। जल बचाएँ, जीवन बचाएँ।"

105

मन की एकाग्रता

20 अप्रैल 2016
0
4
1

‘‘इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः’’ अर्थात प्रयत्नशील व्यक्ति के मन को भी हमारी प्रमथनशील (भ्रमित करने वाली) इन्द्रियाँ बलात् हर लेती हैं। ध्यान में मन नहीं लगता । मन भागता है, बाहर भटकता है। कभी चीटियाँ काटती अनुभव होती हैं, कभी शरीर में कहीं दर्द उठता है, तो कभी हिलने- डुलने का मन करता है।

106

मन की शांति

20 अप्रैल 2016
0
6
1

मन की शांति पथ है सृजन का, निर्माण का; और इसी के विपरीत अशांति द्वार है विनाश का, विध्वंश का I कुछ छोटे लेकिन कारगर उपायों पर अमल करके मन की शांति प्राप्त की जा सकती है। जीवन की बहुत सी चुनौतियों के मध्य, उलझनों और भटकावों से जूझते हुए मन अशांत रहने लगता है।मन की शांति पाने के लिए प्रयास इसलिए भी आव

107

कोशिश

21 अप्रैल 2016
0
7
0

यदि आप कोशिश करते हैं और कुछ भी हासिल नहीं होता तो उसमे आपकी कोई गलती नही है. लेकिन यदि आप ज़रा भी कोशिश नही करते और हार जाते हैं तो पूरी ग़लती आप ही की है.

108

दायित्व

22 अप्रैल 2016
0
3
0

 "हम सभी जो कि इस श्यामल धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है की दुनिया में क़दम रखने से लेकर आख़िरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाए रखने के लिए जो भी कर सकें, करें; क्योंकि यह वही धरती है जो

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अनन्त ऊर्जा

25 अप्रैल 2016
1
2
0

यदि मनुष्य को अपनी दिव्यता तथा अपने भीतर छिपी महाशक्ति पर विश्वास हो तो वह अद्भुत कर्म  कर सकता है। वह बचपन से ही अपनी आत्म-धारणा से संलग्न नकारात्मक  तथा दुर्बलतापूर्ण भावों को दूर कर सकता है। जीवन में उन्नति के लिए आवश्यक ऊर्जा, पवित्

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जल्दबाज़ी में बिगड़ते हैं काम

25 अप्रैल 2016
0
5
0

एक ओहदेदार सज्जन को अपने ही जैसे किसी बड़े आदमी से फ़ोन पर बात करनी थी। सुबह-सुबह फ़ोन मिलाया तो जवाब मिला अभी तो सात बजे हैं, साहब तो दस बजे मिलेंगे। उन सज्जन ने जैसे सुनकर भी अनसुनी कर दी। दोबारा फ़ोन मिलाक

111

अन्धकार से प्रकाश की ओर

27 अप्रैल 2016
0
1
1

स्वामी विवेकानंद ने कहा है-"दुर्बलता का उपचार सदैव उसी का चिंतन करते रहना नहीं, बल्कि अपने भीतर निहित बल का स्मरण करना है। मनुष्य को पापी न बतलाकर वेदांत इसके ठीक विपरीत मार्ग का ग्रहण करता है और कहता है- 'तुम पूर्ण तथा शुद्धस्वरूप हो औ

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