शोना बिंगो ( विश्व पशू दिवस )
डॉ शोभा भारद्वाज
हेनरिक जिमरमैन ,’मैन एंड डाग ‘ नाम की पत्रिका का प्रकाशन करते थे ताकि पशुओं के प्रति समाज को जागरूक किया जा सके . 1929 से 4 अक्टूबर को हर साल यह दिवस मनाया जाता है .
झाँसी में मेरे पति नन्हें अल्सेशियन पपी को लाये थे जब घर पहुंचा भूखा था परन्तु इनकी गोद में अपने आप को सुरक्षित समझ कर इन्ही के हाथों बोतल से दूध पीया . यह प्रेक्टीशनर हैं शाम को क्लिनिक में भी इनकी गोद में बैठ गया . मरीज हंस रहे थे प्यार से नीचे उतारा पैरों के पास सिकुड़ कर बैठा रहा . उसके लिए लकड़ी के कैनल में आरामदायक बिस्तर बिछा कर एक छोटा तकिया लगा दिया . सब उसे बिंगो नाम से पुकारने लगे . गोल मटोल बिंगो ने सबसे दोस्ती कर ली .
हमारे घर के सामने डीडीए के घर बन रहे थे लेबर उन्हीं बने घरों में रहते थे रात शायद तीन बचे
होंगे नन्हा बिंगो क्लिनिक के शटर की तरफ पंजे मारता हुआ भोंक रहा था क्लीनिक ग्राउंड फ्लोर में थी यह तुरंत नीचे उतर कर आये बिंगो उसी तरह भोंकता रहा ऐसा लगा जैसे लगा जैसे आरी को अंदर डाल कर ताला काटने की कोशिश कर रहे हैं शायद तीन चार लोग थे इन्होने तीखी आवाज में पूछा कौन है आरी बाहर ले ली लेकिन छोटा सा बिंगो खतरनाक दिख रहा था . फुसफुसाने की आवाज आई डाक्टर मरीज दिखाना था ठहरो अभी देखता हूँ 100 नम्बर पर फोन कर रहा हूँ उनके साथ मरीज दिखाना . ऊपर की मंजिल से हमने खिड़की खोल कर देखा से चोर थे हाथों में दो फुट के सरिये वह भाग गए कुत्ते की वफादारी की हद थी मासूम सा बच्चा ऐसा समझदार .
एक वर्ष बाद बिन्गों अन्य अल्सेशियन से अधिक लम्बा और ऊंचा था चेहरे पर मासूमियत लेकिन देखने वाले उसकी आँखों से डरते थे कोई बाहर इनसे बात करता वह इनके चारो तरफ घूमता लेकिन भौंकता नहीं था . एक बार किसी परिचित ने कहा आपने कैसा कुत्ता पाला है इससे तो सड़क का कुत्ता अच्छा बस दर्शनी हुंडी है इन्होने कहा कहा जरा मुझे हाथ लगाना अभी परिचित ने हाथ बढ़ाया ही था बिंगो की हल्की गुर्राहट उसकी जान निकल गयी दहशत से कांपने लगा बिंगो ने इनके दोनों कंधों पर पंजे रख कर खड़ा हो गया यह स्वयं बहुत लम्बे हैं वह इनसे भी ऊँचा था .
बिंगो कुल्फी का वेहद शौकीन था। सामने से कुल्फी वाला निकलता उसे देखते ही मचल जाता कुल्फी वाला भी जानता था वह कुछ देर खड़ा होकर घंटी बजता . कुल्फी उसके खाने के बर्तन में रख देते स्वाद लेकर चाटता परन्तु कभी दूसरी कुल्फी के लिए जिद नहीं की उसके खाने का भी नखरा था हमारे घर में अंडा मीट कभी नहीं खाया गया लेकिन कुत्ते के लिए जरूरी है उसके लिए पतले तीन फुल्के बनाए जाते एक अलग पीतल की कढ़ाई में अंडे का भुज्जा शुद्ध घी में बनता खुश्बू से उसके मुहँ में पानी आ जाता उसमें उसकी रोटी के छोटे छोटे टुकड़े कर अंडे में मिला कर उसमें दूध डाला जाता तब बड़े नखरे से वह खाता हफ्ते में एक दिन उबला मीट उसके लिए लाते यदि यह लाना भूल जाते उसका मुहँ देखने लायक होता . खीर का बेहद शौकीन जब खीर पकती उसकी खुश्बू पर निहाल हो जाता उसकी पूँछ जोर -जोर से हिलती .
ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनर आया बिंगो की कुछ भी सीखने में रूचि नहीं थी वह बोलता शिख हैंड वह इधर उधर देखता रहता उसने बहुत कोशिश की बिस्कुट का लालच भी दिया बिंगो ने देखा भी नहीं अंत में वह झुंझला गया जानवर को जानवर समझना चाहिए आपने इसे बिगाड़ दिया है मेरे बस का इसे ट्रेंड करना नहीं है . कभी कभी बिंगो के सामने हाथ बढ़ाओ बेमन से अपना पंजा रख देता . उसको बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता था बच्चे भी शैतान ,हमारे घर की ऊपर की मंजिल बन रही थी डस्ट का पूरा भरा ट्रक घर के बाहर डलवाया उसका पहाड़ बना हुआ था शैतान बच्चे उस
पर बैठ कर अपने आपको कमर तक डस्ट में गाड़ कर किताब पढ़ते ,साथ में बिंगो भी आगे के पंजे और मुहँ निकला हुआ गड़ा रहता सड़क पर घर है आते जाते सभी तमाशा देखते लोग ठहर जाते कुछ कार रोक कर देख कर हंसते बच्चे अपनी धुन में मस्त .
बिंगो का प्रिय खेल लुका छिपी था यह उसकी आँखे हाथ से बंद करते बच्चे छिप जाते जैसे ही एक दो तीन कह कर उसकी आँखों से हाथ हटाते बंदूक से निकली गोली की तरह भाग कर तीनों बच्चों को ढूँढ़ लेता जब उसके छिपने की बारी आती छुपता लेकिन गर्दन उठा-उठा कर देखता हाथ
लगाते ही समझ जाता अब उसकी बारी है खेल से उसका मन कभी नहीं भरा बच्चों के साथ पार्क में दौड़ लगाने जाता भागता - भागता मुड़ कर देखता बच्चों के साथ और बच्चे भी बिंगो के साथ रेस लगाते थे .
इनकी क्लिनिक खुलती इनकी कुर्सी से एक मीटर दूरी पर बिंगी बैठ जाता मानता ही नहीं था पूरी ड्यूटी बजाता मरीज उससे डरते नहीं थे क्लीनिक का पता इस तरह एक दूसरे को बताते थे डाक्टर साहब की क्लीनिक के बाहर दो गुलमोहर के पेड़ हैं शटर पीले है डाक्टर साहब से कुछ दूर पर अल्सेशियन कुत्ता बैठा दिखाई देगा डरना नहीं शांत बैठा रहता है . यह किसी काम से हटते वह अलर्ट हो जाता इनकी कुर्सी के पास जाने की यदि कोइ कोशिश करता उसके कान खड़े हो जाते परन्तु गुर्राता नहीं था . जब मन करता किसी के घर पहुंच जाता उनके घर में घूम कर वापिस आ जाता लोग हंसते डाक्टर साहब आज हमारे घर बिंगो आया था हमें याद दिला रहा था कई दिन हो गये दिखाई नहीं दिए बिंगो दूर -दूर तक लोग उसे जानते थे .
. बंधने की उसे आदत नहीं डाली थी कभी - कभी गले में पट्टा डलवाता ज्यादातर उसे कान दबा कर निकाल देता मैं कहीं भी जाती छिप कर पीछे आता मुझे लौटना पड़ता में साडी के छोर से गले में पड़े पट्टे के कुंडे से बाँध कर लौटा कर लाती वह अपराधी की तरह सिर झुका कर धीरे -धीरे आता मुझे जानने वालों ने समझाया जानवर हैं किसी ने शू कहा आपको घसीट कर ले जाएगा लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया क्या करती उसे लौटा कर लाने का यही तरीका था .
जानकार परिवार के वृद्ध सदस्य की तेरही थी घर से कुछ दूरी पर कम्यूनिटी हाल में जाना था मेरे पीछे -पीछे पता ही नहीं लगा कब बिंगो आया मेरे पीछे बैठ आकर बैठ गया मैं सबसे पीछे बैठी थी क्या करती ?मैने साड़ी के पल्ले से उसे ढक लिया वह भी चोर की तरह दुबका रहा जैसे ही पगड़ी की रस्म हुई मैने धीरे से कहा बिंगो भागो वह भाग कर बाहर आ गया उसके पीछे मैं घर तक उसको डांटती लाई .
घर से बाहर चौड़ी सडक वह शान से घूमता कभी किसी ने खरोंच तक नहीं मारी सड़क से छोटे ,बड़े ट्रक भी गुजरते . एक दिन छोटे ट्रक की ब्रेक लगने की तीखी आवाज आई साथ ही ड्राईवर के झुंझलाने की आवाज बड़ी मुश्किल से आज इसे बचाया है अभी कुछ हो जाता इसकी ‘मईयो’ डकराती हुई आती इसका बापू मुझे जान से मार डालता अपने लिए नये अलंकार सुन कर बहुत हंसी आई
.
पता नही चला कब बिंगो बूढा हो गया अचानक तेज बुखार चढा उसके साथ उलटिया डाक्टर साहब को टेलीफोन किया उन्होंने देख कर बताया यह अल्सेशियन की बिमारी है अब नहीं बचेगा एक दो दिन में खत्म हो जाएगा सुन कर झटका लगा वह न कुछ खा पी नहीं रहा था बस इनकी तरफ निरीह आँखों से देखता हुआ आँखे कभी खोलता फिर बंद हो जाती दवाई का कोइ असर नहीं . उसे पानी में गंगाजल डाल कर सिरिंज से छोटा लडका पिला रहा था मुझे जितनी प्रार्थनाये आती थी सब उसे सुनाई मन में था इसका अंत कष्ट दायक न हो बिंगो के सिर पर हाथ फेरते हुए मैने कहा शोना हम तुझे कभी नहीं भूलेंगे तू बहुत अच्छा बच्चा है उसने बड़े कष्ट से सिर उठाया .घर के बाहर सीढियों पर लगभग 50 बच्चे बैठे थे बहुत दुखी किसी का वह टाईगर किसी का शेरू उसके कई
नाम कई दोस्त थे काफी रात बीतने के बाद सब घर गये लेकिन गली के कुत्ते सब गायब कहीं नजर नहीं आ रहे थे कई दिन तक दिखाई नहीं दिए . रात बिंगो की बहुत कष्ट में गुजरी सुबह सदा के लिए सो गया .
डोम उसको ले जाने आया आस पास के दूकान दार खड़े थे सभी के चेहरे गमगीन वह सभी का दोस्त था उसे जैसे ही कहते बिंगो घर जाओ ,घर आ जाता उस पर हमने सफेद कफन डाला मेरे दोनों लडके उसके साथ गये सुरक्षित जगह अपने हाथों से गहरा गड्ढा खोद कर उसे सुला दिया। शोना बिंगी 15 साल 6 महीना 18 दिन जिया घर में खामोशी थी . तीन दिन बाद दोपहर को मैं सो रही थी। बिंगो दरवाजा बंद होने पर पंजा घंटी पर रख देता जब तक दरवाजा खुलता नहीं था लगातार घंटी बजती रहती घंटी की आवाज आई मैने दरवाजा खोला बाहर बिंगो खड़ा था उसका मुहँ जख्मी था मैने कहा बिंगो बेटा अब जाओ मोह छोड़ दो वह लौट गया अचानक मेरी आँख खुली अरे सपना था मेरे मन का भाव , समय बीत गया आज भी जानकार उसे याद करते हैं आपका बिंगो बहुत प्यारा था बहुत लम्बा जिया .