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प्रथा

hindi articles, stories and books related to pratha


रक्षा बंधन त्यौहार आया।भाई बहन का प्यार आया।।खुशियां लेकर अपार लाया।हर पल साथ में प्यार लाया।।रोली चंदन  राखी  मिठाई।थाल सजाकर लाई  भाई।।टीका लगाकर तुमको भाई।कलाई  भी  सजानी&n

काल चक्र का फेर है आवा।मन का मन का फेर बढ़ावा।।कालचक्र में हे रघुकुल नंदन,चाहे जितने हो ये प्रीति वंदन।।चौदह वर्ष वनवास का पाया।घास पात का बिछौना पाया।।वन उपवन में विचरण पाया।कंद मूल रूप फल सब खाया।।स

प्रकृति प्रेमी देश में,सर्प हैं शिव के गले का हार।श्रावण शुक्ला पँचमी,मनता नाग पंचमी का त्योहार।।विष्णु की शैय्या हैं ये,पृथ्वी के धारण हार।जमुना में कृष्ण को छाया दिए,जब पानी बरसे मूसलाधार।।परीक्षित

वो लड़का टैक्सी में बैठते ही ड्राइवर से बोला -भैया आप Mahabodhi  Mahavidyalaya (B.Ed.), Nalanda   ले चलिए । जल्दी लेट हो रहे है हम । यह कहकर वह सौम्या की तरफ उससे पूछने के लिए

सौम्या जल्दी से घर से निकली और जल्दी जल्दी चलने लगी । वो मन में सोच रही थी कि पता नहीं , आज अचानक से   ये लोग 🙄 मेरे लिए लड़का देखने की बात क्यों करने लगये ।उफ्फ क्या सियाप्पा है ये 🙄

  3 साल बाद      सुबह 9:30 amअक्षरा जी - बेटा जाओं जल्दी । बस छूट जायेगी तुम्हारी । वो अपने प्यारी सी बच्ची को बोल रही थी (अक्षरा जी सौम्या की माँ है । जिनकी जान बसती है अपनी सोमू

शशांक अभी भी सौम्या का हाथ  अपने हाथ में लिये हुए था ...और सौम्या ने भी शशांक के हाथों को टाइटली पकड़ा हुआ था .... वो उसके हाथ छोड़ना नहीं चाहती थी .. क्योंकि अभी भी उसे डर लग रहा था (ꏿ﹏ꏿ;) .कि क

                            ।।     जय श्री राम ।। आज का दौर इंटरनेट का दौर है हम सब को ये बात पता है ... आज   में आप से लोगो के गरीबी के नजरिए से जोड़ी सच्ची घटना पर बात करना चाहता हूं।  एक ias

 शशांक -धीरे से हेलो गाइस हम सब आ गए हैं . . . और यह कह कर वो मुस्कुरा देता है😊इस समय सच में शशांक बहुत खुश नजर आ रहा था शायद यह जगह उसे बहुत अच्छी लग रही थी या फिर कोई और बात थी ...🤔आदित्य -आश

प्रेरित किया है इस घाटी ने,मुझे कविता लिखने को।आज उठा ली है कलम और डायरी,इसके ही सौन्दर्य को कलमबद्ध करने को।।गुजरता हूँ रोज यहाँ से,और निहारता हूँ सौन्दर्य घाटी का।हरे भरे पेड़ देते हैं सुकून ऑंखों को

जलती चिता भी क्या खूब बयां कर गई गवाह मुझे बना रिश्तो की मौत का मेरी उम्मीदें भी तबाह कर गई सोचते रहा पूरी रात जीवन का यही है काला सच किसे समझे अपना किसे समझे पराया यही सोचकर हमने गुजारी उनकी यादो

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ज़िंदगी की नाव पर ना जाने कितने सवार हैं। है,जीत से गदगद कोई ,कोई हार से बेज़ार है।। सीखता है कोई, गिर गिर के हर पल संभलना। बैठा है कोई ,डर के,जिसे हार नहीं स्वीकार है। चल रही है नाव जीवन की,लहर

आती बहुत  है घर की याद,, पर जाऊ कैसे ,बनती न बात,, करता हू जब इक  हल ,,ऐसे ,, आ जाती बात ,,और ,, जाने किधर से ? इक घर सूना हुआ तब  था,, जब मै निकला, लिए रोटी का डर था,। रोटी के लालच को

ऐसे एहसास, को,, जो हो बहुत ही खास हो ,, जिसमे हो खुशी बिखेरने का दम,, अंदर ज्वालामुखी का, चाहे  हो रहा हो दहन, नम्र  से ह्रदय  वाला,, कठोर सा दिखने वाला,, जो टूटा हो अंदर से,, बिल्कुल

दादा,दादी,नाना नानी,मामा,मामी,काका,काकी,जाने कितने,रिश्ते  जीवित होते थे,,जब छुट्टियो के दिन होते थे,।एक मेला सा सजता था,घर घर लगता था,,जब पीढियो के अंतर का नेह  प्यार, व संस्कारो का स्

डायरी सखि, आजकल सरकार की हर नई योजना का विरोध करना जैसे कुछ लोगों का "धर्म" बन गया है । चाहे CAA का विरोध हो, किसान बिलों का विरोध हो या अब ये "अग्निपथ" योजना का विरोध हो । विपक्षी दलों ने तो कमर

शहनाई की गूंज कानों मे रस सा घोल रही थी गोरी के।तेरह साल की गोरी फटाफट सारा घर का काम निपटा रही थी क्योंकि उसे आज अपनी सबसे प्यारी सहेली सत्तों की शादी मे जो जाना था।काम खत्म करके गोरी शादी मे जाने के

साकेत - ( आदित्य से ) तुम अनिका और सौम्या को लेलो .... और हम ... प्राची और प्रिया को ले लेते है ।🙂आदित्य - okk ... फिर चलो जल्दी से बैठो तुम लोग👨🏻 ( अनिका और सौम्या से कहता है )सौम्या हाँ में सर हि

अनिका अपने दोस्तों से कही साथ में घुमने जाने को कह रही थी और वो ये भी कह रही थी , कि अगर कोई अपने साथ किसी और को भी लेना चाह रहा होगा ,तो वो लेले। हम जितने अधिक होगें । उतना ही मजा 🤗आयेगा । साथ में ख

( मजदूर दिवस पर )मन्ज़िलों से दिल मेरा अन्जान है,मुश्किलों से सदियों से पहचान है।पैरों ने थमना नहीं सीखा कभी, अपने छालों पर मुझे अभिमान है।बेरहम है रौशनी की हर हवा,तीरगी में ज़िन्दगी आसान है।लौट आ

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