“यदि आप निराश हैं तो आप अतीत में रह रहे हैं, यदि आप चिंतित हैं तो आप भविष्य में रह रहे हैं और यदि आप प्रसन्नचित्त हैं तो आप वर्तमान में जी रहे हैं I”
11 दिसम्बर 2015
“यदि आप निराश हैं तो आप अतीत में रह रहे हैं, यदि आप चिंतित हैं तो आप भविष्य में रह रहे हैं और यदि आप प्रसन्नचित्त हैं तो आप वर्तमान में जी रहे हैं I”
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
धन्यवाद , योगिता जी एवं गौरी कांत शुक्ल जी !
14 दिसम्बर 2015
अति सुंदर
11 दिसम्बर 2015
सत्य !
11 दिसम्बर 2015