🌹बारिश की बूंदे होती है क्या
पूछो किसी गरीब से।
बारिश की बूंदे........!
🌹 छप्पर से छनके वह
जब गिरती है उसके सिर पे
बारिश की बूंदे। .........।
🌹बैठना पड़ता है फिर उसको
कोने में झोपड़ी के ,
बारिश की बूंदे.........।
🌹उठ जाते हैं नींद से फिर
मासूम बच्चे उसके ।
बारिश की बूंदे...........।
🌹चिपका के छाती से उनको
बैठ जाती है फिर संभल के
बारिश की बूंदे...........।
🌹पूछो किसी किसान से
बेवक्त गिरीं हों जब उसके खेत में
बारिश की बूंदे..........।
🌹बह जाती है उसकी मेंहनत
जब उसकी आंखों के सामने
बारिश की बूंदे.........….।
🌹किसी की आस है बूंदे,
किसी की प्यास हैं बूंदे।
ग़रीब के लिए तो बस।
अभिषाप हैं बूंदे
(स्वरचित रचना) सय्यदा----✒️
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