🌹क्या पता था कि एक दिन
ऐसा भी आएगा.....!
🌹मिलने मुझसे,वह
इनबॉक्स में आएगा,
🌹हाले दिल भी अपना,
वह मुझे वहीं,सुनाएगा, वो
🌹कह रहा था मुझसे,
प्यार है उसे......!
🌹मैंने कहा,ठीक है
ऐतबार है मुझे,,,।
🌹दुनिया की भीड़ में,
कहीं खो गई थी मैं,
🌹पाके उसको बहुत,
ख़ुश हो गई थी मैं,
🌹कैसे होगा मिलना,
यही सोच रही थी मैं
🌹दिन-रात इसी फिक्र में
घुली जा रही थी मैं,
🌹क्या ख़बर थी एक दिन
ऐसा भी आएगा।
🌹खुदा इतना मेहरबान
मुझपे हो जाएगा ,
🌹जिसको चाहती हूं मैं,
वही मुझको मिल जाएगा।
🌹बनके हमसफर ज़िन्दगी
में आएगा.....!
🌹और ख़ुशी बनके फिर वो
मुझ पे छाऐगा......!
🌹आंख खुली तो देखा
ये ख़्वाब था मेरा,
🌹बस,,एक ख़्वाब था मेरा...!
ख़्वाब था मेरा....!
🌹किसे पता था एक दिन ख़्वाब,
भी मुझे ऐसा आएगा......!😃😃
🌹इनबॉक्स था ख़ाली मेरा और
फोन भी ख़राब था.......!
😁😁
स्वरचित रचना
सय्यदा खातून,,✍️
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