देखते देखते कई दिन गुजर गए| अब गौरी भी नॉर्मल होने लगी थी और सिद्धार्थ भी लौट आया था|
कहे मुताबिक विवेक और शालिनी जी ने गौरी से पूछ लिया और गौरी ने भी सीमा जी की आखरी इच्छा समझकर सिद्धार्थ से शादी के लिए हा कह दिया|
रुद्र ने शालिनी जी और विवेक जी को समझाने की बहुत कोशिश की पर वो लोग नही माने |
15 दिन बाद सिद्धार्थ और गौरी की सगाई तय कर दी गई|
सिद्धार्थ अपनी हर चाल मे कामयाब हो रहा था| अब वो गौरी को पाने के कुछ ही कदम दूर था|
पर रुद्र हार मानने वालो मे से नही था| वो श्रेया के साथ मिलकर सिद्धार्थ के खिलाफ सबूत जुटाने मे लग गया|
पर काफी कोशिश करने के बाद भी उन दोनो के हाथ कुछ नही लग पा रहा था क्योंकि अब की बार सिद्धार्थ बहुत ही सावधान हो गया था|
ऐसा करते करते सगाई अगले दिन पर आ गई|
अब रुद्र को लगने लगा जैसे वो गौरी को नही बचा पायेगा| वो बहुत उदास था| उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था| उसे लगने लगा था कि अब वो गौरी को खो देगा|
पर तभी श्रेया उसके कमरे मे आयी|
उसने कमरे मे आते ही दरवाजा बंद कर लिया|
"श्रेया! तुम यहाँ? इस वक्त? और ये दरवाजा क्यो बंद किया तुमने?" रुद्र उसे रात के वक्त अपने कमरे मे देखकर चौंक गया था|
"रुद्र चूप! धीरे बात करो! मेरी बात सुनो! बहुत जरूरी बात थी इसलिए इस वक्त आना पडा मुझे क्योंकि हमारे पास वक्त बहुत कम है| मैने तुम्हें बहुत कॉल्स भी किये पर तुम्हारा फोन नही लगा और ये बात लँडलाइन पर करना मुझे ठीक नही लगा|" श्रेया बता रही थी|
"ऐसी क्या बात है जो आपको इतनी रात को आना पडा?" रुद्र बोला|
"मुझे सिद्धार्थ के बारे मे कुछ पता चला है| वो जिस हॉटेल मे रुका है वहापर मेरी एक दोस्त काम करती है| उसे मैने बहुत पहले से सिद्धार्थ पर नजर रखने के लिए बता रखा था| पर आज सुबह रुम साफ करते वक्त उसके हाथ कुछ लगा| उसके हाथ एक लिफाफा लग शायद उस लिफाफे मे उसे कोई लेटर या डॉक्युमेंट आया हो| पर उस लिफाफे पर एक अड्रेस था जिसकी फोटो खींच कर उसने मुझे सेंड कर दी है| ये देखो" श्रेया ने वो फोटो रुद्र को दिखायी|
उसमे पुणे का एक अड्रेस था|
"पता नही ये किस जगह का अड्रेस है रुद्र? पर ये वक्त ऐसा है कि हमे जो क्लू मिले हमे उसके साथ चलना ही होगा| डूबते को तिनके का सहारा! तुम समझ रहे हो ना रुद्र?"
रुद्र को तो लग रहा था जैसे श्रेया के रुप मे भगवान ने उसकी मदद की है|
उसने उसी वक्त उस अड्रेस पर जाना तय किया| श्रेया ने उसे बताया कि जब तक वो नही आ जाता वो यहा पर सगाई रोकने की कोशिश करेगी| दोनो ने तय किया और रुद्र उसी वक्त पुणे के लिए निकल गया किसी को बिना बताये|
अगले दिन....
श्रेया आज सुबह से ही सिंघानिया मँशन मे थी| पर सब लोग रुद्र को ढूँढ रहे थे| रुद्र के ना होने की वजह से गौरी भी परेशान थी| वो सुबह से रुद्र को ढूँढ रही थी पर श्रेया ने सब को बता दिया की वो कुछ सामान लेने बाहर गया है|
सब लोग सगाई कि तैयारीयो मे इतने व्यस्त थे कि किसी ने इस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया पर गौरी रुद्र के आसपास ना होने की वजह से बेचैन थी| वो मन ही मन खुश नही थी पर सीमा जी कि इच्छा के आगे वो कुछ बोल नही पा रही थी|
नीचे हॉल मे सगाई की सारी तैयारीयाँ हो चुकी थी| शालिनी जी और विवेक जी रुद्र को लेकर परेशान थे| वो लगातार उसे फोन कर रहे थे पर वो फोन नही उठा रहा था|
वैसे ही श्रेया ने तैयारीयो मे रुकावट लाकर देर कर दी थी पर रुद्र अब तक नहीं लौटा था| श्रेया को समझ नही आ रहा था कि वो अब करे तो क्या करे!
तभी दरवाजे पर एक आदमी आया| वो विवेक जी को बुला रहा था पर वो काम मे थे इसलिए श्रेया उसके पास गई|
वो आदमी कैमरा लेकर आया था| विवेक जी ने गौरी का कैमरा ठीक करवाने के लिए भेजा था जो ठीक होकर आ गया था| श्रेया ने विवेक जी के जगह वो कैमरा ले लिया|
उसने ऐसे ही वो कैमरा खोलकर देखा तो उसमे कुछ देखकर श्रेया चौंक गई| उसके माथे पर पसीना आ गया और आँखो मे आँसू! पर दुसरे ही पल उसने अपने आँसू पोछे और कैमरा बंद करके मन मे कुछ ठान लिया|
सिद्धार्थ भी रुद्र के वहा ना होने से परेशान था| उसे लग रहा था कि शायद रुद्र उसके खिलाफ कोई चाल चल रहा है पर तभी गौरी तैयार होकर नीचे आयी|
गौरी आज बहुत ही ज्यादा खुबसुरत लग रही थी|
बेबी पिंक कलर का बहुत ही सुंदर गाउन पहनकर वो स्वर्ग से आयी कोई परी लग रही थी|
उसे देखकर सिद्धार्थ सब भूल गया|
श्रेया उसे नीचे लेकर आ रही थी| पर श्रेया के दिमाग मे बहुत कुछ चल रहा था|
गौरी की नजरे रुद्र को ही ढूँढ रही थी पर वो कही नही था|विवेक और शालिनी जी भी रुद्र के वहा ना होने से परेशान थे पर वो नही चाहते थे कि इस वजह से गौरी और सिद्धार्थ की सगाई मे कोई अड़चन आये इसलिए उन्होने रुद्र के बिना ही सगाई कि रस्म करना सही समझा|
सिद्धार्थ बहुत ज्यादा खुश था|
तभी श्रेया को फोन आया और गौरी को शालिनी जी के साथ छोडकर वो फोन रिसिव्ह करने चली गई|
सारी रस्मे होने के बाद अंगूठी की रस्म करने के लिए सिद्धार्थ और गौरी आमने सामने आये| गौरी की नजरे बस रुद्र को ढूँढ रही थी पर वो कही नजर नही आ रहा था|
इससे पहले की वो एक दूसरे को अंगूठी पहनाये, श्रेया वहा आ गई|
श्रेया : रुक जाइये!
विवेक : क्या हुआ श्रेया?
श्रेया : अंकल प्लीज आप टेंशन मत लिजीये| मैने तो बस इनको इसलिए रोका क्योंकि मै आप सबको कुछ दिखाना चाहती हू|
शालिनी : क्या इस वक्त ये सब जरूरी है श्रेया?
श्रेया : आंटी! ये बहुत ही जरूरी है! मेरे पास सीमा आंटी का आखरी मैसेज है गौरी के लिए! प्लीज बस 5 मिनट लगेंगे!
सीमा जी का नाम सुनकर आगे कोई कुछ बोल ही नही पाया|
श्रेया के कहने पर घर के कुछ नौकर प्रोजेक्टर लेकर आये और सब सेट कर दिया|
श्रेया ने उस प्रोजेक्टर को कैमरा से कनेक्ट किया और विडियो प्ले किया|
(ये वही विडियो था जो सीमा जी ने गौरी के लिये शूट किया था|)
'हैलो माय बेबी.! सी! फाइनली तुम्हे जो चाहिये था वो मैने ले लिया है! धिस ब्रँड न्यू कैमरा! आय नो कि आपका बर्थ डे आने मे अभी एक महीना है तो मैने सोचा हैं कि क्यो ना एक महीने तक हर रोज मै आपके लिए एक मैसेज रेकॉर्ड करू! ताकि कभी मै रहू या ना रहू तो आपको मेरी कमी महसूस ना हो!
यू नो व्हॉट? मै आपके बर्थडे के लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड हू! इस बार मैने सोचा हैं कि आपका बर्थ डे हम बहुत धूमधाम से मनायेंगे! क्योंकि क्या पता शायद ये आपका मेरे साथ आखरी बर्थडे हो!'
सीमा जी की रेकॉर्डिंग देखते ही गौरी की आँखे भर आयी| वो बहुत रोने लगी और सिद्धार्थ उसे सहारा देने लगा|
पर कुछ और भी था जो देखना बाकी था|
इस रेकॉर्डिंग के आगे भी कुछ था|
सीमा जी गैलरी से किसी से बात कर रही थी|
फिर सिढीयों से उपर चढकर सीमा जी के पास कोई आया|
वो सिद्धार्थ था|
ये देखकर तो सिद्धार्थ के होश उड गए|
वहा खडा हर इंसान वो रेकॉर्डिंग सुन्न होकर देख रहा था|
बातो बातो मे सिद्धार्थ ने सीमा जी का गला पकड लिया|
गौरी को तो खुद की आँखो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था|
इसी बीच सीमा जी और सिद्धार्थ मे खींचातानी हुई और सीमा जी गैलरी से नीचे गिर गई|
सब लोग सुन्न होकर देख रहे थे और सिद्धार्थ के चेहरे की तो हवाइया उडी हुई थी| एसी मे भी उसे पसीना आ रहा था|
विडियो मे सिद्धार्थ भागकर नीचे गया और फिर कुछ देर बाद उपर आकर सीमा जी के कमरे की तरफ गया|
कुछ देर मे वो वापिस नीचे चला गया|
सब लोग दंग थे| गौरी के शरीर मे तो जान ही नही बची थी| जिसको वो अपना जीवनसाथी बनाने जा रही थी वो उसकी माँ का कातिल था|
वो विडियो बंद कर दिया गया और रुद्र प्रोजेक्टर के सामने आया|
"देखा आप लोगो ने? मैने कहा था ना माँ पापा! मुझे सीमा आंटी की मौत नैचरल नही लगती! ये है सिद्धार्थ की सच्चाई!
सीमा आंटी और मुझे इसका वो सच पता चल गया था जिसे ये अबतक छुपाता आया|
इसके मन मे गौरी को खोने का डर इस कदर बैठ गया कि उसके चलते इसने सीना आंटी को मार दिया
और वो सच मै आपको बताउंगा|
श्रेया!"
रुद्र ने श्रेया को आवाज़ लगाई
श्रेया अपने साथ किसी जवान औरत और दो बुजुर्गों को लेकर आयी| एक आदमी और एक औरत|
उन्हे देखते ही सिद्धार्थ के पैरो तले जमीन खिसक गई|
"अब आप सब लोच रहे होंगे की ये लोग कौन है और मै इन्हें यहा पर क्यो लेकर आया हू?
क्यो सिद्धार्थ पहचाना इन्हें या नही?" रुद्र सिद्धार्थ के पास जाकर उससे पूछने लगा|
सब सिद्धार्थ की तरफ देखकर उसके जवाब की इंतजार करने लगे| पर सिद्धार्थ कुछ भी नहीं बोला|
"शायद तुम्हे याद नही है! मै याद दिला देता हूँ| ये दोनो तुम्हारे माता पिता है और ये तुम्हारी धर्मपत्नी!" रुद्र की बात सुनकर सब हक्के बक्के रह गए|
सिद्धार्थ ने सबको बता रखा था कि वो अनाथ है और उसके माता पिता जिंदा थे| पर सबसे चौंकाने वाली बात उसकी पत्नी थी|
(श्रेया के साथ सिद्धार्थ की पत्नी जान्हवी और उसके माता पिता थे|)
ये सुनते ही गौरी जमीन पर बैठ गई| शालिनी जी और श्रेया ने उसे संभाला|
जान्हवी आगे सिद्धार्थ के पास आयी और उसे जोरदार तमाचा जड दिया|
"क्यो हाँ? क्यों? क्यो किया आपने मेरे साथ ऐसा? ऐसी क्या कमी रह गई थी मुझसे हमारी शादी निभाते निभाते की आप किसी और से सगाई करने जा रहे थे?
हमारे रिश्ते को निभाने के लिए क्या कुछ नहीं किया मैने? कितने दिन आपके बिना रही, आपके माता पिता को संभाला, सबका ध्यान रखा, कभी चू तक नहीं की, पत्नी होने का हर फर्ज निभाया मैने!फिर क्यो? क्यो सिद्धार्थ? क्यो?" वो सिद्धार्थ की कॉलर पकडकर कह रही थी|
पर आखिर कार उसके सब्र का बाँध टूट गया और वो बहुत रोने लगी|
उसे संभालने के लिए सिद्धार्थ के माता पिता आगे आये|
"नही बेटा! नही! बिल्कुल मत रोना! किसके लिए रो रही हो तुम? इसके लिए? जो कभी एक अच्छा बेटा नही बन पाया! हमे तभी समझ जाना चाहिए था कि अगर ये अच्छा बेटा ना बन पाया तो अच्छा पती क्या बनेगा! ये सारी गलती हमारी है!" सिद्धार्थ के पिताजी जान्हवी को संभालते हुए कह रहे थे|
"ऐसा नही है अंकल! दुनिया के कोई भी माता पिता अपने बच्चे को गलत संस्कार नही देते और अच्छे संस्कार देने के बावजूद भी बच्चा बिगड जाये तो मुझे नही लगता कि इसमे उनका कोई भी दोष है!" रुद्र ने सिद्धार्थ के पिताजी से कहा|
"यू चिट! मै तुम्हें छोडूंगा नही! तुमने हमारी गौरी की जिंदगी बर्बाद करनी चाही! तुम रुको! मै अभी पुलिस को फोन करता हूँ|" विवेक जी ने बहुत गुस्से मे सिद्धार्थ की कॉलर पकडते हुए कहा|
"उसकी कोई जरूरत नही है पापा! मैने पहले ही पुलिस को फोन कर दिया था| वो आते ही होंगे और साथ मे सिद्धार्थ के लिए एक तोहफा भी लाते होंगे!"
रुद्र अपनी बात कह ही रहा था कि तभी पुलिस कमिश्नर वहा आ पहुँचे|
"मि. रुद्र! आपका बहुत बहुत शुक्रिया! आपने हमारी बहुत मदद की है| आपकी वजह से बहुत सारे परिवार आपके त्रृणी हो गए है!" कमिश्नर साहब ने रुद्र से हाथ मिलाते हुए कहा|
"यहा ये सब हो क्या रहा है कोई मुझे बतायेगा?" विवेक जी ने जरा दम भरते हुए रुपये पूछा|
"आपको सब पता चल जायेगा सिंघानिया साहब! आपके बेटे ने बहुत बडा काम किया है| आपको तो क्या पर कल तक सारे शहर को इस बारे मे पता चल जायेगा!" कमिश्नर ने विवेक जी से कहा|
कमिश्नर की बात किसी के समझ मे नही आ रही थी|
"कमिश्नर सर! आप सिद्धार्थ का गिफ्ट नही लाये साथ मे?" रुद्र ने पूछा|
"लाया हू एक मिनट!
इन्स्पेक्टर!" कमिश्नर ने आवाज लगाई|
वो सुनते ही इन्स्पेक्टर अपने कुछ कॉन्सटेबल्स के साथ किसी को लेकर अंदर दाखिल हुए|
वो रहीम को हथकड़ी पहनाकर लाये थे|
रुद्र और श्रेया के अलावा वहा कोई उसे नही पहचानता था| पर सिद्धार्थ उसे देखकर भौचक्का रह गया|
"क्यो सिद्धार्थ? गिफ्ट पसंद आया?" रुद्र ने सिद्धार्थ को खुन्नस देते हुए पूछा|
पर सिद्धार्थ ने कोई जवाब नहीं दिया| उसे समझ नही आ रहा था कि वो करे तो क्या?
उसने अपनी जेब से रूमाल निकाला और पसीना पोछने लगा|
"कौन है ये? मै इसे नही जानता!" सिद्धार्थ ने जवाब मे कहा|
"अब ये सब क्या है रुद्र? ये इंसान है कौन?"
शालिनी जी ने पूछा|
शालिनी जी ने जैसे सबके दिल की बात कह दी हो|
"इस बारे मे आपको हमारे इन्स्पेक्टर ज्यादा अच्छे से समझा सकते है!
इन्स्पेक्टर प्लीज! विल यू?" कमिश्नर ने इन्स्पेक्टर से कहा|
उनके इशारे पर इन्स्पेक्टर ने बताना शुरु किया|
"हम लोगो को काफी लंबे समय से ह्युमन ट्रैफिकिंग करने वाले एक गिरोह के बारे मे पता चला था| पर लगातार उन लोगों को ढूँढने में हमे ऩाकामयाबी मिल रही थी|
पर मि. रुद्र की मदद से हमने इस रहीम को पकड लिया|
ये उन सब लोगो को लडकिया सप्लाय करता है जो डिमांड करते हैं और उन लोगों को पैसे सप्लाय करता है जो इसे लडकिया सप्लाय करते है
और इसको लडकिया सप्लाय करने का काम ये भी करता है..." इन्स्पेक्टर ने सिद्धार्थ की ओर इशारा करते हुए कहा|
ये सुनते ही सबके पैरो तले जमीन खिसक गई| गौरी के तो शरीर मे जैसे जान ही नही बची|
"जी सही सुना आप लोगों ने! ये जो बार बार बिझनेस का बहाना करके पुणे जाता था ना दरअसल इसी काम के लिए जाता था!
सच कहे तो ये पुणे जाता ही नहीं था|
अलग अलग शहरों मे जाना, खूबसूरत लडकियो को अपने प्यार के जाल में फसाना और जब वो पूरी तरह इसके प्यार मे अंधी हो जाये तब सही मौका देखकर उन्हें इस रहीम के हाथो बेच देना!
यही है इसका बिझनेस!
अगर गौरी से इसकी शादी हो जाती तो शायद ये गौरी को भी.......... " रुद्र की कहते कहते रूह काँप गई|
"रुद्र! अपनी जबान संभालकर बात करो! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई गौरी के बारे मे ऐसा कहने की?" सिद्धार्थ ने गुस्सेमें रुद्र की कॉलर पकड ली|
पर तभी किसने सिद्धार्थ को खींचकर तमाचा मार दिया|
वो सिद्धार्थ की माँ थी|
"अब तक तो मैं ये सोचकर जिंदा थी की मेरे बेटे ने किसी को धोखा दिया है| पर आज ये सुनने के बाद मै जिते जी मर गई की उसने ना जाने कितनी ही लडकियो कि इज्जत का सौदा किया है| तुम मेरे बेटे नही हो सकते! ये मेरी परवरिश हैं ही नहीं!
इन्स्पेक्टर साहब! ले जाइये इसे और सख्त से सख्त सजा दिजीये| मै इसका चेहरा कभी नहीं देखना चाहती|" सिद्धार्थ की माँ रोते हुए कह रही थी|
"हम लोग काफी लंबे समय से इन लोगों की तलाश मे थे और मि रुद्र की वजह से ही आज हम इन लोगों को पकडने में कामयाब हो पाये है|
सिर्फ ये लोग ही नहीं हमारे हाथ इनके जैसे कई लोग लगे हैं जो इनके साथी थे! चलो मिस्टर! कई शहरो की हवा खा ली| अब पुलिस स्टेशन की हवा भी खाकर देखना|" पुलिस इन्स्पेक्टर कहने लगा|
"गौरी! गौरी ये सब झूठ है! तुम तो जानती हो ना कि आजकल एडिटींग से कुछ भी किया जा सकता है| ये जरूर किसी ने जान बूझकर हमे अलग करने के लिए किया है| ये सब इस रुद्र का किया कराया है| ये चाहता ही नही कि हम लोग एक हो| ये एक बहुत ही घटिया आदमी है|" सिद्धार्थ गौरी की बाहे पकडकर कहने लगा|
ये सुनते ही गौरी ने सिद्धार्थ को जोरदार तमाचा जड दिया|
इससे सब लोग चौक गए|
गौरी के आँखों से आँसू बहने लगे|
"तुम जानते हो? तुमने मेरे साथ जो भी किया या फिर जो भी करने वाले थे उसका मुझे कोई पछतावा नही है!
पर मेरी ममा......मेरी ममा! क्या मिला तुम्हें? क्या मिल गया हा? मुझे पाने के लिए तुमने मेरी ममा को मार दिया!
घटिया ये नही घटिया तुम हो| तुम्हारी वजह से आज मुझे खुदसे ही नफरत हो गई है|
मेरी वजह से मेरी ममा......
मै तुम्हे कभी माफ नही करूंगी| तुमने सब खत्म कर दिया|" गौरी रोते रोते शालिनी जी से लिपट गई|
"बस अब बहुत हो गया सिद्धार्थ! इन्स्पेक्टर ले जाइये इसे!" शालिनी जी ने कहा|
इन्स्पेक्टर ने सिद्धार्थ को हथकडी पहनायी और रहीम और उसे ले जाने लगे|
"गौरी! गौरी मेरी बात तो सुनो! मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ| मुझे खुदसे ऐसे दूर मत करो प्लीज गौरी!
गौरी!" सिद्धार्थ कहते कहते चला गया|
गौरी रो रही थी पर रुद्र और श्रेया खुश थे की उन्होने गौरी को बचा लिया|
विवेक और शालिनी जी ने भी रुद्र पर भरोसा ना करने के लिए उससे माफी मांगी|
गौरी ने भी उसका शुक्रिया किया| वो उससे लिपटकर बहुत रोयी|
गौरी और रूद्र को साथ देखकर सब लोग बहुत खुश थे|
गौरी अब और भी गुमसुम रहने लगी थी जब उसे पता चला कि उसकी वजह से सीमा जी की जान गई है!
पर रुद्र ने उसे सारे सदमे से बाहर निकाला और उसे पहले जैसी हसने खिलखिलाने वाली गौरी बना दिया|
अब सिंघानिया मँशन भी गौरी की हंसी और खिलखिलाहट से भर गया|
गौरी की वजह से पूरे घर मे अलग ही रौनक थी|
गौरी अब अपना ज्यादातर वक्त रुद्र के साथ ही बिताया करती थी|
रुद्र को फिर से गौरी के साथ खुश देखकर अब उसके माता पिता के मन मे रुद्र और गौरी को साथ मे देखने की आस फिर से जाग गई|
इसी बीच उन्हे पता चला कि रेवती वहा आने वाली है| वो विवेक जी की बहन थी|