बैठी हूँ जिसकी याद में
सुध- बुद्ध गँवा के मैं,
वो है कि आज भी
पहचानता नहीं मुझे ।
❤सय्यदा ख़ातून ❤
27 अक्टूबर 2021
बैठी हूँ जिसकी याद में
सुध- बुद्ध गँवा के मैं,
वो है कि आज भी
पहचानता नहीं मुझे ।
❤सय्यदा ख़ातून ❤
134 फ़ॉलोअर्स
हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
अरे... 🤔
19 दिसम्बर 2021
बहुत ही सुन्दर रचना
28 अक्टूबर 2021
बहुत शुक्रिया रहमान जी
27 अक्टूबर 2021
बहुत शुक्रिया 🌹
27 अक्टूबर 2021
बहुत बढ़िया सैयदाजी
27 अक्टूबर 2021
बहुत बेहतरीन 👌👌👌
27 अक्टूबर 2021
बहुत शुक्रिया उमेश जी🙇🙇
27 अक्टूबर 2021
Sundar rachana
27 अक्टूबर 2021