🌹तुम्हारी आँखों से
मैं देखूं दुनिया
ये ज़रूरी तो नहीं,
तुम से आगे निकल जाऊँ
🌹ये तमन्ना भी नहीं,
तुम्हारे शाना बशाना चलूँ,
ये हसरत है मेरी,
🌹परिंदा नहीं हूँ मैं ,
जो खुलते ही उड़ जाऊँ
मैं हम कदम हूँ तुम्हारी
मुझे हम राह लेकर चलो,
🌹मुझको हासिल है क़ुवते परवाज़
तुम्हारी ही तरहाँ,
पर अपने कटा दूँ
ये ज़रूरी तो नहीं,
🌹तेरे हर फैसले पर
मैं ही क्यों सजदा करूँ,
तुम भी समझो मेरे जज़बात
ख्वाहिश है मेरी ,
🌹तुम्हारी आँखों से मैं देखूं दुनिया
ये ज़रूरी तो नहीं
क्यों ख़त्म करना चाहते हो
तुम वजूद उसका,
🌹रोशन कर देगी जहाँ
उसे दुनिया में आने तो दो
लाख समझाओ तुम मुझे
उसको मिटाने के सबब
🌹वो अकस है मेरा,मैं उसे न मिटाने दूंगी।
तेरे इरादों से बेपरवाह
खिलने को बेक़रार
उसे मासूम जिन्दगी की कसम,
🌹मरमरी आँचल में लपेटे
अपनी उम्मीदों की किरन,
किसी नायाब हीरे की तरहाँ
मुट्ठी में समेटे हुए
🌹तेरे दर से निकल जाऊँगी ,मगर
तू बढ़ कर रोक ले मेरे कदम
ख्वाहिश है मेरी,
तुम्हारी आँखों से ......
🌹तू जानता तो है कहकशाँ तो क्या
चाँद तारे भी उसके
कदमों में बिछा सकतीं हूँ मैं
मैं वो कल्पना है,सानिया है,
सोनिया और प्रियंका है मेरी,
🌹रोशन करदेगी जहाँ,
उसे दुनिया में आने तो दे
मेरे क़ौल की तू हंसी न उड़ा
मेरे हौसले को आज़मा तो सही,
🌹ये जिन्दगी है मुश्तरका
इसके फैसले तन्हा न करो,
मैं शरीके हयात हूँ तुम्हारी
मुझे हमराह ले के चलो
🌹मुझे हासिल है कुवतेपरवाज
तुम्हारी ही तरहाँ ,
पर अपने कटाई दूँ
ये ज़रूरी तो नहीं।
🌹माना के वक्ते़ सांझ की
ज़रूरत हैं चिराग
एक शमा भी कम नहीं
रोशनी के लिए,
🌹हमें मिल जाए,मुकम्मिल ये जहाँ
ज़रूरी तो नहीं ,
जो भी उसने किया है अता
उस पर करो क़नात,
ख्वाहिश है मेरी ।
🌹मुझे हासिल है कु़वते परवाज़
तुम्हारी ही तरहाँ
पर अपने कटाई दूँ
ये ज़रूरी तो नहीं।
(स्वरचित रचना)
सय्यदा ख़ातून----✒️🌹🌹
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शाना बशाना - कंधे से कंधा मिला कर
कुवतेपरवाज - उड़ने की ताकत
कहकशाँ - तारे
क़ौल - वचन
मुश्तरका - मिली जुली,
क़नात - सबर।