स्वर्गीय नेता जी सुभाष चन्द्र बोस “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा”
डॉ शोभा भारद्वाज
‘स्वर्गीय सुभाष बाबू के नेतृत्व में युवा वर्ग ने जान की बाजी लगाई थी उनमें मेरा मामा स्वर्गीय मनोहर लाल जोशी भी थे . आज नेता जी की 125 वीं जयंती है .सिंघापुर में मेरी बेटी का घर टाउन हाल के पास है मैं टाउन हाल जाने के लिए उत्सुक थी बेटी मुझे दिखाने के लिये नन्हीं बेटी को लपेट कर हम टाउन हाल पहुंचे वहाँ वृद्ध चीनी इंचार्ज ने चश्में से हमें घूरते हुए क्लास ले ली बच्ची कितने दिन की है एक महीने की फिर डांटा सोचो कितनी छोटी है . हमने चीनी संस्कृति के अनुसार सौरी कह कर सिर झुका लिया टाउन हाल विशेष स्थान है यहाँ के म्यूजियम में सुभाष बाबू के चित्र एवं उस समय की अखबारों की कटिंग लगी हैं जिनमें सुभाष चन्द्र बोस के बारे में समाचार हैं कई स्कूलों के बच्चों को टीचर लेकर आये हुए थे वह उन्हें उस समय के इतिहास के बारे में बता रहे थे .वह सुभाष बाबू के चित्र के सामने खड़े थे उनके बारे में बता रहे थे मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो गया यह भी बताया कैसे उनका मुल्क द्वितीय विश्व युद्ध का शिकार हुआ था सिंगापुर के दक्षिण में माउंट सेंटोसा हैं यहाँ का फोर्ट सिलोसा को दूसरे विश्व युद्ध में जापानी हमले से बचाव के लिए बनाया गया था लेकिन जापानियों ने पीछे से हमला कर सिंगापुर पर अधिकार कर लिया और वहाँ के युद्ध बंदियों पर जम कर जुल्म ढाये जिसे म्यूजियम में बने चित्रों द्वारा दिखाया गया है वह इतने सूखे थे मन दहल गया जिनमें भारतीय तमिल भी थे यहाँ इंडिया एवं सुभाष चन्द्र बोस का भी जिक्र था. मैने उन्हें बताया हम उन्हें प्यार से नेता जी कहते हैं हमारे देश को आजादी आसानी से नहीं मिली . हमें महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा के सिद्धांत पर चल कर संघर्ष करना सिखाया था स्वर्गीय सुभाष बाबू ने आजादी के लिए जान की बाजी लगाना .
वहीं 5 जुलाई 1943 के दिन टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में अपनी सेना को सम्बोधित करते हुए नेता जी ने ‘दिल्ली चलो का नारा दिया’ था .मेरे कानों में उनकी हुंकार गूजने लगी . सिंघापुर में 21 अक्टूबर 1943 के दिन नेताजी ने आज़ाद-हिन्द ,स्वाधीन भारत की अन्तरिम सरकार बनाई वह खुद इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री और युद्धमन्त्री बने. इस सरकार को तुरंत नौ देशों ने मान्यता दे दी नेताजी आज़ाद हिन्द फौज के प्रधान सेनापति थे आज़ाद हिन्द फौज में पहले जापानी सेना ने अंग्रेजों की फौज से पकड़े हुए भारतीय युद्धबन्दियों को भर्ती किया, औरतों के लिये झाँसी की रानी रेजिमेंट भी बनायी गयी पूर्वी एशिया में निवास करने वाले भारतियों को मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिए आजाद हिन्द सेना में भर्ती होने का आह्वान किया गया सेना के लिए उन्हें आर्थिक मदद की भी आवश्यकता थी . उनका नारा था “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा” उन्हें मातृभूमि की रक्षा के लिए युवा शक्ति की जरूरत थी .
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आज़ाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के सहयोग से भारत पर आक्रमण किया। दोनों फौजों ने अंग्रेजों से अंडमान और निकोबार द्वीप जीत लिये नेताजी ने इन द्वीपों को “शहीद द्वीप” और “स्वराज द्वीप” का नया नाम दिया अब दोनों फौजों ने मिलकर इंफाल और कोहिमा पर आक्रमण किया। लेकिन बाद में अंग्रेजों का पलड़ा भारी पड़ा, फौजों को पीछे हटना पड़ा 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं. गांधी जी को आजाद हिन्द फौज की स्थापना उनका उद्देश्य एवं जापान से मदद लेने के कारण स्पष्ट किये उन्होंने बापू को राष्ट्रपिता के नाम से सम्बोधित किया गांधी जी ने उन्हें नेता जी कहा यद्यपि नेता जी गांधी जी की नीतियों से सहमत नहीं थे वह द्वितीय विश्व युद्ध को भारत की आजादी के लिए सुअवसर मानते थे .मुझे अपन स्वर्गीय मामा जी ‘मनोहर लाल जोशी जी’ पर गर्व है वह आजाद हिन्द फौज का हिस्सा रहे हैं जब वह आजाद हिन्द फौज में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे उनके बारे में परिवार वालों के पास कोई सूचना नहीं थी लेकिन जब पता चला उनके नन्हे बच्चों एवं पत्नी को उन सभी स्वतन्त्रता सेनानियों के परिवारों पर होने वाले जुल्मों एवं कष्टों को झेलाना पड़ा . परिवार वाले छुप कर ही उनकी मदद या सम्पर्क कर सकते थे .
मेरे नाना जी रला राम जोशी जी सम्मानित व्यक्ति, कालेज में गणित के प्रोफेसर थे उनके चारो पुत्रों में तीन पुत्र कांग्रेस के साथ जुड़े थे मेरी नानी भी विदेशी वस्तुओं की दुकानों के बाहर पिकेटिंग करती थीं ऐसे परिवार के मुखिया को कपूरथला के महाराजा के वजीर ने बुलाया आपका एक बेटा हकुमत के खिलाफ आजाद हिन्द फौज में लड़ रहा है बाकी पत्नी बेटे कांग्रेसी हैं या तो पंडित जी आप उनको रोक लें या इस्तीफा दे दें मेरे नाना जी ने इस्तीफा दे दिया कालेज वाले सम्मानित रूप से बाजे के साथ उन्हें घर पहुँचाने आये कुछ देर तक बाजा ड्योढ़ी पर बजता रहा . नाना जी का चित्र मैने देखा है वह सिर पर पगड़ी बांधते थे उनका माथा गर्व से ऊंचा था .
आजाद हिन्द फौज हार गयी नेता जी का पता नहीं था वह जीवित है या ? मामा जी बड़ी मुश्किल से कपूरथला पहुंचे उनकी हालत खराब थी वह मलेरिया से ग्रस्त बीमार, सूख कर काँटा हो गये थे पहचान में नहीं आ रहे थे किसी वक्त भी गिरफ्तार हो सकते थे गिरफ्तारी से वह कहां डरने वाले थे ? सबसे आगे कपूरथला जलोखाना के सामने आजाद हिन्द फौज के ऐतिहासिक मुकदमे के दौरान दोनों हाथ उठा कर प्रचलित नारा लगवा रहे थे आजाद हिन्द सेना में नायक रहे मामा को गिरफ्तार करने की हिम्मत अब मुश्किल थी .पूरे देश में आजादी की बयार बह रही थी ‘लाल किले से आई आवाज- सहगल, ढिल्लो , शाहनवाज क्योकि उनके नेता कैप्टन रशीद ,सहगल, ढिल्लो, शाहनवाज गिरफ्तार हो गये लाल किले की फौजी अदालत में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी जिसके विरोध में 18 फरवरी 1946 में नोसेना ने विद्रोह कर दिया ब्रिटिश हकूमत समझ चुकी थी अब राज करना मुश्किल है कांग्रेस विचलित हो गयी देश में आजाद हिन्द फौज के सैनिको के पक्ष में इतना जोश था जवाहर लाल नेहरु को आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के पक्ष में मुकदमें की पैरवी करने के लिये मैदान में उतरना पड़ा नेता जी की सेना हार कर भी जीत गयी वह जनमानस के दिलों में बस गये . 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ चुनाव हुए मामा जी को भी चुनाव मैदान में उतारा गया वह जीत गये लेकिन उनकी सेहत गिरता जा रही थी अंत में पक्षाघात जब तक जिये देश के लिए के लिए जिये एक दिन आँखें मूंद ली ऐसे महान मामा की याद सदैव दिल में रही .