“हिंसा को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें, पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है I दूसरी ओर अहिंसा ‘भय’ का नाम भी नहीं जानती I”
─महात्मा गाँधी
15 जनवरी 2016
“हिंसा को आप सर्वाधिक शक्ति संपन्न मानते हैं तो मानें, पर एक बात निश्चित है कि हिंसा का आश्रय लेने पर बलवान व्यक्ति भी सदा ‘भय’ से प्रताड़ित रहता है I दूसरी ओर अहिंसा ‘भय’ का नाम भी नहीं जानती I”
─महात्मा गाँधी
45 फ़ॉलोअर्स
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D