🌹 बचपन हो बुढ़ापा हो,
या हो जवानी ,
तुम्हारे भीतर ही छुपी है
सारी कहानी ,
अब जिस रंग में भी चाहो
रंग लो ख़ुद को ,
मिल जाएगा खुशियों का
ठिकाना तुमको।
स्वरचित रचना सय्यदा--✍️
----------🌹🌹---------