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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022

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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और अब इन किताबों को काश्‍वी ने अपना दोस्‍त बना लिया, पढ़ते-पढ़ते काश्वी कब सो गई उसे पता ही नहीं चला। सुबह के आठ बजे काश्वी की नीदं उसके फोन पर बज रही घंटी से खुली, उसने देखा निष्कर्ष का फोन आ रहा है निष्कर्ष ने बताया कि वो ठीक ठाक पहुंच गया, काश्वी ने भी निष्कर्ष को बताया कि वो वही किताब पढ़ रही थी जो निष्कर्ष ने दी। निष्कर्ष खुश हो गया और उसने भी बताया कि रास्ते भर उसने भी एक किताब पढ़ी, दोनों अपनी-अपनी किताब के बारे में बताने लगे और इन्‍हीं बातों में आधा घंटा बीत गया। काश्‍वी ने टाइम देखा तो निष्‍कर्ष को बाद में बात करने को कहा और अपनी क्‍लास के लिये तैयार होने चली गई।

काश्वी का मूड अब फ्रेश हो गया, क्लास में उत्कर्ष के सारे सवालों के जवाब दिये काश्‍वी ने, जिससे उत्‍कर्ष भी काफी इंम्‍प्रेस थे। क्‍लास के बाद सभी काश्‍वी की तारीफ करने लगे और कहने लगे कि अब तो काश्‍वी ही उत्‍कर्ष सर की सबसे फेवरेट स्टूडेंट है। एक हफ्ते तक यही सब चलता रहा, पहले क्लास, फिर फोटोग्राफी और रात में काश्वी किताबें पढ़ने लगी, जब भी निष्कर्ष को अपने काम से फुर्सत मिलती वो काश्वी को फोन कर लेता। अब उनकी दोस्ती और गहरी होने लगी, अपनी-अपनी किताबों की कहानियां शेयर करते करते घंटों बातें करते बिताने लगे। सच ही है शायद जब दो दोस्त दूर होते हैं तो ज्यादा करीब आ जाते हैं, सामने रहते हुए जो बातें नहीं हो पाती वो फोन पर आसानी से हो जाती हैं क्योंकि तब लगता है कि थोड़ी
सी भी फुर्सत हो तो बात कर ली जाए, काश्वी और निष्कर्ष के साथ भी यही हुआ, एक दूसरे से दूर हैं लेकिन अब हर वक्त साथ हैं। एक हफ्ते से ज्‍यादा हो गया, निष्कर्ष दिल्ली से वापस नहीं लौटा, इधर काश्वी अपनी क्लास में पूरा ध्‍यान लगा रही है, उत्कर्ष भी काश्वी से इम्प्रेस थे तो उस पर खास तौर से फोकस कर रहे हैं, कहीं न कहीं उत्कर्ष को भी काश्वी में अपनी झलक नजर आ रही है। एक शाम क्लास के प्रोजेक्टर पर काश्वी की फोटो देखते हुए उत्कर्ष उसे समझा रहे थे और बातों बातों में उत्कर्ष ने काश्वी से उसके बारे में काफी बातें की, आम तौर पर अपने स्टूडेंटस से दूरी बनाने वाले उत्कर्ष अब काश्वी से खुलकर बात करने लगे, शायद ये काश्वी की खूबी है कि उससे बात करने के लिये किसी को सोचना नहीं पड़ता, फिर उसका टेलेंट भी उत्कर्ष को उसके बारे में और जानने के लिये उकसा रहा है।

काश्वी पहले तो उत्कर्ष से झिझकते हुए बात करती रही पर कुछ देर बाद वो सहज हो गई। निष्कर्ष और उसके पापा के बीच जो दूरी निष्‍कर्ष की बातों से उसे लगी थी वो भी उसके जहन में कहीं चल रही है। निष्कर्ष का ख्याल मन में आते ही काश्वी उत्कर्ष से बात करने में कुछ असहज महसूस करती पर जब उत्कर्ष की बातों से उसे समझने की कोशिश करती तो कुछ और ही तस्वीर बनती नजर आती। निष्कर्ष की कहानी सुनकर उत्कर्ष के बारे में जो राय काश्वी ने बनाई थी, वो उत्कर्ष से बात
करने के बाद कुछ और टूटती बनती नजर आ रही है। कभी कभी हम किसी के बारे में कुछ सुनकर राय बना लेते हैं लेकिन जब उन्‍हें करीब से जानने का मौका मिलता है तो अपनी समझ से उसे परखने की कोशिश करते हैं, हम में से हर कोई, हर बार ये करें जरूरी नहीं लेकिन ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए हर इंसान न तो हर वक्त अच्छा रह सकता है और न ही हर वक्त बुरा हो सकता है। वक्त और हालात इंसान को अच्छा या बुरा बनने पर मजबूर करते हैं, कुछ लोग कमजोर होते हैं और हालात को बदल नहीं पाते लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो हालात को अपने हिसाब से ढाल कर खुश रहते हैं।

उत्कर्ष के बारे में अब काश्वी अपने तरीके से सोचने लगी, निष्कर्ष की बातें याद थी उसे लेकिन उसे लगा कि अब जब मौका मिला है उत्कर्ष को जानने का तो उनसे और बात करके वो उनका एंगल भी समझ सकती है। काश्वी ने उत्कर्ष से उनके अनुभवों के बारे में कई बार बात की, उत्कर्ष अपने करियर में आए उतार चढ़ाव के बारे में बड़े चाव से काश्वी को बताते रहे, शायद उन्हें भी लगा कि काश्वी को बहुत आगे जाना है और उनका अनुभव उसके काम आ सकता है, लेकिन काफी कोशिश
के बाद भी काश्वी उत्कर्ष से उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में बात नहीं कर पाई शायद उसे डर था कि कही उत्कर्ष को बुरा न लगे

काश्वी ने उत्कर्ष के बारे में निष्कर्ष को कुछ नहीं बताया, वो उससे बाकी हर चीज की बातें करती रही, शायद काश्वी को डर था कि उत्कर्ष के बारे में सुनकर कहीं निष्कर्ष को बुरा न लगे, कहीं इससे उनकी दोस्ती में कोई फर्क न आये, ये डर इसलिये अब और बढ़ रहा था क्योंकि उत्कर्ष से बात कर काश्वी को लगा कि वो एक अच्छे इंसान हैं और काफी इमोशनल भी हैं, हां दोनों में एक बात कॉमन लगी काश्वी को कि दोनों ही अपने इमोशंस को जल्दी जाहिर नहीं करते शायद यही वजह थी कि दोनों में दूरी आ गई।

इधर दिल्ली में निष्कर्ष जल्दी - जल्दी काम खत्म करके वापस लौटने की तैयारी में लग गया। निष्कर्ष ने सोचा कि वो काश्वी को सरप्राइज देगा और बिना बताएं उसके सामने जाकर खड़ा हो जाएगा, पूरा प्लान हो गया, दो दिन से निष्कर्ष ने काश्वी से बात भी नहीं की उसका फोन उठाया नहीं, मैसेज के जवाब में भी लिखा कि वो बिजी है बाद में बात करेगा, काश्वी ने भी फिर उसे डिस्टर्ब नहीं किया। वापस लौटते हुए पूरे रास्ते निष्कर्ष काश्वी के बारे में सोचता रहा, एक प्यारा सा तोहफा भी उसने काश्वी के लिये लिया, निष्कर्ष यही सोच रहा था कैसे वो काश्वी को ये तोहफा देगा और जब उसके सामने जाएगा तो वो कैसे रिएक्ट करेगी, कई घंटे का रास्ता आज निष्कर्ष को कई दिन जितना लंबा लग रहा है वो खुश है कि आज उस जगह उसकी मां के बाद उसका इंतजार करने वाला कोई है, जिसके लिये उसे जल्दी पहुंचना है।

निष्कर्ष के लिये काश्वी कुछ स्पेशल बन गई है, उसके बारे में सोचते ही निष्कर्ष के चेहरे पर स्माइल आ जाती है उसकी छोटी छोटी बातें भी उसे याद आती हैं, निष्कर्ष बहुत दिनों के बाद किसी के लिये इतना सोच रहा है, उससे मिलना का इंतजार कर रहा है। कई बार उसने सोचा कि अपने आने के बारे में काश्वी को बता दें पर फिर ये सोचकर रूक गया कि काश्वी उसे अचानक सामने देखकर ज्यादा खुश होगी।

शाम के पांच बजे निष्कर्ष वहां पहुंच गया, अपना बैग रखकर वो सबसे पहले काश्वी से मिलने गया, काश्वी के रूम में जाकर
देखा तो वो लॉक था वहां कोई नहीं था, निष्कर्ष थोड़ा हैरान था सोचने लगा कि किस वक्त वो कहां हो सकती है, उसने अपने स्टॉफ से पूछा तो पता चला कि वो क्लास में है।

निष्कर्ष क्लास की तरफ बढ़ रहा था थोड़ी पास पहुंचने पर उसे किसी के हंसने की आवाज आने लगी, एक आवाज उसके पापा की थी और दूसरी काश्वी की दरवाजे से अंदर घुसते ही निष्कर्ष ने देखा कि उत्कर्ष और काश्वी बात कर रहे थे उनके अलावा वहां और कोई नहीं था। उत्कर्ष की नजर निष्कर्ष पर पड़ी तो उन्होंने पूछा, “अरे निष्कर्ष तुम कब आये?” इतना
कहते ही काश्वी ने मुड़कर देखा तो सामने निष्कर्ष था काश्वी उसे देखकर चौंक गई उसने सोचा भी नहीं था कि निष्कर्ष यूं अचानक वहां आ जाएगा पर इस वक्त इस कमरे में सबसे ज्यादा शॉक में कोई है तो वो निष्कर्ष है, उसे कुछ समझ नहीं
आया, इस तरह काश्वी और उत्कर्ष को बिना किसी औपचारिकता के बात करते देखकर निष्कर्ष को बहुत
अजीब लगा उसे समझ नहीं आया वो क्या कहें, उसने बस इतना ही कहा कि हां बस अभी पहुंचा, चलो आप लोग बिजी हो, बाद में मिलते हैं, ये कहकर वो वहां से चला गया।

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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