🌹पर्दे के पीछे छुप के; मुझसे,
कहता है ; यहां आके मिल,
हर घड़ी जो बसा हो दिल में
मिलूं क्यों मैं, कहीं जाके फिर।
(स्वरचित रचना )
सय्यदा----✒️🌹🌹
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28 अक्टूबर 2021
🌹पर्दे के पीछे छुप के; मुझसे,
कहता है ; यहां आके मिल,
हर घड़ी जो बसा हो दिल में
मिलूं क्यों मैं, कहीं जाके फिर।
(स्वरचित रचना )
सय्यदा----✒️🌹🌹
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हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
😊 😊 😊
19 दिसम्बर 2021
वाह वाह वाह बहुत बेहतरीन 👌👌
28 अक्टूबर 2021