दीपावली के समय आज के दौर में चाइनीज समाग्रियो के द्वारा देश की जनता अपने घरो को प्रकाशमय करती है इस चमक धमक भरी होड़ में पहले समय के असली दीपावली अब के समय की नकली दीपावली यहाँ पर असली नकली का आश्य दिये और चाइनीज झालर से है | वर्तमान समय में देश की जनता द्वारा कुम्हार के बने दिये को घर की छतो को अशोभनीय मानते है लेकिन यही कुम्हार इतने मेहनत से हर दीपावली में दिये बना कर दिये बिकने के आशाओ को जीवित रखता है जिस पर देश की जनता इनके आशाओ पर पानी फेर देते है | तभी इस वाक्यांश को सही कहा गया है ||कुम्हारन बैठी सड़क किनारे, लेकर दीये दो- चार | जाने क्या होगा अबकी, करती मन में विचार | याद करके आँख भर आई, पिछली दीवाली त्योहार | बिक न पाया आधा समान, चढ गया सर पर उधार || सोंच रही है अबकी बार, दूँगी सारे कर्ज उतार | सजा रही है, सारे दीये करीने से बार बार | पास से गुजरते लोगों को देखे कातर निहार | बीत जाए न अबकी दीवाली जैसा पिछली बार | नम्र निवेदन मित्रों जनों से, करता हुँ मैँ मनुहार | मिट्टी के ही दीये जलाएँ, दीवाली पर अबकी बार || देश के हर नागरिक इस बार दीपावली में कुम्हार द्वारा बने दिये का उपयोग करे |