एक ओहदेदार सज्जन को अपने ही जैसे किसी बड़े आदमी से फ़ोन पर बात करनी थी। सुबह-सुबह फ़ोन मिलाया तो जवाब मिला अभी तो सात बजे हैं, साहब तो दस बजे मिलेंगे। उन सज्जन ने जैसे सुनकर भी अनसुनी कर दी। दोबारा फ़ोन मिलाकर पूछा, "कौन ?" जवाब मिला, "दरबान बोल रहा हूँ साहब।" महोदय ने फ़ोन पटक दिया। आधे घंटे बाद फिर से फ़ोन मिलाया। उत्तर फिर से वही मिला तो झुल्लाते हुए फ़ोन काट दिया। साढ़े दस बजे उन महाशय ने फिर फ़ोन लगाया और पूछा, "दरबान बोल रहे हो ?" इस बार वही बड़ा अधिकारी फ़ोन पर था, सो उसने झुंझलाकरओहदे वाले सज्जन का फ़ोन पटक दिया।
जल्दबाज़ी, चिंता और झुंझलाहट से काम बिगड़ते हैं। कोई काम पूरा होने में और अधिक देर लगती है। इसके विपरीत, शांत मन से, अनवरत कार्य करने वाला, धीमी गति से भी कार्य को समय से पूरा कर लेता है।