🌹आप लोग तो पढ़ें होंगे,
सब के सब नर्सरी स्कूल में,
मेरा स्कूल था घर ही मेरा ,
मिलती थी इसमें शिक्षा
दिनों रात
🌹मां बापू, भाई ,बहन, दादा, दादी,
सब के सब थे शिक्षक मेरे,
निगरानी में उनकी पढ़ते थे हम,
क्या मजाल थी कि छूट जाए
विषय कोई ।
🌹दादी हो प्रिंसिपल स्कूल की,
मां-बाप लेते हों क्लास,
भाई बना मनीटर जहां,
पढ़ाई तो होगी ही
फर्स्ट क्लास,
🌹 यही वजह है आज भी,
जब वह आते हैं मेंरे पास ,
खड़ी हो जाती हूं देख उनको,
भूल सारे काम काज।
🌹यूं तो आज भी पढ़ रही हूं मैं
सातवीं क्लास में ।
पर वह पढ़ाई अब कहां
जो मिलती थी कभी
परिवार में।
सय्यदा----✒️🌹🌹
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