फैजाबाद। जिले से एकमात्र मंत्री एवं सपा के दिग्गज नेता अवधेश प्रसाद का विभाग छिनने से लोग दंग हैं। सपा के सियासी सफर में नेताजी के हमेशा करीबी रहे अवधेश प्रसाद को ऐसा झटका मिलेगा, किसी ने सोचा भी नहीं था। हालांकि पार्टी के रणनीतिकार व मंत्री के शुभचितक फिर उन्हें अहम पद से नवाजे जाने की आस लगाए बैठे हैं। जबकि पार्टी का एक धड़ा हाल ही में बालू खनन संबंधी घटनाओं के बाद जिला पंचायत चुनाव में बेटे व पत्नी को जिताने के लिए अपने ही कार्यकर्ताओं पर हमले आदि की घटनाओं पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का गंभीर रुख मान रहा है। इन घटनाओं ने सपा में आपसी संघर्ष के हालात पैदा कर दिए थे, जिसे किसी तरह संभाला गया है। इस बार प्रदेश में सपा सरकार बनी तो जिले से दो मंत्री बने। अवधेश प्रसाद समाज कल्याण विभाग के कैबिनेट मंत्री बने तो तेजनारायण पांडेय पवन मनोरंजन कर राज्यमंत्री बनाए गए। इसके अलावा जिलाध्यक्ष जयशंकर पांडेय को पशुपालन विभाग का सलाहकार व लीलावती कुशवाहा को उ.प्र. महिला कल्याण निगम की अध्यक्ष बना लाल बत्ती से नवाजा गया। मगर सालभर बाद ही परफॉरमेंस और कई घटनाओं को लेकर लालबत्ती छिनने का दौर शुरू हुआ, तो जिले से अवधेश प्रसाद की एकमात्र मंत्री बचे। अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनका विभाग भी छीनकर क्या संदेश दिया है, ये तो वही जानें, मगर सियासी चर्चा में अवधेश प्रसाद का कद प्रभावित होना तय माना जा रहा है। वर्ष 1974 में बमुश्किल तीन हजार वोट से कांग्रेस के हुबराज से सोहावल में अवधेश प्रसाद को पहली मात मिली। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार अखिलेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद से समाज कल्याण विभाग का चार्ज छीनकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रूतबा कम कर दिया गया। श्री प्रसाद अखिलेश सरकार में चौथी बार समाज कल्याण मंत्री ही बने थे और पार्टी की पहली लाइन के नेता माने जाते थे। फिलहाल पार्टी हाईकमान की आखों का तारा माने जाने वाले श्री प्रसाद का विभाग छीनने के बाद चर्चा है कि अब नेता जी (मुलायम सिह यादव) के विश्वास में इनके प्रति कमी आई है। इसलिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विभाग छीनकर कद घटा दिया। वहीं विभाग छीनने के पीछे विभागीय परफार्मेस में कमी के अलावा ठेके-पट्टे में दखलंदाजी व पंचायत चुनाव में मंत्री के पुत्रों की दबंगई की सियासी गलियारे में चर्चा है। फिलहाल कैबिनेट मंत्री श्री प्रसाद के पास अभी सैनिक कल्याण एवं अनुसूचित जाति विभाग बरकरार है। जिले में समाजवादी पार्टी की नींव माने जाने वाले प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री श्री प्रसाद पार्टी मुखिया मुलायम सिह यादव के करीबियों में गिने जाते थे। वह आठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए हैं और जब भी प्रदेश में सपा सरकार में रही तो इनके पास ज्यादातर समय समाज कल्याण विभाग ही रहा। ऐसा पहला वाक्या है कि श्री प्रसाद पर मुख्यमंत्री का विश्वास कम हुआ है और विभाग से ही उनकी छुट्टी करनी पड़ी। समाज कल्याण विभाग से श्री प्रसाद की विदाई होने की वजहों के बारे में सपाई गलियारे में चर्चा है कि जिले के ठेके-पट्टे से लेकर बालू खनन के काम में इनकी व पुत्रों की दखलंदाजी बढ़ गई थी। पिछले दिनों बालू खनन व मिल्कीपुर क्षेत्र के एक टेंडर के मामले में खूब किरकिरी भी हुई थी। हाल ही में पंचायत चुनाव में मंत्री पुत्रों की मिल्कीपुर व सोहावल में दबंगई की चर्चाएं आम रही और पुत्रों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ। जहां कैबिनट मंत्री श्री प्रसाद की पिछली सपा सरकारों में अच्छे व साखदार नेताओं में गिनती होती थी, वहीं वर्तमान सरकार में साख में काफी गिरावट की भी चर्चा है। कैबिनेट मंत्री श्री प्रसाद से विभाग छीनने के बाद उनके समर्थकों व सपाइयों की निगाहें नए विभाग की ओर लग गई हैं। पार्टी के अंदरखाने में यह भी चर्चा है कि श्री प्रसाद के पास अभी दो विभाग बरकरार हैं। इसलिए नए विभाग आवंटित होने की उम्मीद कम ही की जा रही है। इसके बाद वर्ष 1977 में पहली दफा विधानसभा में कदम रखा तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्रदेश में छह बार बनी सरकार में अवधेश प्रसाद हमेशा मंत्री बने। रामनरेश, बनारसी दास, तीन बार मुलायम सिह यादव और फिर अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल में अवधेश प्रसाद हमेशा कद्दावर हैसियत में रहे। मगर अब अवधेश प्रसाद बिना विभाग के मंत्री रह गए हैं।