🌹पहले तो मां-बाप बच्चे
और उनका परिवार रहते हैं
मिलजुल कर सभी।
🌹यहां तक कि उनकी
खुशियां ग़म दुख तकलीफ भी
होते हैं सबके एक ही ।
🌹सबके लिए जीना
सबके लिए कमाना यही होती है
सब की जिंदगी ।
🌹अचानक ख्वाहिशें
मां बाप की हद पार कर जाती हैं
अपनी औलाद के लिए।
🌹उनको शिखर पर
देखने की,फिर हो जाती है शुरू
एक होड़ भी।
🌹बूढ़े मां बाप लाचार हैं
पिस्ता देख रहे हैं अपनी औलाद को
अपनी औलाद के लिए।
🌹खाली बैठे हैं मगर
नजर रखते हैं वह दूर की
अपनी हवेली में रहकर वह तन्हा
🌹सोचते हैं बैठे हुए बस यही
जश्न का दिन है आज और
घर में पसरा हुआ है सन्नाटा बहुत।
🌹उनका परिवार खुश हैं आज
अपने परिवार में और वह है के
किसी के कुछ भी नहीं।
🌹याद है उनको जिंदगी का पूरा हिसाब
कुल मिलाकर निल बटे सन्नाटा
निल बटे सन्नाटा.....
🌹नहीं चले संभल कर अगर आज
जवाब भी फिर जिंदगी का रखो याद
निल बटे सन्नाटा..निल बटे सन्नाटा....
निल बटे सन्नाटा........💃💃💃💃💃💃💃💃💃
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स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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