फैजाबाद। सोलह महीने बाद एक बार फिर राज्यमंत्री बने अयोध्या नगर विधायक तेजनारायण पांडेय पवन तो शुक्रवार को करीब तीन बजे ही लखनऊ रवाना हो गये थे। शनिवार को पवन मंत्री पद की शपथ लेंगे, इसकी सूचना घर में रात दो बजे के करीब मिली। यह जानकारी खुद पवन ने पत्नी अत्ति पांडेय को दीं तो वह चहक उठीं। पवन को पुन: मंत्री बनाये जाने की जानकारी पर उनके मूल निवास रसूलाबाद के कृष्णापुर और अंगूरी बाग मोहल्ले के लोग विधायक के यहां पहुंचकर बधाइयां देने और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाने लगे। विधायक की पत्नी घर पर पहुंचती महिलाओं का सिर पर पल्लू रखकर पैर छूतीं और मिठाई खिलाती रहीं। मंत्री के आवास पर पहुंचने में मोहल्ले की महिलाएं सबसे आगे रहीं। तेजनारायण ने पहली बार 7 फरवरी 2०13 को राज्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब वह मनोरंजन विभाग के राज्यमंत्री बने थे। 16 माह तक इस पद रहे। एक मामले में तेजनारायण का नाम आने पर जून 2०14 में लाल बत्ती छिन गई थी। करीब 16 महीने बाद एक बार फिर उन्हें 31 अक्तूबर 2०15 को राज्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ पुराना ओहदा और बत्ती वापस मिल गयी। दोबारा राज्यमंत्री बने पवन ने फोन पर बताया कि युवा हृदय मुख्यमंत्री की कृपा और संघर्षों से उन्हें मंत्री पद मिला है। पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरा तो विपक्ष से लोहा लेने में कठिन संघर्ष करना पड़ा। दोबारा लालबत्ती हासिल हुई है तो यह भी विकास कार्यों व संघर्षों के बाद। पत्नी अत्ति पांडेय ने कहा कि पवन में कोई कमी नहीं थी, उन्हें कुछ विरोधियों की बुरी नजर लगी, इसीलिए लालबत्ती हटी थी। वह (पवन) जनता की उम्मीदों और क्षेत्र के विकास कार्यों में खरे उतरे हैं। हमेशा जनता से जुड़े रहे हैं। अब वह क्षेत्र का विकास व सेवा और अच्छी तरह से कर सकेंगे।
समाजवादी पार्टी के अयोध्या विधायक तेज नारायण पाण्डेय पवन की संगठन के प्रति निष्ठा पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर भरोसा जताया है। अयोध्या विधायक श्री पाण्डेय को 16 महीने बाद छिनी लालबत्ती वापस कर रूतबा बढ़ा दिया है। अब श्री पाण्डेय विस चुनाव-2०17 में सपा के लिए ब्रानण वोट बैंक को साधेंगे। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले अयोध्या विधायक 16 महीने का वनवास काटकर अखिलेश मंत्रिमंडल में पुन: वापस आ गए हैं। अयोध्या सीट से कई वर्ष बाद सपा के लिए जीत हासिल कर पहली बार के विधायक श्री पाण्डेय को अखिलेश मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बनाकर मनोरंजन कर विभाग दिया गया था। लोकसभा चुनाव के बाद 17 जून को विभिन्न आरोपों के चलते हाईकमान की नाराजगी की वजह से श्री पाण्डेय को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया गया। इस बीच जिले में कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद नई ताकत के रूप में उभरे, लेकिन पवन ने नेतृत्व के प्रति निष्ठा में कमी नहीं आने दी। जिले में सपा के सियासी गलियारे में चर्चा है कि अवधेश प्रसाद से समाज कल्याण विभाग छीनकर मुख्यमंत्री ने उन्हें कमजोर किया है और अब युवा चेहरे पवन को राज्यमंत्री बनाकर ताकत दी है, ताकि आगामी विस चुनाव में ब्रानणों के साथ युवाओं को पार्टी के पक्ष में लामबंद किया जा सके। अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल पर पूर्वाचल के जिलों पर नजर डाली जाए तो गाजीपुर के विजय मिश्र इकलौते ब्राहण चेहरा बचे हैं। जबकि देवरिया के ब्रनशंकर त्रिपाठी का विभाग छीनकर कद कम किया गया है। इसलिए पूर्वाचल में अखिलेश टीम के पवन ही इकलौते मंत्री हैं जो ब्रानणों को सपा के पक्ष में रिझाने के लिए मुफीद साबित हो सकते हैं।बीते विधानसभा चुनाव में सपा के युवा नेता तेजनारायण ने अभेद भगवा दुर्ग कहे जाने वाले अयोध्या विधानसभा सीट को जीत कर भाजपा के मिथक को तोड़ दिया था। भगवा दुर्ग में कमल को कुम्हलाने की स्थिति में पहुंचाने वाले पवन को राज्यमंत्री बना सपा सरकार ने बड़ा संदेश दिया। लेकिन दुर्भाग्य से खनन और अधिकारी को धमकाने जैसे आरोप लगे और फिर 16 माह बाद ही मंत्री पद से बर्खास्त कर दिए गए। विधानसभा चुनाव में जिस लल्लू सिह की दो दशक की बादशाहत को पवन ने खत्म किया था, महज दो वर्ष बाद ही वहीं लल्लू सिह लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड ढाई लाख मतों से जीत दर्ज कर हार का बदला ले लिया। 16 माह बाद एक बार फिर पवन को मंत्री बना सपा हाईकमान अयोध्या व उसके आसपास के विधानसभा क्षेत्रों को मिशन 2०17 के लिए सहेजने की कोशिश करती हुई नजर आ रही है। इतना ही नही तेजनारायण पांडेय पवन की हुई ताजपोशी के पीछे सियासी पंडित कई कारणों को एक साथ जोड़कर देख रहे हैं। सूबे के विभिन्न शहरों में सांप्रदायिक उभार से सरकार परेशानी में थी। फैजाबाद में भी दुर्गापूजा और मोहर्रम के पहले छिटपुट घटनाएं हुई जिससे अनहोनी की आशंकाएं बढ़ गई थीं लेकिन पवन की इन त्योहारों पर अति सक्रियता और दोनों पक्षों से बातचीत के कारण सब कुछ शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया। मंत्री रहने के दौरान अयोध्या में विकास भी खूब हुआ। देवकाली-चौक फ्लाईओवर, जीआईसी में रुके पड़े फ्लाईओवर के निर्माण कार्य शुरू कराने सहित तीन सौ सड़कों के निर्माण में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। विकास के साथ ही विवाद से भी पवन का गहरा रिश्ता रहा। अवैध खननकर्ताओं को संरक्षण देने और तत्कालीन आरएफसी एवं सिटी मजिस्ट्रेट को धमकी दिए जाने का आरोप भी लगा और इसका नतीजा रहा कि सिर्फ 16 माह ही मंत्री रह सके। मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने के 16 माह बाद ही एक बार फिर शालीनता, संगठन गुर और सियासी शक्ति की त्रिवेणी पवन के व्यक्तित्व में बहने लगी है लेकिन वह अपनी खोई शक्ति को एक बार फिर पाने के बाद कितने सहज और सरल रह सकते हैं, यह तो सपा और पवन दोनों का मिशन 2०17 की सफलता-विफलता तय करेगा।