🌹रास्ते कितने भी अंधेरे क्यों नहों
अच्छा हम सफर हो साथ तो,
मंजिल मिल ही जाती है।
🌹 सड़कें कितनी ही ऊबड़-खाबड़
क्यों न हो , चलें लेकर हाथों में हाथ
जिंदगी खुशनुमा हो ही जाती है।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
--------🌹🌹🌹-----------
17 नवम्बर 2021
🌹रास्ते कितने भी अंधेरे क्यों नहों
अच्छा हम सफर हो साथ तो,
मंजिल मिल ही जाती है।
🌹 सड़कें कितनी ही ऊबड़-खाबड़
क्यों न हो , चलें लेकर हाथों में हाथ
जिंदगी खुशनुमा हो ही जाती है।
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
सही बात है 😊
1 जनवरी 2022
सुन्दर
9 दिसम्बर 2021
9 दिसम्बर 2021
वाह वाह वाह बहुत खूब 👌👌
24 नवम्बर 2021
बहुत बहुत धन्यवाद 🙇🌹🌹
18 नवम्बर 2021
Behtreen likha aapne di outstanding 💓
17 नवम्बर 2021