
स्यापा ( मातम ) क्या अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता
है ?
डॉ शोभा भारद्वाज
किस्सा पंजाब का है
,पहले किसी सम्मानित वृद्ध की मृत्यू होती थी अपना वैभव व दुःख दिखाने के लिए
रुदालिया बुलाई जाती इनकी बकायदा मंडलियाँ थीं इनके कई किस्से भी हैं.
एक वृद्ध सेठ लाला
जी के नाम से मशहूर था की मृत्यू हुई भरापूरा परिवार था लाला का विमान निकला शव
यात्रा में भारी भीड़ थी .सब लाला के सौभाग्य पर ईर्षा कर रहे थे कितना सम्पन्न
परिवार पीछे लाला कितनी दौलत छोड़ गये .परिवार ने सोचा लाला की मृत्यू पर विलाप करने
के लिए रुदालियाँ बुलाई जायें लाला जी के
वैभव का वर्णन कर ऐसे बैन भरे सारा समाज झक रह जाये .प्रसिद्ध रुदाली मंडली बुलाई
गयी काले कपड़ों में शानदार रुदालियाँ आयीं दोपहर को शोक प्रगट करने शहर के सम्मानित
लोग आये , रुदालियों की मुखिया ने बैन भरे
बिच कचहरी गजया लाला
शेर नी ,बिच जंगल दे गजया लाला बब्बर शेर
ह्य -ह्य लाला बब्बर
शेर ,
कचहरी के बीच में
गरजा लाला शेर था बीच जंगल में लाला शेर की तरह गरजते थे हाय लाला शेर थे लाला
बब्बर शेर थे आगे लाला के वैभव का बखान करती हुई स्यापा ( क्रम से गाल एवं छाती
पीटते घूमना लेकिन ध्यान रहता था ताल न बिगड़े)
उन्होंने समा बना
दिया शाम को जब रुदाली जाने लगी लाला के सेठ बेटे ने कहा आज मजेदार स्यापा नहीं था
कल अच्छे बैन भरना जोर शोर से स्यापा ऐसा करना जैसा कभी न हुआ हो तुम्हारा एक साथ
हिसाब कर देंगे और जोर लगाओ लाला के कंजूस बेटे के हाव भाव से रुदालियाँ समझ गयी इस
कंजूस से मेहनताना निकलवाना आसान नहीं है ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ेगी अगले दिन
रुदालियाँ आयीं अफ़सोस करने वाले भी पहुंच गये हेड रुदाली ने वैन भरते हुए आवाज
निकाली
नाली दे विच बड़या लाला गीदड़ नी ,बाकियों ने
दोहराया हाय हाय लाला गीदड़ नी
नाली में लाला घुस
गया हाय यह लाला गीदड़ है और हाय – हाय लाल
गीदड़ है
जम कर स्यापा किया
सेठ परेशान बैन कैसे रोके ऐसे उठते हाथ समझ नहीं आया कैसे रोके
बड़ी किरकिरी हुई लोग हँसने हुए नये बन सेठ पर फब्तियां कसने लगे .
जब रुदालिया थक कर
जाने लगी परेशान सेठ ने एक दिन के पैसे दे कर रुदालियों से प्रार्थना की देखो ऐसे
मत करो कल जम कर अच्छा स्यापा करना पैसे
के साथ ईनाम भी दूंगा . रुदालियों ने कहा लाला चिंता मत करो स्यापे से पहले पैसा
दे देना फिर देखना ऐसा स्यापा होगा लोग महीनों याद रखेंगे जब रुदालियाँ आयीं सेठ
गायब हो गया .चारो तरफ नजर घुमाई लाला का अता पता नहीं
रुदालियाँ घेरा बना
कर खड़ी हो गयीं मुखिया रूदाली ने बैन भरा
विच जंगल दे गजया
लाला गीदड़ नी हाय हाय लाला गीदड़ नी
जंगल के बीच में लाला शेर की तरह गरजा पर लाला
गीदड़ था
बाकियों ने आगे बैन
बढ़ाया
न गीदड़ न शेर हाय – हाय लाला बिचला मेल हाय –हाय
लाला गवला मेल
लाला न गीदड़ था न
शेर था उन दोनों के बीच का मेल था और रुक गयीं तुरंत सेठ प्रगट हो गया .
ईरान में मौत पर
मातम होता था जवान मौत पर गाल और सीना लाल
हो जाते थे पत्थर दिल भी अपने आप को रोक नहीं सकता था स्वयं आँखों से आंसू बहने
लगते हैं लेकिन वृद्ध की मौत गोल घेरा बना
कर हल्के हल्के गाल और सीना पीटते महिलाएं और पुरुष साथ में बैन भरते हुए देखे हैं
.
स्वर्गीय आयतुल्ला
खुमैनी के स्वर्गवास पर लाखो लोग मैदान में बैठ कर मातम कर रहे थे वह शियाओं के
धर्म गुरु इमाम थे. हर और जन समूह था उन तक पानी पाईपों के जरिये पहुंचाया जा रहा
था उनको कब्र नशीन करने तक मातम होता रहा .
किसान आन्दोलन के
बीच मंच पर एक औरत बैन भर रही ह्य – ह्य मोदी मरजा तू ह्य हाय मोदी ---- बाकी औरते दोहरा रही थीं हैरानी हुई आन्दोलन है या तमाशा हाथों
में लाल झंडे लिए बामपंथी महिलाओं का प्रदर्शन वह भी किसान आन्दोलन के बीच में बामपंथी
स्यापा
देश का प्रधान
मंत्री लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं
मिलता है मिलीजुली सरकार कामन मिनिमम प्रोग्राम के अंतर्गत बनती है इनमें सबसे
अधिक बहुमत प्राप्त दल का नेता अधिकतर प्रधान मंत्री बनता है या ऐसा नेता जो सब को
स्वीकार हो जैसे स्वर्गीय अटलबिहारी बाजपेयी जी की सरकार ( एनडीए )उनके बाद डॉ
मनमोहन सिंह जी की सरकार ( यूपीए ) बनी थी . अबकी बार एनडीए की सरकार है लेकिन
भाजपा का अपना बहुमत है अत :बहुमत की सरकार है कार्यकाल पांच वर्ष है .कानून संसद
के दोनों सदनों में बहुमत से पास होने के बाद राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर के
बाद कानून बनते हैं . कानून से असहमति पर धरना चल रहा है फिर स्यापा क्यों, यह
कैसा प्रोपगंडा है ?
ऐसे ही पंजाब के
स्टेशन पर बैठी स्यापा करती महिलायें रेल रोको के प्रोग्राम में देखी गयीं .
पंजाबी है एक
प्रसिद्ध कहावत नहीं सुनी ‘ कौए की कावं- कावं से ढोर नहीं मरते सब भगवान के हाथ
में है . संसदीय प्रणाली में प्रधान मंत्री का अपना स्थान है .