🌹बचपन हो बुढ़ापा हो या हो जवानी
दिल हर रंग में गढ़ता है बस एक
नई ही कहानी ।
🌹कभी ले जाता है परियों के देश मुझे
और दिखाता है चांद में चरखे़ को
चलाती हुई नानी।
🌹 कभी दिखाता है जवानी के ,
हसीन लम्हे, तो कभी बुढ़ापे से
जूझती हुई लाचार जिंदगानी ।
🌹दिल तो बच्चा है इसकी बातों में
ना आना खा़तून बरग़ला के तुझे ये
लिखवा देगा एक नई ही कहानी।
( स्वरचित रचना)
सय्यदा----✒️🌹🌹