डोली चढ़ के दुल्हन
ससुराल चली डोली चढ़कर
आगे एक नई जिंदगी है
तो पीछे गुज़रा हुआ एक
ज़माना भी है।
🙇🙇गीत के यह पंक्तियां ही जा़हिर कर रही है कि आज की चर्चा में मैं एक लड़की के मायके से ससुराल तक के सफर पर बात कर रही हूं जी हां जब कोई लड़की शादी हो कर अपने ससुराल पहुंचती है। हजारों आकांक्षाओं से उसका मन विचलित रहता है यूं तो ज़ेवरों से सजी-धजी बेहतरीन पोशाक धारण किए हुए घूंघट में मंद मंद मुस्कुरा -ती हुई आपको बेहद हसीन लगती है। पर उसके दिल में उठते हुए तूफान शायद एक औरत ही समझ पाती है। अपने घर को छोड़ना, छोड़कर किसी दूसरे परिवार को अपना बनाना बहुत ही साहस और हिम्मत का कार्य है जो हमारी बहने सदियों से बख़ूबी आज तक निभाती आ रही हैं। मेरा आप सभी से अनुरोध है कि जब आप किसी बेटी को बिहा कर अपने घर पर लाएं तो उसको भी समझने की कोशिश करें । उसको भी मौका दें, एकदम ही दुनिया भर की उम्मीदें उससे लगा कर न बैठे।
याद रखें कल तक वह अपने घर में एक बेटी ही थी आज अचानक इतनी जिम्मेदारियों तले उसे अकेला ना छोड़े उसको एहसास दिलाएं कि यह घर भी उसी का है। याद रखिए अपना घर छोड़ कर आई है कुछ तो समय लगेगा उसको , आप को अपना बनाने में आपका प्यार ,आपका सहयोग, ही उसको एक अच्छी पत्नी एक अच्छी बहू और एक अच्छी भाभी बनने में मदद करता है।
और मैं अपनी बहनों से भी यही कहना चाहूंगी कि- वह सब कुछ बदल देंगी। सब कुछ अपने वश में कर लेंगी। यह सोचकर ससुराल में कदम ना रखें। आप भी जितना प्यार दूसरों को देंगी उतना ही प्यार आपको भी वापस मिलेगा सब का सम्मान करें और खुश रहें।
थोड़ी बहुत कठिनाई आए , जो सबके सामने आती ही हैं उनको नजरअंदाज करें घबराए नहीं बस अपनी समझदारी से समस्या को सुलझाने की कोशिश करें। और यह ध्यान रखें :-
सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जाएंगे
कश्तियां बदलने से कुछ नहीं होता
दिशाओं को बदलो किनारे बदलजायेंगे।
अपनी मुस्कुराहटों से माहौल को हल्का बनाइए और सोचिए
वो आप को देख परदे के पीछे मुस्कुरा रहे हैं।
और आप हैं कि अब तक यादों के काफ़िले में
🌹 उलझे हुए हैं🌹
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स्वरचित रचना ( सय्यदा----✒️)