shabd-logo

मर्माहत

16 सितम्बर 2023

5 बार देखा गया 5


मर्माहत.


 


सुबह होने में अभी समय था साढ़े तीन चार बजे होंगे सूची का फोन घनघना उठा. पूरा परिवार गहरी नींद में था। सूची जो नींद से जल्दी उठती नहीं थी उस समय अलसायी सी उठी और बिना देखे फोन को कानों से लगा लिया था दूसरी तरफ एक माँ का हताशा और करुणा का स्वर था. सुनकर  सूची कि नींद कि नींद जाती रही।... अतिषी मौसी का का चीत्कार उसे भीतर से झकझोर दिया था... ‘‘सूची देखो न बऊआ को सांप काट लिया है किसीको भेजो न उसे कहीं ले जाएगा‘‘ 


 


‘‘तुम कहाँ हो बऊआ कहाँ है‘‘ 


 


 ‘‘मैं तो उड़ीसा में हूँ बऊआ पाकुड़ में है... सरोज के पास ही है भेजो न किसी को जल्दी‘‘ 


 


सरोज अतिषी मौसी का भाई था और सूची के घर से छः-सात किलोमीटर दूर शहर के छोर पर रहता था। 


 


सूची ने अपने पिता को जगाया और पिता ने सरोज को फोन लगा दिया था ‘‘क्या हुआ सरोज कहाँ है अभी?‘‘ 


 


‘‘बऊआ के साथ सोया था उसको सांप काट लिया है‘‘ फोन कट चूका था।  


 


सूची के पिताजी अपने बेटे के साथ मोटर साइकिल से सरोज के घर के लिए निकल गए। वहाँ सरोज या उसका भांजा नहीं था। आस-पड़ोस ने पिताजी को रात में घटी दुखद घटना के बारे में बताया। अतिषी अपने पति और तीन बच्चों के साथ के साथ मयूरभंज जिले में रहती थी। उसके पति खदान में काम करते थे। बच्चों की महीने भर की गरमी की छुट्टी हो गई थी। अतिषी दस दिनों के लिए बच्चों के साथ अपने मायके आ गई। और जो लौटने को हुई तो बच्चों ने छुट्टियाँ खत्म होने तक नहीं जाने और मामा घर में ही रुकने की जीद ठान ली। चूंकि अतिषी को पति के काम से जाना जरूरी हो गया तो वह बच्चों को वहीं छोड़कर मयूरभंज चली गई।  


 


उस दिन रोज की तरह बच्चे और उसका मामा सरोज खा पीकर सो गए। सरोज दिहाड़ी मजदूर था और यहाँ अपने लायक दो रूम का सस्ता-सुविस्ता डेरा खोज लिया था। शहर के किनारे का यह इलाका जंगली झुरमुटों-झाड़ियों से भरा था। दोनों रूम में बेड रहते हुए भी बच्चे अलग रूम में सोना नहीं चाहते थे। सभी एक ही कमरे में सो गए। दो पलंग पर सो गए और एक बच्चा मामा के साथ नीचे चटाई पर बेड डालकर सो गया था। आखिर बच्चे थे, लेकिन उस रोज यही गलती उनपर गाज बनकर गिरने वाली थी। साढ़े ग्यारह बज रहा होगा तो अचानक मामा के साथ जमीन पर सोया बऊआ चीखा...मामा....मामा....सांप काट लिया। सरोज हड़बड़ाकर उठा और देखा करैत था।  


 


करैत पूर्वी भारत में घरेलू जगहों जैसे कबाड़, खंडहर, खपड़ा घर की चाली आदि पर जगह जमा लेता है। अन्य दूसरे सांपों की तरह यह मनुष्यों पर कभी हमला नहीं करता है वरना डरता है। यह सांप हमला तभी करता है जब इसको छेड़ा जाए या सांप को कोई असुरक्षा महसूस हो, जैसे किसी का पैर पड़ जाने पर या सोते हुए दब जाने पर। यह जीव गर्मी के मौसम में ज्यादा सक्रिय होता है और इसका दंश बेहद जहरीला होता है। इसके काटे का समय पर (दो-से चार घंट में) इलाज नहीं मिलने पर परिणाम घातक हो सकता है।  


 


सरोज ने कोने से लाठी उठाई और चटाई के नीचे छुप रहे सांप पर कई लाठियां बरसाई, सांप वहीं ढेर हो गया। लेकिन संकट जस-का-तस था। उसने पलटकर पुछा- “बाबू, तुमको कुछ लग तो नहीं रहा है।” “नहीं सिर्फ लहर रहा है।” “कब से पंद्रह मिनट से।” “पहले क्यों नहीं बताया” बच्चा ज्यादा कुछ नहीं बता सका। 


 


 दिन भर के थके हारे सरोज को यह सुनकर हजारों वाट का करेंट सा लगा। वह कपड़े जैसे-तैसे पहने घर से बाहर निकला और अगल-बगल के दरवाजों पर कांपते हाथों से दस्तक देना शुरू किया। उस जगह पर दस-बारह घर रहे होंगे, सभी पारंपरिक और रोज कमाने खाने वाले लोग थे। कुछ ने दरवाजा नहीं खोला और कुछ बाहर आए। घटना के बारे में जानकर सभी व्यथित तो हुए लेकिन इस परिस्थिति में क्या हो इसका उन्हें ज्ञान न था। एक ने कहा जख्म के आगे रस्सी टाइट करके बांध दो और जख्म को चीरकर जहर निकाल दो। दूसरे ने कहा जल्दी हाॅस्पिटल ले जाओ। सरोज भागा किसी के घर मोटर साइकिल मिल जाए। पड़ोस का लखन सबेरे ही अपनी मोटर साइकिल से रिश्तेदार के यहाँ चला गया था। अनवर का मोपेड खराब था। और दस-बारह घर के मोहल्ले में किसी और के पास कोई गाड़ी नहीं था। हाॅस्पिटल जाने के लिए उसे करीब दो किलोमीटर चलकर मेन रोड पर जाना पड़ता और वहां से हाॅस्पिटल पांच किलोमीटर था। रोड तक वह चला भी जाए तो इस समय बीच रात को रोड से कोई गाड़ी-घोड़ा मिलेगा यह वह सोंच ही रहा था कि  इतने में सफेद मूँछ-दाढ़ी वाले बगल गीर दादू निकले और सलाह दिए कि थोड़ी दूर पर पोखर के आगे दूबे बाबा का मंदिर है वहीं पुजारी  भी रहता है। उन्हीं के पास ले जाए वह दूबे बाबा के मंदिर में ले जाकर नीर पढ़कर देगा। बच्चा है कुछ नहीं होगा बाबा की कृपा से सब जहर-माहुर उतर जाता है। वह दर्जनों लोगों को  नीर पीकर ठीक होते देखते आया है। बाकी लोगों ने भी कहना शुरू किया कि हाँ वही ठीक रहेगा। रात को हाॅस्पिटल में डाक्टर होगा कि नहीं होगा भी तब सुनेगा कि नहीं। मरता क्या न करता वह बच्चे को गोद में लिया और उसके साथ का एक पड़ोसी को लेकर पुजारी के घर के लिए निकल गया। अब तक घटना को घंटा भर से ज्यादा बीत चुका था। 


 


दोनों लपकते हुए पुजारी के घर पहुंचे और दरवाजा पीटना शुरू किया पहले तो बूढ़ी निकली सवालों की झड़ी लगा दी,  कौन है? कहाँ का है? क्या हुआ? क्या था? आदि-आदि। सब तसदीक करने पर वह बूढ़े पुजारी को उठाकर लाई। पुजारी वृद्ध था लेकिन या तो नशे में था या लड़खड़ाता था। लेकिन पुजारी लड़खड़ाते हुए कह गया कि हर बार यह काम करता जरूरी नहीं है। लेकिन वह उसके पास आया है और अगर कहेगा तो मंदिर ले जाएगा। और बाकी सब भगवान के हाथ में है। सरोज इतना ही कह पाया- “ठीक है चलिए।” 


घटना को घटे दो घंटे हो चला था। 


 


 पुजारी के घर के पीछे चार-पाँच खेत पार कर दूबे बाबा का मंदिर था। रात में झींगुरों की आवाजें आ रही थी। दूबे बाबा के मंदिर के बाहर चबूतरा बना हुआ था। पुजारी ने बच्चे को कमीज खोलकर चबूतरे पर लिटाने को कहा और कहा कि मंदिर के कुएँ से पानी निकालकर बच्चे पर उढ़ेलता रहे। बच्चा गरहोश हो रहा था। सरोज ने बच्चे को दो तीन बार पुकारा- “बाबू .....बाबू .....बाबू .......। बच्चे ने कोई आवाज नहीं की। सरोज जितनी तेजी से हो सकता था कुएँ के पास गया और बाल्टी से पानी खिच-खिचकर लिटाये गए बाबू पर डालता रहा। पुजारी मंदिर से नीर लेकर निकला और कुछ बूँदें बच्चे के शरीर पर छिड़क दिया और कुछ बूँदें आचमनी से बच्चे के मुख में भी डाल दिया। बच्चे में कुछ हलचल हुई वह इतना ही कह पाया मामू पानी...इसके बाद उसके मुंह से झाग की एक धार निकल गई। अब तो सरोज का धैर्य भी जवाब दे रहा था। घटना के बाद तीसरा घंटा निकल रहा था। 


 


 तभी कुछ फर्लांग पर गांव के सड़क पर एक रोशनी सी आती हुई दिखाई दिया। सरोज उसकी ओर भागा....वह ऑटो थी और उसपर सरोज का दोस्त मिर्धा भी सवार था। मिर्धा घटना की जानकारी पाकर ऑटो लेकर मंदिर की ओर ही आ रहा था। मिर्धा और सरोज दोनों बच्चे की ओर दौड़े और उसे उठाकर ऑटो पर लिटाया और ऑटो हाॅस्पिटल की ओर चल पड़ी। गाँव के उबड़-खाबड़ रास्ते को पार करते हुए आटो मैन रोड पर आई। उबड़-खाबड़ में दो बार रुकने पर भी ऑटो लगभग तीस से चालीस मिनट में हाॅस्पिटल घुस गई।  


 


 कर्तव्यपरायण डाॅक्टर ओपीडी में आँख बंद किए हुए अपनी कुर्सी पर बैठा था। सभी भागे आए। सरोज ने सामने की बेड पर आधा नंगे और आधा भीगे बाबू को लिटा दिया। डाॅक्टर के द्वारा क्या हुआ पूछने पर सरोज ने जैसे ही सारी बात और घटना का समय बताया, कि डाॅक्टर एक पल के लिए खिड़की की ओर देखा और बुरी तरह बिफर पड़ा - “ हे ईश्वर कब बुद्धि देगा इन सब जाहिल को।” फिर सरोज की ओर मुड़कर चीख उठा - “कैसा बज्र है जी तुम....जरा भी अक्ल नहीं है तुमको...तुम लोग जरा-सा भी नहीं सोचते हो। ईश्वर हमें ढांढस देता है, धीरज देता है, भरोसा देता है....वह दवाई और उपचार नहीं दे सकता है।” सरोज काठ रह गया।  


 


 डाॅक्टर तेजी से उठा बच्चे की नब्ज टटोली, जख्म देखा और दौड़ गया एंटी वेनम प्रीजरवेशन रूम की ओर। पाँच मिनट के अंदर एंटी वेनम इंजेक्ट कर दिया गया। पर बच्चा अपने जीवन की जंग हार गया था। 


 


 वार्ड के बाहर दो नर्स आपस में बातें कर रही थी- “गाँव-देहात में प्रायः सब मूर्ख ही होता है....झाड़-फुँक में समय पार कर लेता है तब हॉस्पिटल लेकर आता है। मेरे मुहल्ले में एक दूधवाला को ऐसे ही सांप डंसा तो वह पुजारी के पास जाके बोला कि पुजारी जी वह भगवान का बहुत सेवा किया है....उसको कुछ नहीं होगा...केवल उसको दुबे बाबा का नीर दे दे। वह नहीं बचा। उसकी पत्नी का हादसे के बाद मानसिक संतुलन बिगड़ गया और वह विक्षिप्त होकर अब सारे शहर में भटकती फिरती है।” 


 


बच्चे का क्या हुआ यह छोड़ ही दें, परिणाम हृदयविदारक होना ही था। बहरहाल ये एक कहानी है और आपको शिक्षित करने के लिए लिखी गई है। भारत में सांपों की 400 के आस-पास प्रजातियाँ है और उसमें से सिर्फ चार जहरीली होती है। अगर किसी को बिना जहर के सांप का दंश हुआ है जो कि प्रायः है तो आप ऐसे आदमी को कहीं ले जाए उसे कोई नुकसान नहीं होगा। सर्पदंश के बाद खुद अनुमान करना कि सांप जहरीला था अथवा नहीं, भी जोखिम कर सकता है। इलाज केवल यही है कि सर्पदंश के बाद आदमी को निष्क्रिय कर देना चाहिए यानी उसे लिटा देना चाहिए और जितना जल्दी हो सके मरीज को जिला अस्पताल पहुँचा देना चाहिए। सांप के जहर का एकमात्र इलाज एंटी वेनम इंजेक्शन होता है जो आमतौर पर जिला अस्पताल में सरकार द्वारा उपलब्ध रहता है। 


 


-पुरुषोत्तम 


(यह मेरी स्वरचित और मौलिक रचना है) 


  

40
रचनाएँ
यथार्थ की कहानियाँ
5.0
मैं एक सरकारी अधिकारी हूँ। साहित्य मेरी पसंदीदा विधा है और फुरसत के क्षणों में लिखना-पढ़ना मुझे भाता है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फनिश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई की लेखनी का मैं मुरीद हूँ। मैं मुंशी प्रेमचंद की तरह लिखना चाहता हूँ। मैं इस उच्चतम मंच पर अपनी कहानी संग्रह के माध्यम से अपनी लेखनी को आपके बीच रखता हूँ। कहानियों के साथ-साथ मैंने कुछ कविताएं भी पिरोई है। मैं वास्विक और जिवंत कहानियाँ व कविताएं लिखना चाहता हूँ जो हमारे और आपके जीवन को प्रतिबिम्बित करें। इसमें कपोल कल्पनाओं और फंतासी की नाममात्र भी झलक नहीं हो। लोग किरदारों के साथ खुद को जिए और महसूस करे। और यह मानवीय जीवन में मूल्यों की बढ़ोतरी करे। मेरे समझ से बाजारवादिता संकिर्णता है और साहित्य को इससे दूरी बनाकर रखनी ही चाहिए। धन्यवाद।
1

प्रेम

15 सितम्बर 2023
4
2
4

प्रेम.ईबराह यही नाम था उसका। कराची के रईस परिवार से ताल्लुक रखती थी। आधुनिक विचारों वाली जहीन कमसिन थी। डॉक्टर बनना हो यह शायद ही ख्वाहिश हो पर इस वक्त वह कीव के नेशनल यूनिवर्सिटी में फ्रेशर थी। लंबा

2

विजय

15 सितम्बर 2023
2
1
1

"विजय".   मनिहारपुर कस्बा एक फैला हुआ पहाड़ी कस्बा था। ऊपर के कस्बे में पानी की किल्लत रहती तो निचले इलाके में बरसात में दिक्कत होती। आमतौर पर लोग ऊपर कस्बे को आन टोला और नीचे कस्बे को पान टोला

3

समय के टुकड़े

15 सितम्बर 2023
1
1
2

समय के टुकड़े.   यार कहाँ रहते हो, आते हो और समय नहीं देते हो  भूल गये हो हमें या खुद में सिमट गए हो...    सब्जीवाले से मोल-तौल करता मैं  हाथ में झोली और कुछ रुपये जेब में   

4

अरवी के पत्ते

15 सितम्बर 2023
0
0
0

अरवी के पत्ते.    ट्रेन से उतरकर मैं सीधा स्टेशन के आगे के बाजार में चला गया। घर में सब्जियां थी नहीं और सुबह ही श्रीमती जी ने ताकीद कर दी थी कि लौटते सब्जियां लेता आऊँ नहीं तो कल टिफिन में आल

5

तरगें

15 सितम्बर 2023
0
0
0

तरंग.    मस्तिष्क में उठती अनगिनत तरंगें  अपरिमित ऊर्जा से भरी हुई  कई बार मुश्किल होता है  इन तरंगों को संभालना  मस्तिष्क की कमजोर तंतुएं  बिखरती है इस ऊर्जा के आगे  और मुश्

6

एसएससी

15 सितम्बर 2023
1
1
2

एसएससी.    यह सच्ची कहानी है। 2003 का साल था और एक लंबे समय के बाद कर्मचारी चयन आयोग की स्नातक स्तरीय की वेकेंसी आई थी। और मेरा स्नातक होने के बाद स्नातक स्तरीय यह पहली वेकेंसी थी। कहना न होगा

7

हम कब जागेंगे

15 सितम्बर 2023
1
1
1

हम कब जागेंगे.   हम न उस काल में हो सके  न वो इस काल को जी सके  हम तुम हैं अभी साथ में  यही तो सच है।  तुम फिर भी रूठो पर मान जाओ  यह शीतयुद्ध किसे याद रहेगा  या फिर हम कब जा

8

भिखारी

15 सितम्बर 2023
0
0
0

भिखारी.     ऐसा नहीं था कि उसे भिखारियों से हमदर्दी नहीं रहती थी पर अपनी लाचारी को भीख मांगने के लिए इस्तेमाल करते देखकर उसे कोफ्त होता था। अकसर राह चलते या मंदिर के बाहर अपंगों को देखता तो उन

9

गंगा घाट की यात्रा (पवित्र यात्रा संस्मरण)

15 सितम्बर 2023
0
0
0

गंगा घाट की यात्रा (पवित्र यात्रा संस्मरण).    ‘सुनते हैं बाबा नहीं रहे। अभी मम्मी का फोन आया था।‘    पिछले कुछ दिनों से बाबा (मेरी पत्नी के दादा) ने खाना पीना छोड़ रखा था, वह जीवन के आ

10

रिक्तताएं

15 सितम्बर 2023
1
1
1

रिक्तताएँ.    तुमसे कई मुलाकातें अकसर की राह चलते की  टुकड़ों में ही सही बातें रोज की थी अपनी तुम्हारी  तुम्हारे लिए बेहद सामान्य रहा होगा ये सब  मेरे लिए भी इसके कोई खास मायने नहीं रख

11

इनिंग्स

15 सितम्बर 2023
0
0
0

इनिंग्स.    इवनिंग हाउस काॅलेज की वूमेन्स टीम इंटर काॅलेज वूमेन्स क्रिकेट चैम्पियशिप में सेमी फाइनल में हार कर बाहर हो गई थी। इवनिंग हाउस की टीम ने जबरदस्त संघर्ष दिखाया था और मैच हारकर भी पीस

12

अभिमान

15 सितम्बर 2023
0
0
0

"अभिमान". घड़ी भर पहले जूझते बच्चे खेल में वापस मगन थे  स्नेह बंधन में बंध चुके थे अभी-अभी जो गुत्थम गुत्था थे  खिलौने जिनसे विवाद था, हाशिये पर हो चले थे  द्वेष मुक्त बच्चे अपनी घरौंदों

13

मर्माहत

16 सितम्बर 2023
0
0
0

मर्माहत.   सुबह होने में अभी समय था साढ़े तीन चार बजे होंगे सूची का फोन घनघना उठा. पूरा परिवार गहरी नींद में था। सूची जो नींद से जल्दी उठती नहीं थी उस समय अलसायी सी उठी और बिना देखे फोन को कानो

14

मैंने देखा है...

16 सितम्बर 2023
0
0
0

मैंने देखा है.   अकसर युद्धों को बिना लड़े खत्म होते हुए  ठाने हुए रार को स्मृतियों से विस्मृत होते हुए  कुटिलताओं को मन की समाधि लेते हुए  दुर्भावनाओं को अन्तःकरण में विलीन होते हुए 

15

अव्यक्त

16 सितम्बर 2023
0
0
0

अव्यक्त.  मैं प्रायः सवेरे जग जाता हूँ या डीएसओ साहब की रींग तड़के मेरे फोन पर गूंज उठती है। मेरे देवघर शिफ्ट करने के बाद एक अच्छी बात यह रही है कि मुझे डीएसओ साहब जो अभी हाल में ही रिटायर हुए हैं

16

कूड़ा भोज

27 सितम्बर 2023
0
0
0

कूड़ा भोज.     भारत की आजादी की पहली सालगिरह थी। लोगों में इस बात को लेकर हर्ष था और हो भी क्यों न अपने आजाद मुल्क में सांस लेना गर्व का विषय था। लोग इस गौरवशाली क्षण और बहुमूल्य आजादी को संजोक

17

अहम

27 सितम्बर 2023
0
0
0

अहम.  कोटा शहर के प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट अंशल क्लासेस का कम्पाउंड, छात्र-छात्राओं की गहमागहमी से बेजार था। जेईई एडवांस्ड का परिणाम आया था। ढाई लाख अभ्यर्थियों में करीब चालीस हजार के हाथ सफलता लगी

18

वामिस

7 अक्टूबर 2023
0
0
0

वामिस. बात 2016 अंतिम की है। कार्य प्रमण्डलों के लेखा पदाधिकारियों को लेखा प्रक्रिया के डिजिटलीकरण के प्रशिक्षण के लिए चिट्ठियां आनी शुरू हो गई थी। पुराने पैटर्न पर जो लेखा पद्धति थी उसमें भर-भरकर विस

19

इंडियन या वेस्टर्न

15 अक्टूबर 2023
0
0
0

इंडियन या वेस्टर्न.    नहीं, नहीं बिलकुल भी नहीं चौंकिए यहाँ दो देशों, दो संस्कृतियों या दो जीवन-शैली की बात नहीं हो रही है। पाठकों को नाहक एक गैर जरूरी विवाद में घसीटने का मेरा कोई इरादा नहीं

20

भूत

17 अक्टूबर 2023
1
0
1

भूत.   हाल के दिनों में जितने प्राणी धरती से विलुप्त हुए हैं उसमें से अकसर इस प्रजाति की चर्चा नहीं होती है, वह है भूत। पहले क्या दिन हुआ करते थे, गांव या छोटे कस्बों के बाहर जो पुराना पेड़ रहत

21

मेला

3 नवम्बर 2023
1
0
0

मेला.    इस बार का दुर्गापूजा खास होनेवाला था। मित्र मंडली के प्रायः लोग जुड़ रहे थे। यह माता रानी की असीम कृपा ही कही जा सकती थी कि उनके उत्सव पर देश के अलग-अलग कोने में रह रहे मित्र वर्षों बा

22

अमीना

8 नवम्बर 2023
1
0
1

अमीना. लखनऊ, नवाबों का शहर। बिहार के वारसलीगंज का एक परिवार अपनी आजीविका के लिए यहाँ बस गया था। अनवर कपड़े के दुकान में काम करता और हमीदा दो कमरों वाले मकान की आगे वाली हिस्से में फूलों की दुकान चलाती

23

बड़का-छोटका (आँचलिक कथा)

18 नवम्बर 2023
0
0
0

बड़का-छोटका. बात उन दिनों की है जब मोबाइल ने भाईचारे को निगला नहीं था। लोग एक-दूसरे के बगैर चल नहीं पाते थे। रंज भी आपस के लोगों से, तो मनोरंजन का साधन भी वही। समाज का ताना-बाना एक-दूसरे को जोड़कर गहरा

24

ट्रीट का बदला

2 दिसम्बर 2023
1
1
1

ट्रीट का बदला. कहानी गाँव के दो हम कदम दोस्तों की विक्रम और गुड्डू। दोनों एक-दूसरे के बगैर रह नहीं पाते थे लेकिन धुर विरोधी के रूप में। दोनों साथ में जीते, खेलते-कूदते लेकिन विरोध में रहते जैसे कि आप

25

भोला

17 दिसम्बर 2023
0
0
0

भोला.जैसा नाम वैसा चरित्र, भोला सच में बहुत भोला था। खाते-पीते घर का भोला की शादी बंगाल में कर दी गई थी। लड़की भी गऊ थी इसलिए कहते हैं कि जोड़ियाँ ईश्वर बनाता है। शादी के बाद पत्नी को लेकर भोला जब ससुरा

26

सन एक लाख दो हजार चौबीस(गल्प कथा)

21 दिसम्बर 2023
1
1
2

सन एक लाख दो हजार चौबीस.  सन एक लाख दो हजार चौबीस, यानी अब से ठीक एक लाख साल बाद का समय। दुनिया बहुत बदल चुकी है। नहीं सिर्फ बदल ही नहीं चुकी है बहुत आगे जा चुकी है। सभी ग्रहों पर मानव बस्तियाँ ब

27

जन्मों का संबंध

14 जनवरी 2024
0
0
0

जन्मो का संबंध.    सुरभि घर की दुलारी थी और हो भी क्यों न चार भाई-बहनों में सबसे छोटी जो थी। सभी उसपर लट्टू रहते थे। सारिका सबसे बड़ी, अभी हाल में उसकी शादी हुई थी। शादी के बाद जब से मायके आई थ

28

बिरादरी का आदमी

31 जनवरी 2024
0
0
0

बिरादरी का आदमी. चंद्रचुड़ कल ही कालू साव के यहाँ निमंत्रण खाकर लौटा था और चौक पर आठ-दस जनों के सामने भोज की किरकिरी कर रहा था। गाँव में चुगली ज्यादा होने का भी कारण है कि गाँव में चुगली का पूरा-क

29

ईश्वर और अध्यात्म

31 जनवरी 2024
0
0
0

ईश्वर.  मैं शुरू से ही ईश्वर को लेकर थोड़ा हटकर सोचता था। और मेरी छवि लगभग ऐसी थी कि मैं हार्डकोर ईश्वर समर्थक कभी नहीं माना गया। जैसे कि ईश्वर का भौतिक अस्तित्व मुझे कभी समझ में नहीं आया। मैं आज

30

शक की सुई

8 फरवरी 2024
0
0
0

शक की सूई. राजा मोहन और निकेश अच्छे मित्र थे। दोनों ने साइंस कॉलेज में साथ-साथ पढ़ाई की और दोनों की सरकारी नौकरी भी पटना में ही लग गई। दोनों की शादी हुई, बाल-बच्चे हुए और दोनों की निभती भी गई। दोन

31

प्रसाद(लघुकथा)

21 फरवरी 2024
0
0
0

प्रसाद (लघुकथा).   यूट्यूब पर अमोघ लीला प्रभु के वीडियोज देखकर मेरी अध्यात्म और इस्कॉन के प्रति आस्था बढ़ी और मेरे जीवन में स्थिरता आई और गुणात्मक सुधार हुआ। और नियमित तो नहीं पर विशेष अवसरों प

32

प्रायश्चित

26 फरवरी 2024
1
1
1

प्रायश्चित. ब्रजमोहन देव के पक्ष में जमीन की डिग्री नहीं हुई थी। जिस जमीन पर उसने दावा किया था वह प्रधानी जोत थी। जमीन पर उसका दावा खारिज हो गया था। लेकिन विशारदपुर थाने का बड़ा बाबू सकते में था।

33

मोटर

19 मार्च 2024
1
1
1

मोटर.    उपेन्द्र के लिए खाली समय था और वह टीवी पर ‘मैंने गाँधी को नहीं मारा’ फिल्म देख रहा था। डिमेंशिया से जुझते वृद्ध पिता और अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर भी उसे उस स्थिति से बाहर निकालने को ज

34

राग ठेकेदारी

16 अप्रैल 2024
1
0
0

श्री लाल शुक्ल की 'राग दरबारी' से प्रेरित यह रचना-"राग ठेकेदारी"चंपापुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड से जल-मीनार का टेंडर निकला हुआ था और इसको लेकर ठेकेदारों में सरगर्मी बढ़ गई थी। चंपापुर में एक खास बात थी कि डि

35

प्रेमालाप

21 अप्रैल 2024
1
1
1

प्रेमालाप.“क्या हमारा ब्याह न हो पायेगा आरू?” अरिंदम की बाँहों में सिमटी सुनयना ने आह भरते हुए कहा।“नहीं।”“क्यों आरू।”“क्योंकि तुम बड़े घर की हो और मैं छोटे घर का।”“लेकिन मुझे तुमसे दूर रहना होगा, यह स

36

पहली ड्यूटी

5 मई 2024
0
0
0

*पहली ड्युटि*हम सबको पता है कि भारत के बाकी सभी पर्वों की तरह चुनाव का पर्व भी अहम होता है। लोकतंत्र और चुनाव दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में हर दूसरे-तीसरे साल इस पर्व से स

37

"नेहा"

26 मई 2024
0
0
0

”नेहा“ अनुमंडल से कोई बारह किलोमीटर दूर, संथाल की पठार का एक गाँव कमलपुर। गाँव नहीं देहात, भोले-भाले, खेती-किसानी करने वाले लोग। अनपढ़ों की पिछड़ी बस्ती। बस्ती पिछड़ी भली लेकिन सपने आसमान में उड़ने क

38

गंगा

26 जुलाई 2024
0
0
0

गंगा साहेबगंज की गंगा की धार के किनारे बसे दो गरीब परिवार में जैसे भी हो आपस में बनती थी। तट से लगे बस्ती की समाप्ति के बाद बाढ़ का पानी रोकने के लिए तट बंध बना था जिससे आगे नदी की ढलान शुरू होती

39

पेड़

18 अगस्त 2024
0
0
0

पेड़ भीलवाड़े के अचकन सेठ ने अपनी आरे मील के लिए शहर में जाने जाते थे। वह अपने इलाके में हजारों हरे-भरे पेड़ों को मील के लिए कटवा चुका था और उसके तने को साइज करवा कर दरवाजों और फर्नीचर की जरूरत को ब

40

एक सेर धान

1 सितम्बर 2024
0
0
0

एक सेर धान अगहन के दिन थे, नंदलाल साव के खेतों में जड़हन धान की कटाई चल रही थी। फसल अच्छी झर रही थी। नंदलाल की घरवाली और बच्चे बहुत खुश थे। खुशी बढ़ जाने का कारण और भी था। महुआ के पेड़ के नीचे का, उ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए