🌹परवर दिगारे आलम
सुनले मेरी दुआ तू ,
नाकाम हैं,जो भी हसरत
कामयाब तू उनको करदे।
🌹लहराऊँ अपना परचम
उड़के मै गगन में
परवाज़ दे मुझको ऐसी
शाहीन मुझको करदे।
🌹या बुलबुले हिन्द मुझको करदे
गाऊँ नग़मे वतन के,
सोज़ हो जिस भी दिल में,
उमंग उसमें भरदूँ।
🌹 या ख़ाक ही मुझको करदे
बिछ जाऊँ क़बर पर उनकी,
जो आएं हैं सर कटा कर
शान पर वतन की।
🌹या फूल मुझको करदे
बादेसबा बना दे,
वीरान हो जो भी गोशा
गुलज़ार मै उसको करदूँ।
🌹या बना दे इलमे शमा
रोशन हो मुल्क मेरा,
आरज़ू है दिल मे क्या- क्या
बताऊं मै तुझको कैसे।
🌹पैदाइश पे लड़कियों की
ग़ुरूर होगा इस जहाँ को,
लिख दूँ मैं अपना नाम
आकाश में कहकशाँ से।
🌹 मौजज़ा कोई दिखा दे
करिश्मा कोई तू करदे,
नाकाम है जो भी हसरत
कामयाब तू उनको करदे।
🌹परवर दिगारे आलम
सुनले मेरी दुआ तू।
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सय्यदा ख़ातून (स्व रचित)