“जीवन का आनन्द स्वयं को जानने में है I”
—सुकरात
2 नवम्बर 2015
“जीवन का आनन्द स्वयं को जानने में है I”
—सुकरात
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D