19 जनवरी 2016
45 फ़ॉलोअर्स
आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
“जल का सम्मान कीजिए, यह हमें स्वास्थ्य एवं समृद्धि देता है । हमारे भीतर ऊर्जा का संचार करता है । इसके कारण ही हम प्रसन्न दिखाई देते हैं ।”-सामवेद
“आप जैसे विचार करेंगे, वैसे ही बन जाएँगे । यदि आप स्वयं को निर्बल मानते रहेंगे तो एक दिन निर्बल हो जाएँगे; और यदि आप स्वयं को समर्थ मानेंगे तो समर्थ बन जाएँगे ।”-स्वामी विवेकानंद
"ज़िन्दगी में इतनी शिद्दत से निभाना अपना किरदार कि परदा गिरने के बाद भी तालियाँ बजती रहें..."
“जीवन में अच्छा पैसा कमाना न सीख सको तो अच्छे मित्र बनाना और अच्छी बात करना अवश्य सीख लो, जीवन की कई कमियाँ महसूस ही नहीं होंगी ।”
अक्सर देखा जाता है कि छात्र पढ़ाई करने के साथ-साथ म्यूजिक भी सुन रहे होते हैं I इस आनन्द के लिए वे कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फ़ोन का सहारा लेते हैं । कई बार विद्यार्थी कानों में हेडफ़ोन या इयरफ़ोन आदि लगाकर पढ़ाई करते हुए दिखाई देते हैं । अक्सर गणित के सवाल हल करते हुए छात्रों को संगीत सुनते हुए देखा ज
शायद हममें कुछ ऐसे आदमी हैं जिन्हें इस बात का डर है कि हिन्दी वाले हमारी मातृ-भाषा को छुड़ाकर उसके स्थान में हिन्दी रखवाना चाहते हैं । यह निराधार भ्रम है । हिन्दी प्रचार का उद्देश्य केवल यही है कि आजकल जो काम अंग्रेज़ी उद्देश्य से लिया जाता है वह आगे चलकर हिन्दी से लिया जाए । अपनी माता से भी ज़्यादा प्
महात्मा तिरुवल्लुवर कपड़े बुनकर अपनी आजीविका चलाते थे। एक दिन संध्या के समय उनके पास एक उद्दंड युवक आया और एक कपड़े का दाम पूछने लगा। संत ने बताया-बीस रुपये। युवक ने उस कपड़े के दो टुकड़े कर दिये और फिर उनका मूल्य पूछा। संत ने कहा- दस-दस रुपये। इस पर युवक ने उन दुकड़ों के भी टुकड़े कर दिये और बोला- अब? सं
"मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो - उससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता
“मन के कैमरे से दिल का बटन क्लिक करके, खुद से करिए एक सवाल कि क्या करना है, और क्या कर रहे हैं । जो कुछ कर रहे हैं क्या इससे समाज और देश का कोई भला होगा ?” आपके किसी काम से किसी को कोई चोट तो नहीं पहुंचेगी ? क्या आपके काम से दुनिया में एक भी इन्सान को कोई ख़ुशी होगी ? यदि हाँ, तो सही डगर पर चलते-चलत
कुछ शिष्य अपने गुरु जी के साथ एक जंगल से गुजर रहे थे। रास्ते में एक बेर का वृक्ष दिखाई दिया । सभी शिष्यों ने सुनहरे बेर खाने की इच्छा प्रकट की । लेकिन बेर बहुत ऊंचाई पर लगे थे काँटों के कारण पेड़ पर चढ़ना भी कठिन था ।एक शिष्य ने गुरु जी से पूछा, “ गुरु जी, यह ईश्वर का कैसा न्याय ? बेर जैसा छोटा
“हम वो सब कर सकते है जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है जो आज तक हमने नहीं सोचा ।”
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKerning/> <w:ValidateAgainstSchemas/> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXMLInvalid> <w:IgnoreMixedContent>false</w:IgnoreMixedContent> <w:AlwaysShowPlaceh
<!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves></w:TrackMoves> <w:TrackFormatting></w:TrackFormatting> <w:PunctuationKerning></w:PunctuationKerning> <w:ValidateAgainstSchemas></w:ValidateAgainstSchemas> <w:SaveIfXMLInvalid>false</w:SaveIfXML
गुरु सों ज्ञान जू लीजिए, सीस दीजिए दान । बहुतक भोंदू बहि गए, राखि जीव अभिमान ।। गुरु से ज्ञान पाने के लिए अपना शीश भी काटकर अर्पित कर दिया जाए तो वह भी कमहै, अर्थात ज्ञान के लिए परम समर्पण आवश्यक है । जो इसके विपरीत सोचते हैं, वे मूर्खऔर अभिमानी होते हैं । उनका कभी उद्धार नहीं होता । संत कबीरदास
"मुझे बोलने पर अक्सर खेद हुआ है; चुप रहने पर कभी नहीं ।" – साइरस
एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो.वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया
हिन्दी साहित्य में अपने गद्य-गीतों के लिए प्रसिद्ध, राय कृष्णदास का जन्म काशी के प्रसिद्ध राय परिवार में 7 नवम्बर सन 1892 ई0 में हुआ था । यह परिवार कला, संस्कृति और साहित्य-प्रेम के लिए विख्यात रहा है । राय साहब की स्कूली शिक्षा बहुत स्वल्प हुई, पर इनमें उत्कट ज्ञान-लिप्सा थी । आपने स्वतंत्र रूप से
सत्य कहा नहीं जा सकता...कहने की कोशिश की जाए तो असत्य की यात्रा शुरू हो जाती है. बहुत ज़रुरत पड़ने पर ही बोलें और अधिक न बोलें. कम बोलना कुदरत का अनुगमन है. हवा का झोंका हर वक़्त नहीं चलता. आकस्मिक फुहार दिन भर नहीं पड़ती. मौन की ऊर्जा हमें प्रकाशित करती है. दूसरों को जानना चालाक होना है लेकिन स्वयं को
"मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है . सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन I" गांधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली !
"सफलता का महत्त्व वह व्यक्ति बेहतर जानता है जिसने सफल होने से पहले भारी असफलताओं का सामना किया हो I"
"अगर आप किसी व्यक्ति को उसके भीतर बुराई खोजने की भावना से देखते हैं, तो बुराई आपको मिल जाएगी I" -अब्राहम लिंकन
"सफलता की ख़ुशी मनाना अच्छा है लेकिन अधिक आवश्यक है असफलताओं से सीख लेना I" -बिल गेट्स
"जब ज़िन्दगी आपको दुखी होने के सौ कारण बताए, तो आप ज़िन्दगी को बताएँ कि आपके पास मुस्कुराने के हज़ार कारण हैं |"
"किसी की निंदा न करें I यदि आप किसी की मदद कर सकते है, तो अवश्य करिए I अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो अपने हाथ जोड़िये, शुभकामनाएं दीजिए और उन्हें अपने लक्ष्य पर जाने दीजिए I"-स्वामी विवेकानंद
" वाणी में अद्भुत शक्ति होती है ! कड़वी वाणी के साथ व्यक्ति शहद भी नहीं बेच सकता जबकि मीठी वाणी के साथ मिर्ची भी बिक जाती है ! "
"द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।"-विनोबा भावे
"चुनौतिया ही ज़िन्दगी को रोमांचक बनाती है और इसी से आपकी ज़िन्दगी का महत्त्वपूर्ण निर्माण होता है I"
"अगर आप तेज़ चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ-साथ चलिए।"
" जिस व्यक्ति ने कभी ग़लती नहीं की, उसने कभी कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की। "-अलबर्ट आइंस्टीन
" ज़िन्दगी में प्यार पाने के बजाय प्यार करना ज़्यादा मायने रखता है...!" "The important thing was to love rather than to be loved." W. Somerset Maugham
"जीवन मिलना भाग्य की बात है; मृत्यु होना समय की बात है लेकिन मृत्यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना कर्मों की बात है !"
"आपकी ख़ुशियाँ यदि सिर्फ़ पैसे पर आश्रित हैं तो हो सकता है आपको जीवन भर प्रतीक्षा करनी पड़े क्योंकि कितने धन से आपका मन ख़ुश होगा, यह आप कभी तय नहीं कर सकते। !"
"इन्सान दूसरों से अपेक्षाएँ करते हुए अधिक परेशान होता है जबकि दूसरों के लिए काम करते हुए वह अधिक ऊर्जावान और प्रसन्न रह सकता है।"
अपने लिए सभी जीते हैं, ये कोई जीना है ? औरों की खातिर कोई नग्मा प्यार से गाते रहिये !
"यह एक बड़ी बात है कि इंसान बड़ा भी हो और सरल भी !"
"ज़िन्दगी एक रिकार्डेड डिवाइस की तरह है, धैर्य के साथ इसे पूरा प्ले करके ज़रूर देखिये, आपकी पसंद का संगीत कब बज उठे, कौन जाने ! ध्यान रहे, बेसब्री तो आपको पसंदीदा गीत का भी आनंद नहीं लेने देगी I"
नए कमरों में अब चीज़ें पुरानी कौन रखता है परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है -मुनव्वर राना
हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आए,जब सूखने लगे तो जलाने के काम आए।-मुनव्वर राना
यह समस्त सृष्टि एक सुनिश्चित रचना है। इस रचना का एक-एक कण प्राणिमात्र को शुभ और आनंद प्रदान करता है। मनुष्य को छोड़कर विश्व का प्रत्येक प्राणी एक नैसर्गिक आनंद प्रदान करता है, परंतु मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो स्वत: आनंदित नहीं दिखाई देता। इसका स्पष्ट कारण यह है कि परमात्मा की इच्छा है कि वह उसके
"बेहतर है कि अपने आप को निराश मत करो, उठो और कुछ करो। कुछ अच्छा होने का इंतज़ार मत करो बल्कि कुछ अच्छे काम करो।"-बराक ओबामा
"प्रायः बुज़ुर्ग हर बात पर विश्वास कर लेते हैं, प्रौढ़ हर बात पर शक़ करते हैं जबकि युवाओं को हर बात मालूम होती है !"-ऑस्कर वाइल्ड
"कितने ही लोग बजाय ख़ुद एक सही इंसान बनने के, एक सही आदमी की तलाश में भटकते रहते हैं।"
"यदि आप एक कलाकार हैं तो नित नयी कृतियाँ बनाते रहिए। कब, किसे आपकी कौन सी कृति पसन्द आ जाए, इसका अनुमान आप कभी नहीं कर सकते !"
"स्पष्टीकरण वहाँ देना चाहिए जहाँ उसे सुनने और समझने वाला एक खुला दिमाग़ हो। अगर किसी ने आपको ग़लत मान लिया है तो उस पर सफाई देने का मतलब ख़ुद ही अपनी नज़रों में गिरना है !"
"पानी की एक-एक बूँद क़ीमती है। जल बचाएँ, जीवन बचाएँ।"
‘‘इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः’’ अर्थात प्रयत्नशील व्यक्ति के मन को भी हमारी प्रमथनशील (भ्रमित करने वाली) इन्द्रियाँ बलात् हर लेती हैं। ध्यान में मन नहीं लगता । मन भागता है, बाहर भटकता है। कभी चीटियाँ काटती अनुभव होती हैं, कभी शरीर में कहीं दर्द उठता है, तो कभी हिलने- डुलने का मन करता है।
मन की शांति पथ है सृजन का, निर्माण का; और इसी के विपरीत अशांति द्वार है विनाश का, विध्वंश का I कुछ छोटे लेकिन कारगर उपायों पर अमल करके मन की शांति प्राप्त की जा सकती है। जीवन की बहुत सी चुनौतियों के मध्य, उलझनों और भटकावों से जूझते हुए मन अशांत रहने लगता है।मन की शांति पाने के लिए प्रयास इसलिए भी आव
यदि आप कोशिश करते हैं और कुछ भी हासिल नहीं होता तो उसमे आपकी कोई गलती नही है. लेकिन यदि आप ज़रा भी कोशिश नही करते और हार जाते हैं तो पूरी ग़लती आप ही की है.
"हम सभी जो कि इस श्यामल धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है की दुनिया में क़दम रखने से लेकर आख़िरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाए रखने के लिए जो भी कर सकें, करें; क्योंकि यह वही धरती है जो
यदि मनुष्य को अपनी दिव्यता तथा अपने भीतर छिपी महाशक्ति पर विश्वास हो तो वह अद्भुत कर्म कर सकता है। वह बचपन से ही अपनी आत्म-धारणा से संलग्न नकारात्मक तथा दुर्बलतापूर्ण भावों को दूर कर सकता है। जीवन में उन्नति के लिए आवश्यक ऊर्जा, पवित्
एक ओहदेदार सज्जन को अपने ही जैसे किसी बड़े आदमी से फ़ोन पर बात करनी थी। सुबह-सुबह फ़ोन मिलाया तो जवाब मिला अभी तो सात बजे हैं, साहब तो दस बजे मिलेंगे। उन सज्जन ने जैसे सुनकर भी अनसुनी कर दी। दोबारा फ़ोन मिलाक
स्वामी विवेकानंद ने कहा है-"दुर्बलता का उपचार सदैव उसी का चिंतन करते रहना नहीं, बल्कि अपने भीतर निहित बल का स्मरण करना है। मनुष्य को पापी न बतलाकर वेदांत इसके ठीक विपरीत मार्ग का ग्रहण करता है और कहता है- 'तुम पूर्ण तथा शुद्धस्वरूप हो औ