समुद्र की लहरों से न खेल ए मेरे हमदम
यह इतराती, इठलाती, बलखाती हुई
इतनी खूबसूरत भी नहीं जितनी
लगती है तुम्हें।
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अपनी पर उतर आए तो बहा ले जाती है
पहाड़ों की क़तार।यह अलग बात है
कि खूबसूरती पर इनकी
फिदा है संसार।
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ज़रा संभल कर उतरना समंदर में सनम,
बहुत क़ातिल है ये लहरें
कहीं तोड़ न दें
तेरा भरम।
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स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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