प्रदेश में पॉलीटिकल पार्टियां हमेशा से यह कहती आई हैं कि वह गरीबों के लिए ही काम करती हैं। वह उनकी सबसे बड़ी पैरोकार हैं, लेकिन हकीकत के पर्दे पर यह बातें दूर के ढोल सुहावने जैसी ही दिखती हैं। कुछ ऐसा ही नजारा दिखा सपा कार्यालय में, जहां एक विकलांग सपा सुप्रीमो से गुहार लगाने पहुंचा कि अगर उसके पैर का सही से इलाज हो जाए तो वह ठीक होकर कुछ काम कर सकता है। इसके बदले में उसे मिला ये, कि जैसे ही मुलायम मीटिंग से बाहर निकले, उससे मिलने के बजाए गाड़ी में बैठे और शीशा चढ़ाकर आगे चले गए। गरीब विकलांग की सिसकियों की आवाज महंगी गाड़ी के शीशे को नहीं चीर पाई और वह बस रोता रह गया।
विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने के बावजूद नहीं मिली विकलांग पेंशन
दरअसल, यह विकलांग है लखीमपुर खीरी का रहने वाला बालमुकुंद जिसका पैर ट्रेन हादसे में कट गया था। उसका इलाज आज भी ट्रामा सेंटर में चल रहा है। 12वीं तक पढ़े बालमुकुंद के पिता किसान हैं और उसकी दो लड़कियां भी हैं। इसके अलावा कमाई का कोई खास जरिया भी नहीं है। चलने में असमर्थ होने के कारण वह कोई काम भी नहीं कर सकता है। बालमुकुंद का कहना है कि उसने विकलांग प्रमाण पत्र तो बनवाया, लेकिन आज तक किसी तरह की विकलांग पेंशन नहीं मिली।
बैसाखी टूटी होने की वजह से चीखता रह गया बालमुकुंद
बालमुकुंद के अनुसार, जब वह सुबह 9 बजे पार्टी कार्यालय पहुंचा तो उसे बताया गया कि अंदर मीटिंग चल रही है। मीटिंग खत्म होने के बाद नेता जी मिलेंगे। इसी इंतजार में शाम के तीन बज गए। इसके बाद जितने भी लोग नेताजी से मिलने पहुंचे थे, उन्हें फिर अंदर बुलाया गया और कहा गया कि हॉल में बैठो, यहीं पर नेता जी मिलेंगे। बालमुकुंद बताते हैं कि जब ये कहा गया तो लगा कि आज भगवान ने उसकी सुन ली, लेकिन इसी दौरान बाहर कुछ शोर उठा और सब भागने लगे। उसने भी बाहर जाने की कोशिश की, लेकिन एक पैर न होने और टूटी बैसाखी की वजह से वह बस चीखता ही रह गया।
किसी के पास नहीं था विकलांग से बात करने तक का टाइम
रोते बिलखते बालमुकुंद का बस इतना कहना था कि कोई उसकी नेता जी से बात करा दे। कोई इतनी मदद कर दे कि उसका इलाज सही से हो जाए, लेकिन चुनाव के समय जनता को अपना हितैषी बताने वाले सैकड़ों नेताओ में से किसी को भी बालमुकुंद की समस्या पूछने तक का भी टाइम नहीं था। शायद आज का समाजवाद यही है।