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तरगें

15 सितम्बर 2023

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तरंग. 


 


मस्तिष्क में उठती अनगिनत तरंगें 


अपरिमित ऊर्जा से भरी हुई 


कई बार मुश्किल होता है 


इन तरंगों को संभालना 


मस्तिष्क की कमजोर तंतुएं 


बिखरती है इस ऊर्जा के आगे 


और मुश्किल में डालती है हमें 


हमें और तुम्हें और सबको 


मस्तिष्क की तंतुएं कमजोर 


और असहाय क्यों पड़ जाती है 


 इस अपरिमित ऊर्जा के आगे 


 


तंतुएं जहाँ से निकलती है ऊर्जा 


असहाय क्यों दिखती है 


तरंगित ऊर्जाओं के सामने 


दरअसल हम प्यार करते हैं 


पुलकित करती ऊर्जाओं को 


और नकारते हैं तंतुओं को 


इतना की हो जाती वे बेबस 


हम रिठाते नहीं तंतुओं को 


खोए रहते हैं ऊर्जाओं के सम्मोहन में। 


 


-पुरुषोत्तम 


(स्वरचित व मौलिक) 


  

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रचनाएँ
यथार्थ की कहानियाँ
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मैं एक सरकारी अधिकारी हूँ। साहित्य मेरी पसंदीदा विधा है और फुरसत के क्षणों में लिखना-पढ़ना मुझे भाता है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फनिश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई की लेखनी का मैं मुरीद हूँ। मैं मुंशी प्रेमचंद की तरह लिखना चाहता हूँ। मैं इस उच्चतम मंच पर अपनी कहानी संग्रह के माध्यम से अपनी लेखनी को आपके बीच रखता हूँ। कहानियों के साथ-साथ मैंने कुछ कविताएं भी पिरोई है। मैं वास्विक और जिवंत कहानियाँ व कविताएं लिखना चाहता हूँ जो हमारे और आपके जीवन को प्रतिबिम्बित करें। इसमें कपोल कल्पनाओं और फंतासी की नाममात्र भी झलक नहीं हो। लोग किरदारों के साथ खुद को जिए और महसूस करे। और यह मानवीय जीवन में मूल्यों की बढ़ोतरी करे। मेरे समझ से बाजारवादिता संकिर्णता है और साहित्य को इससे दूरी बनाकर रखनी ही चाहिए। धन्यवाद।
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15 सितम्बर 2023
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प्रेम.ईबराह यही नाम था उसका। कराची के रईस परिवार से ताल्लुक रखती थी। आधुनिक विचारों वाली जहीन कमसिन थी। डॉक्टर बनना हो यह शायद ही ख्वाहिश हो पर इस वक्त वह कीव के नेशनल यूनिवर्सिटी में फ्रेशर थी। लंबा

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15 सितम्बर 2023
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"विजय".   मनिहारपुर कस्बा एक फैला हुआ पहाड़ी कस्बा था। ऊपर के कस्बे में पानी की किल्लत रहती तो निचले इलाके में बरसात में दिक्कत होती। आमतौर पर लोग ऊपर कस्बे को आन टोला और नीचे कस्बे को पान टोला

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समय के टुकड़े

15 सितम्बर 2023
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समय के टुकड़े.   यार कहाँ रहते हो, आते हो और समय नहीं देते हो  भूल गये हो हमें या खुद में सिमट गए हो...    सब्जीवाले से मोल-तौल करता मैं  हाथ में झोली और कुछ रुपये जेब में   

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15 सितम्बर 2023
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तरगें

15 सितम्बर 2023
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15 सितम्बर 2023
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एसएससी.    यह सच्ची कहानी है। 2003 का साल था और एक लंबे समय के बाद कर्मचारी चयन आयोग की स्नातक स्तरीय की वेकेंसी आई थी। और मेरा स्नातक होने के बाद स्नातक स्तरीय यह पहली वेकेंसी थी। कहना न होगा

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हम कब जागेंगे.   हम न उस काल में हो सके  न वो इस काल को जी सके  हम तुम हैं अभी साथ में  यही तो सच है।  तुम फिर भी रूठो पर मान जाओ  यह शीतयुद्ध किसे याद रहेगा  या फिर हम कब जा

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15 सितम्बर 2023
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भिखारी.     ऐसा नहीं था कि उसे भिखारियों से हमदर्दी नहीं रहती थी पर अपनी लाचारी को भीख मांगने के लिए इस्तेमाल करते देखकर उसे कोफ्त होता था। अकसर राह चलते या मंदिर के बाहर अपंगों को देखता तो उन

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गंगा घाट की यात्रा (पवित्र यात्रा संस्मरण).    ‘सुनते हैं बाबा नहीं रहे। अभी मम्मी का फोन आया था।‘    पिछले कुछ दिनों से बाबा (मेरी पत्नी के दादा) ने खाना पीना छोड़ रखा था, वह जीवन के आ

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15 सितम्बर 2023
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रिक्तताएँ.    तुमसे कई मुलाकातें अकसर की राह चलते की  टुकड़ों में ही सही बातें रोज की थी अपनी तुम्हारी  तुम्हारे लिए बेहद सामान्य रहा होगा ये सब  मेरे लिए भी इसके कोई खास मायने नहीं रख

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इनिंग्स.    इवनिंग हाउस काॅलेज की वूमेन्स टीम इंटर काॅलेज वूमेन्स क्रिकेट चैम्पियशिप में सेमी फाइनल में हार कर बाहर हो गई थी। इवनिंग हाउस की टीम ने जबरदस्त संघर्ष दिखाया था और मैच हारकर भी पीस

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"अभिमान". घड़ी भर पहले जूझते बच्चे खेल में वापस मगन थे  स्नेह बंधन में बंध चुके थे अभी-अभी जो गुत्थम गुत्था थे  खिलौने जिनसे विवाद था, हाशिये पर हो चले थे  द्वेष मुक्त बच्चे अपनी घरौंदों

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मर्माहत

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मर्माहत.   सुबह होने में अभी समय था साढ़े तीन चार बजे होंगे सूची का फोन घनघना उठा. पूरा परिवार गहरी नींद में था। सूची जो नींद से जल्दी उठती नहीं थी उस समय अलसायी सी उठी और बिना देखे फोन को कानो

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मैंने देखा है...

16 सितम्बर 2023
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मैंने देखा है.   अकसर युद्धों को बिना लड़े खत्म होते हुए  ठाने हुए रार को स्मृतियों से विस्मृत होते हुए  कुटिलताओं को मन की समाधि लेते हुए  दुर्भावनाओं को अन्तःकरण में विलीन होते हुए 

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अव्यक्त

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कूड़ा भोज.     भारत की आजादी की पहली सालगिरह थी। लोगों में इस बात को लेकर हर्ष था और हो भी क्यों न अपने आजाद मुल्क में सांस लेना गर्व का विषय था। लोग इस गौरवशाली क्षण और बहुमूल्य आजादी को संजोक

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27 सितम्बर 2023
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अहम.  कोटा शहर के प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट अंशल क्लासेस का कम्पाउंड, छात्र-छात्राओं की गहमागहमी से बेजार था। जेईई एडवांस्ड का परिणाम आया था। ढाई लाख अभ्यर्थियों में करीब चालीस हजार के हाथ सफलता लगी

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वामिस

7 अक्टूबर 2023
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इंडियन या वेस्टर्न

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बड़का-छोटका (आँचलिक कथा)

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सन एक लाख दो हजार चौबीस.  सन एक लाख दो हजार चौबीस, यानी अब से ठीक एक लाख साल बाद का समय। दुनिया बहुत बदल चुकी है। नहीं सिर्फ बदल ही नहीं चुकी है बहुत आगे जा चुकी है। सभी ग्रहों पर मानव बस्तियाँ ब

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14 जनवरी 2024
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प्रसाद(लघुकथा)

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प्रायश्चित

26 फरवरी 2024
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प्रायश्चित. ब्रजमोहन देव के पक्ष में जमीन की डिग्री नहीं हुई थी। जिस जमीन पर उसने दावा किया था वह प्रधानी जोत थी। जमीन पर उसका दावा खारिज हो गया था। लेकिन विशारदपुर थाने का बड़ा बाबू सकते में था।

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राग ठेकेदारी

16 अप्रैल 2024
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श्री लाल शुक्ल की 'राग दरबारी' से प्रेरित यह रचना-"राग ठेकेदारी"चंपापुर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड से जल-मीनार का टेंडर निकला हुआ था और इसको लेकर ठेकेदारों में सरगर्मी बढ़ गई थी। चंपापुर में एक खास बात थी कि डि

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प्रेमालाप.“क्या हमारा ब्याह न हो पायेगा आरू?” अरिंदम की बाँहों में सिमटी सुनयना ने आह भरते हुए कहा।“नहीं।”“क्यों आरू।”“क्योंकि तुम बड़े घर की हो और मैं छोटे घर का।”“लेकिन मुझे तुमसे दूर रहना होगा, यह स

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*पहली ड्युटि*हम सबको पता है कि भारत के बाकी सभी पर्वों की तरह चुनाव का पर्व भी अहम होता है। लोकतंत्र और चुनाव दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में हर दूसरे-तीसरे साल इस पर्व से स

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”नेहा“ अनुमंडल से कोई बारह किलोमीटर दूर, संथाल की पठार का एक गाँव कमलपुर। गाँव नहीं देहात, भोले-भाले, खेती-किसानी करने वाले लोग। अनपढ़ों की पिछड़ी बस्ती। बस्ती पिछड़ी भली लेकिन सपने आसमान में उड़ने क

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गंगा साहेबगंज की गंगा की धार के किनारे बसे दो गरीब परिवार में जैसे भी हो आपस में बनती थी। तट से लगे बस्ती की समाप्ति के बाद बाढ़ का पानी रोकने के लिए तट बंध बना था जिससे आगे नदी की ढलान शुरू होती

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पेड़ भीलवाड़े के अचकन सेठ ने अपनी आरे मील के लिए शहर में जाने जाते थे। वह अपने इलाके में हजारों हरे-भरे पेड़ों को मील के लिए कटवा चुका था और उसके तने को साइज करवा कर दरवाजों और फर्नीचर की जरूरत को ब

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एक सेर धान

1 सितम्बर 2024
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एक सेर धान अगहन के दिन थे, नंदलाल साव के खेतों में जड़हन धान की कटाई चल रही थी। फसल अच्छी झर रही थी। नंदलाल की घरवाली और बच्चे बहुत खुश थे। खुशी बढ़ जाने का कारण और भी था। महुआ के पेड़ के नीचे का, उ

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