बिचित्र अहसास
डॉ शोभा भारद्वाज
जीवन में कई बार बेहद रोमांचक घटित होता है . ईरान के खुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी सन्नंदाज के आखिरी छोर के अस्पताल में मेरे पति डाक्टर एवं इंचार्ज थे बेहद ख़ूबसूरत घाटी थी .उन दिनों वहाँ ईरान इराक में युद्ध चलता रहता था ,कभी रुक जाता फिर शुरू हो जाता इराक ईरान बार्डर से हमारा एरिया 80 किलोमीटर दूर था आसमान पर इराकी बम बर्षक फाईटर प्लेन मंडराते रहते थे ईरान की हवाई ताकत बहुत कम थी .अस्पताल में हमारा घर था .मेरे तीसरे बच्चे का जन्म यहीं हुआ था प्रसव का समय नजदीक आ रहा था इधर जोरों पर युद्ध शुरू हो गया भय था शायद हमारी घाटी पर भी बम वर्षा हो जबकि आसान नहीं था अस्पताल का स्टाफ भयभीत था वह अपने परिवारों के साथ सुरक्षित स्थानों पर चला गया अस्पताल से गायनाकौलोजिस्ट भी चली गयी अस्पताल में मरीज निरंतर आते थे लेकिन स्टाफ गायब हम भी जा सकते थे लेकिन मेरे पति को मरीजों को बेसहारा छोड़ कर जाना गवारा नहीं था लेकिन हम परेशान थे.
रात को हम सो रहे थे दरवाजे की घंटी बजी मैं उठी दरवाजा खोला ठंडी हवा का झोका महसूस हुआ चिनार के दरख्तों से चांदनी झर रही थी . मेरे सामने मेरी दादी माँ खड़ी थी समय जैसे ठहर गया ग्यारह वर्ष पहले उनकी मृत्यू हो गयी थी वह हमें माँ से भी अधिक प्यारी थीं . हमारी हर शरारत पर हंसती स्कूल फिर कालेज के प्रोग्रामों में सबसे आगे बैठती हमें जो इनाम मिलता उसे चूमती मृत्यू के समय उनकी उम्र का अनुमान मुझे नहीं है वह बहुत लंबी गोरी बूढ़ी थीं उन्होंने बिलकुल सफेद कुर्ती वैसा ही पेटीकोट सिर है बेहद सफेद दुपट्टा लिया था मैने हैरानी से पूछा माता जी आप कोई भय नहीं हाँ तुझे मेरी जरूरत है मैं उनके गले से चिपट कर रोने लगी. वह अंदर आयीं अचानक मेरे दर्द शुरू हो गये उन्होंने मुझे कमरे में लिटा दिया मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी दर्द गायब हो गया .गोलमटोल बच्चे को जन्म देने में उन्होंने मेरी सहायता की बच्चे को अपने गले से लगाया हल्का सा उछाला मेरे पास लिटा दिया .अब बोली मेरी लाडो मैं थक गयी हूँ अब जा रही हूँ चली गयीं . मैने बच्चे को टटोला कुछ नहीं हैरान होकर उठी साईड की लाईट जलाई कहीं कुछ नहीं .
मैं चौंक गयी इन्होने मुझे हैरान परेशान बैठे देखा पूछा क्या हुआ शायद मैने स्वप्न देखा है अजीब स्वप्न का जिक्र किया उन्होंने हंस कर कहा अरे तुम अंदर से डरी हुई हो सब ठीक हो जाएगा .मेरे पिता जी अपने माता पिता की आखिरी सन्तान थी माँ की मृत्यू से पाँच वर्ष बाद उनकी मृत्यू हो गयी थी पिता जी की मृत्यू के चार दिन बाद मुझे स्वप्न में दादी दिखीं थी वह घर के दरवाजे पर कुसी डाल कर बैठी थी उस समय ऐसा लगा था वह परिवार की गार्जियन सोल हैं.
दो दिन बाद इनके पास सन्नंदाज के बड़े बिमारिस्तान (बड़ा अस्पताल ) की नर्स आई उसने स्वयं कहा डाक्टर साहब मुझे पता चला डाक्टर खानम हामला है आप चिंता नहीं करना मैं बिमारिस्तान के गायनी वार्ड में काम करती हूँ आप जब जरूरत हो मुझे बुला लेना मैं तुरंत आ जाऊँगी बस एमरजेंसी हो तो मेरी मदद कर देना आप बिलकुल चिंता मर करना लड़ाई चल रही है बड़े अस्पताल में भर्ती करने में खतरा है . वह मुझसे भी मिलने आई लंबी छरहरी बेहद खूबसूरत खानम थी .अपना ड्यूटी का कार्यक्रम दे गयी उसे महिला होने के नाते दिन की ड्यूटी दी गयीं थी . 10 दिन बाद मुझे रात को 11 बजे के करीब ऐसा लगा मुझे बसद खानम की जरूरत है ईरान में घरेलू काम के लिए मददगार नहीं मिलती हैं तेल उत्पादक देश खाते पीते लोग मुझे अब अगले दिन की तैयारी करनी थी हमने मिल कर पूरिया और सूखी सब्जी बना कर फ्रिज में रख ली वैसे वहाँ मशीन से बना ताजा नान बेकरियों में मिलता था डिब्बों में बंद कुछ सब्जियां जैसे राजमां आसानी से मिल जाती थीं .
बसद अस्पताल की बिल्डिंग का रखरखाव रखने वाले इंचार्ज के साथ एक घंटे बाद पहुंच गयी . उसने घंटी बजाई मैने दरवाजा खोला उसे हैरानी से देखा उसने सफेद हल्के जरी के काम का सफेद खुर्दी गाउन सफेद ही खुर्दी सलवार पहनी थी और सिर पर सफेद हिजाब ,एक बार ऐसा महसूस हुआ मेरी दादी ने फिर से दरवाजा खटखटाया है जबकि बसद केवल 24 वर्ष की थी सलाम खानम कह कर वह मुस्कराई मेरी दादी की तरह बेहद लंबी बसद ने सिर से हिजाब हटा कर कुर्सी पर लटकाया उसके साथ इंचार्ज की बीबी हमदम भी थी ,उसने मुझे एकटक बसद की तरफ देखते देखा बोली खानम बसद है आप तो इन्हें जानती हैं मेरा गला भर आया हैं. बसद ने कहा डाक्टर साहब घर में ही डिलीवरी हो जायेगी आप एमरजेंसी के लिए तैयार रहे दोनों बच्चों को इन्होने दूसरे कमरे में सुला दिया . बसद मेरे पास बैठ गयी मेरा मन से भय का भाव दिल से निकल गया मुझे लगा बचपन में लाड़ लडाती मेरी दादी मेरे पास बैठी है है बसद मुझे मेरी अपनी बड़ी करीबी लगी .
बेटे का जन्म हुआ उसके रोने की आवाज कमरे में गूंजी बसद ने इन्हें हल्की आवाज दी आगा डाक्टर पिसर (बेटा ) हुआ है ईरान में बेटी होने पर खुश होते हैं क्योकि बेटियाँ ही अपने माता पिता का ध्यान रखती हैं उसने बच्चे को लपेट कर हल्का उछालने लगी अरे मैने ऐसे ही अपनी दादी जी को गोल मटोल बच्चा हल्का- हल्का उछालते देखा था . बसद मुझे लिटा कर कुछ देर बैठी रही उसे हैरानी थी लड़के के जन्म पर हम इतने खुश क्यों हैं ?